मेडिकल इमरजेंसी के वक्त पैसों के लिए किसी के सामने हाथ न फैलाना पड़े ऐसे में अक्सर लोग हेल्थ पॉलिसी खरीदते है. मगर कई बार बहुत से लोग बीमा खरीदते समय अपने पहले से मौजूद बीमारी यानी PED का प्रपोजल फॉर्म में खुलासा नहीं करते. नतीजतन क्लेम के वक्त उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ता है. ऐसे में स्वास्थ्य बीमा लेते समय कुछ गलतियां करने से बचना चाहिए.
हेल्थ बीमा में क्या है पहले से मौजूद बीमारी का नियम?
जब आप कोई हेल्थ बीमा पॉलिसी खरीदते हैं तो बीमा कंपनी एक प्रपोजल फॉर्म भरवाती है. इस फॉर्म में आवेदक की लाइफस्टाइल से जुड़े तमाम तरह के सवाल पूछे जाते हैं. साथ ही ऐसी कोई बीमारी जिससे आप पीड़ित हैं, उसका पूरा ब्योरा मांगा जाता है. इंश्योरेंस रेगुलेटर इरडा के नियमों के तहत हेल्थ बीमा खरीदने से 36 महीने पहले तक की बीमारियां और चोटें PED की कैटेगिरी में आएंगी. हाई ब्लड प्रेशर यानी BP, अस्थमा और थायरायड और डायबिटीज जैसी बीमारियां PED में शुमार होती हैं.
वेटिंग पीरियड से जुड़ी जरूरी बातें
बीमा कंपनियां पहले से मौजूद बीमारियों को एक तय अवधि के बाद ही कवर करती हैं जिसे वेटिंग पीरियड कहते हैं. ये पीरियड तीन साल तक का होता है. वेटिंग पीरियड खत्म होने के बाद बीमा कंपनी संबंधित बीमारी को कवर करती हैं. बीमा कंपनियों के बीमारियों और प्रोडक्ट के हिसाब से अलग-अलग वेटिंग पीरियड होते हैं. अगर पॉलिसी लगातार पांच साल तक जारी रखी है तो बीमा कंपनी किसी भी इलाज के क्लेम से मना नहीं कर सकती. इस पांच साल की अवधि को मोरेटोरियम पीरियड कहते हैं.
पुरानी बीमारी के कवर पर ज्यादा करना होगा खर्च
बीमा कंपनियां पुरानी बीमारियों को कवर तो करती हैं लेकिन प्रीमियम पर लोडिंग बढ़ा देती हैं. उदाहरण के लिए अगर पवन 30 साल के हैं और परिवार में पत्नी सहित दो बच्चे हैं. अगर वो 10 लाख रुपए कवर का प्लान लेते हैं और पॉलिसी में शामिल सभी सदस्य पूरी तरह स्वस्थ हैं तो उन्हें 24,367 रुपए का प्रीमियम चुकाना होगा. अगर पवन को हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की बीमारी है तो बीमा पॉलिसी का सालाना प्रीमियम 50 फीसद तक बढ़कर करीब 36,000 रुपए तक हो सकता है. एक्चुअल प्रीमियम कितना बढ़ेगा, ये बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
इंश्योरेंस एक्सपर्ट और Midas Finserve के डायरेक्टर पंकज रस्तोगी कहते हैं कि हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी आपात स्थिति में वित्तीय सुरक्षा के लिए खरीदी जाती है. पॉलिसी खरीदते समय प्रपोजल फॉर्म में एकदम सही जानकारी दें. अगर कोई बीमारी है तो उसे छुपाएं नहीं. अगर आप किसी बीमारी को छुपाते हैं तो पता चलने पर बीमा कंपनी क्लेम को खारिज कर देगी. यही नहीं, ऐसी स्थिति में कंपनी आपकी पॉलिसी रद्द भी कर सकती है… बीमा कंपनी के पास ये अधिकार होता है कि वो आपको पॉलिसी दे या नहीं.