ICMR की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में कैंसर मरीजों की संख्या 2025 में 25 लाख तक पहुंच सकती है, जो 2020 के अनुमानित आंकड़ों के मुकाबले 12 फीसदी ज्यादा होगी. लोगों में कैंसर की बीमारी बढ़ रही है जिसे ध्यान में रखते हुए आपके लिए कैंसर इंश्योरेंस कवर लेना जरूरी हो गया है. यदि आपके परिवार में कैंसर का खतरा है तो ऐसा बीमा कवर पसंद करें जो आपके फाइनेंस को नुकसान पहुंचाए बिना आपको और परिवार के सदस्यों को आसानी से ठीक कर सके.
कैंसर बीमा पॉलिसी खरीदते वक्त कुछ महत्वपूर्ण चीजें ध्यान में रखनी जरूरी हैं. बीमा कंपनी के विभिन्न प्लान और उनके बेनेफिट का गहन विश्लेषण करके आप सही कैंसर बीमा का चयन कर सकते हैं.
हेल्थ चेपअप
एक्सपर्ट कहते हैं कि बीमारी के बारे में जितना जल्दी पता चलेगा आप उससे उतनी जल्दी पीछा छुड़ा सकेंगे. इसलिए नियमित रूप से हेल्थ चेकअप कराते रहना चाहिए. 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को मैमोग्राफी, पैप स्मीयर और अल्ट्रासाउंड जैसे विशिष्ट परीक्षण करवाने चाहिए. 55 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों के लिए, अल्ट्रासाउंड परीक्षण से बीमारी का जल्दी पता लगाने में मदद मिल सकती है. इसलिए ऐसे हेल्थ चेकअप को सपोर्ट करने वाला कैंसर बीमा खरीदना जरूरी है.
पर्याप्त सम इंश्योर्ड
कैंसर पॉलिसी के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं, लेकिन आपको पर्याप्त सम इंश्योर्ड वाली ही पॉलिसी खरीदनी चाहिए. इलाज का खर्च हर साल बढ़ रहा है, इसलिए आपका सम इंश्योर्ड उतना होना चाहिए जो इस खर्च को कवर कर सके.
आम तौर पर, आप जिस जगह रहते हैं वहां के इलाज खर्च का 1.25 गुना कैंसर बीमा कवरेज लेना आवश्यक है. इस तरह, आप बढ़ते चिकित्सा खर्च का मुकाबला आसानी से कर सकते हैं. अगर आप फैमिली फ्लोटर पॉलिसी ले रहे हैं तो ज्यादा कवरेज चुनना चाहिए.
को-पेमेंट क्लॉज समझें
को-पेमेंट क्लॉज यानी सह-भुगतान के नियम के मुताबिक, पॉलिसीधारक को इलाज पर होने वाले खर्च का कुछ हिस्सा खुद उठाना पड़ता है. जबकि, बकाया रकम आपकी बीमा कंपनी चुकाती है. इस क्लॉज से आपको प्रीमियम कम करने में मदद मिलती है, लेकिन कैंसर के लिए खरीदी हुई पॉलिसी में इसका उपयोग उचित नहीं होगा क्योंकि उपचार का खर्च काफी ज्यादा होता है, इसलिए आपको एक बड़ा हिस्सा चुकाना होता है, जो प्रीमियम की बचत के मुकाबले काफी ज्यादा होता है.
वेटिंग पीरियड चेक करें
कैंसर के लिए बीमा खरीदते वक्त पॉलिसी के वेटिंग पीरियड के नियम को जान लेना जरूरी है. अलग-अलग हेल्थ इंश्योरेंस योजनाओं में अलग-अलग वेटिंग पीरियड होता है. यदि वेटिंग पीरियड लंबा होगा तो आपके कैंसर के उपचार का कवरेज शुरू होने में काफी लंबा इंतजार करना पड़ेगा.
टर्म की तुलना करें
कुछ प्लान में अधिकतम 20 साल की टर्म मिलती है. यदि आप 30 साल के हैं तो ये काफी नहीं है क्योंकि जब आप 50 साल के हो जाएंगे तब ये प्लान समाप्त हो जाएगा और आपको फिर से नया प्लान खरीदने के लिए उस वक्त काफी ज्यादा प्रीमियम चुकाना पड़ेगा. आपको अपनी जरूरत के आधार पर अलग-अलग कंपनियों के प्लान के टर्म के बारे में पता करना चाहिए.
एक बात याद रखें, कैंसर प्लान अलग से खरीदना चाहिए, उसे आपकी स्टैंडर्ड हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के बदले में न खरीदें. पॉलिसी के साथ कितने लाभ मिलते हैं, कितनी सीमाएं हैं, क्या नियम हैं और कितनी शर्तें हैं ये जानने के लिए सेल्स ब्रोशर को ध्यान से पढ़ें.