Motor Insurance: मुंबई में बारिश से हो रहे नुकसान का एक वीडियो वायरल हुआ है – एक ह्युंदई वेन्यु कार चंद सेकेंड में ही नाले में गायब हो जाती है. या यूं कहें कि चंद सेकेंड में ही सड़क पर बन आया गड्ढा एक ही निवाले में पूरी कार निगल जाता है. वीडियो है मुंबई के घाटकोपर इलाके का और इस दुर्घटना की अपराधी है मुंबई में हो रही मुसलाधार बारिश. वीडियो से ऐसे कई सवाल खड़े होते हैं कि क्या ऐसी स्थिति में कार इंश्योरेंस पॉलिसी काम आएगी?
अच्छी खबर ये है कि आपका इंश्योरेंस प्लान ऐसे नुकसान की भरपाई करेगा – ये पॉलिसी के ‘ओन डैमेज’ कंपोनेंट के तहत कवर किया जाएगा.
इंश्योरेंस कंपनी आईसीआईसीआई लोंबार्ड जनलर इंश्योरेंस (ICICI Lombard General Insurance) के अंडरराइटिंग और क्लेम प्रमुख संजय दत्ता कहते हैं, “इंश्योरेंस पॉलिसी में हर तरह के एक्सिडेंटल नुकसान को कवर किया जाता है. अगर कार निकालनी नहीं जा सकती तो ‘टोटल लॉस’ के अंतरगत इसका क्लेम किया जा सकता है. वहीं, अगर कार निकाली जा पाती है तो क्लेम ‘पार्शियल लॉस’ यानी आंशिक नुकसान के तहत क्लेम किया जा सकता है.”
मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी में दो तरह के कंपोनेंट होते हैं – ‘ओन डैमेज’ और ‘थर्ड पार्टी कवर’. ओन डैमेज आपकी गाड़ी की सुरक्षा के लिए है तो वहीं थर्ड पार्टी कवर दूसरी किसी गाड़ी को हुए नुकसान को कवर करती है. किसी एक्सिडेंट या प्राकृतिक आपदा जैसे तूफान में ‘ओन डैमेज’ के अंतरगत आपकी पॉलिसी को कवर किया जाएगा.
ये कार थी 67 वर्षीय किरण दोशी की. उन्होंने बताया है कि रविवार की सुबह उन्हें कार वॉशर महादेव शिगवान ने जानकारी दी कि कंपाउंड का एक हिस्सा जमीन में धंस गया था. चिंतित होकर वे जब जायजा करने पहुंचे तो देखा कि गाड़ी का एक हिस्सा उसमें डूब रहा था, तब उन्होंने वीडियो बनाना शुरू किया.
बृहनमुंबई अधिकारियों ने बाद में कार को इस गड्ढे से निकालने में कामयाब हुए हैं. अधिकारियों को उस इलाके से पानी पंप कर बाहर निकालना पड़ा.
#WATCH | A crane pulls out a car that sunk in a sinkhole in Mumbai’s Ghatkopar#Maharashtra pic.twitter.com/ZFn0ODsUu9
— ANI (@ANI) June 13, 2021
दरअसल, ये बिल्डिंग 80 साल से भी ज्यादा पुरानी है और जहां कार पार्क कर रखी गई थी वो कंक्रीट हिस्सा लगभग 40 साल पहले बनाया गया था. ये एरिया एक पानी की टंकी के ऊपर बनाया गया था जो रामनिवास बिल्डिंग में रह रहे लोगों के पानी की जरूरत को भी पूरा करता था.
दत्ता के मुताबिक, “एक्ट ऑफ गॉड के अलावा बाकी मामले किसी अनदेखी की वजह से होते हैं. अगर ये नुकसान जानबूझकर नहीं पहुंचाया गया तो इंश्योरेंस कंपनी को क्लेम देना पड़ेगा.”