Cancer Insurance: कैंसर पेशेंट्स की बढ़ती संख्या और इसके महंगे इलाज को देखते हुए, इंश्योरेंस (Insurance) कंपनियां अब पॉलिसी के नियमों और शर्तों के अनुसार फ्री लुक पीरियड के बाद बीमारी से पीड़ित लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की पेशकश करती हैं.
कैंसर-स्पेसिफिक इंश्योरेंस पॉलिसी में कैंसर के डायग्नोस और ट्रीटमेंट, जिसमें हॉस्पिटलाइजेशन, कीमोथेरेपी, रेडिएशन और सर्जरी शामिल है.
“पैसा आमतौर पर डायग्नोस के विभिन्न चरणों जैसे माइनर, मेजर और क्रिटिकल स्टेज में देना होता है. हालांकि, कैंसर इंश्योरेंस पॉलिसियां आम तौर पर डेथ, मैच्योरिटी और सरेंडर बेनिफिट नहीं देती हैं.
वास्तव में, यह ट्रीटमेंट के लिए अस्पताल में एडमिट होने के एक्चुअल एक्सपेंस तक भी लिमिटेड नहीं है,” पॉलिसीबाजार डॉट कॉम ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है.
यदि आप कैंसर इंश्योरेंस खरीदना चाहते हैं, तो सही प्लान और ऑफर की ओर बढ़ने से पहले दो शर्तों को पूरा करना होगा.
1. आप कैंसर सर्वाइवर नहीं हो सकते
2. आप पहले से मौजूद किसी भी कैंसर से पीड़ित नहीं हो सकते हैं
कई इंश्योरेंस कंपनियां गंभीर बीमारी से सुरक्षा प्रदान कर रही हैं. इनमें आदित्य बिड़ला एक्टिव कैंसर सिक्योर प्लान, बजाज आलियांज क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस प्लान, भारती AXA क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस प्लान, चोला MS क्रिटिकल हेल्थलाइन प्लान आदि शामिल हैं.
ज्यादातर इंश्योरेंस कवर लंग, ब्रेस्ट, ओवरियन, स्टमक, हाइपोलेरिंक्स और प्रोस्टेट कैंसर को कवर करते हैं. यदि आप समय-समय पर अपना हेल्थ चेकअप करवाते हैं, तो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का शुरुआती स्टेज में पता लगाया जा सकता है.
शुरुआत में पता चलने पर आसानी से इसका इलाज किया जा सकता है. इसलिए, जब भी आप कैंसर पॉलिसी लें, तो ध्यान रखें कि ऐसा कवर चुनें जिसमें हेल्थ चेकअप भी शामिल हो.
स्टैंडअलोन कैंसर पॉलिसी स्किन कैंसर, सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज, HIV या AIDS द्वारा डायरेक्ट/इनडायरेक्ट तरह से होने वाले किसी भी तरह के कैंसर को कवर नहीं करती हैं.
प्री-एक्सिस्टिंग कंडीशन या जो बायोलॉजिकल, न्यूक्लियर, या केमिकल कंटामिनेशन से प्रेरित हैं, किसी नॉन-डायग्नोस्टिक या थेराप्यूटिक सोर्स से रेडिएशन या रेडियोएक्टिव के संपर्क में आने से भी इंश्योरेंस के लिए एलिजिबल नहीं होंगे.
इस स्कीम में मिलने वाले सबसे खास फायदों में से एक है प्रीमियम छूट, जिसका अर्ली स्टेज डायग्नोसिस में लाभ उठाया जा सकता है.
फर्स्ट डायग्नोस के बाद इंश्योरेंस कवर समाप्त नहीं होता है और यह इनकम टैक्स एक्ट 80D के तहत टैक्स बेनिफिट भी देता है.
10 लाख रुपये के कवर के लिए, औसत प्रीमियम अमाउंट 248 रुपये मंथली (20 साल के लिए) आएगा.
20 लाख रुपये के कवर के लिए, औसत प्रीमियम अमाउंट 1,169 रुपये मंथली (20 साल के लिए) आएगा
एक क्रिटीकल इलनेस (CI) प्लान स्पेसिफिक क्रिटिकल डिजीज जैसे स्ट्रोक, मेजर ऑर्गन ट्रांसप्लांट, पैरालिसिस, कार्डियक अरेस्ट, मल्टीपल स्केलेरोसिस, किडनी फेल्योर, पूरा अंधापन, बहरापन, आदि के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है.
ज्यादातर प्लान कैंसर को कवर करते हैं अगर यह एडवांस स्टेज में है तो. इसके अलावा, क्रिटिकल इलनेस प्लान, बेनिफिट प्लान हैं जो लिस्ट में शामिल बीमारी के डायग्नोस पर एकमुश्त रकम का भुगतान करते हैं.
कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ केयर प्लान की तुलना में CI प्लान सस्ता है, लेकिन यह कैंसर के ट्रीटमेंट के कई पहलुओं पर ध्यान नहीं देता है जो एक स्टैंडअलोन कैंसर-स्पेसिफिक पॉलिसी देती है.
इसमें ट्रीटमेंट के बाद की कॉम्प्लिकेशंस के लिए कवरेज, अर्ली स्टेज कैंसर के लिए ट्रीटमेंट कॉस्ट आदि शामिल हैं. यदि पॉलिसीहोल्डर पॉलिसी खरीदने के 90 दिनों के भीतर कैंसर के लक्षण दिखाता है, तो उसे बेनिफिट नहीं मिलेगा.
कैंसर मानसिक, सामाजिक और आर्थिक जैसा ही एक शारीरिक रोग है. इसका पेशेंट के साथ-साथ परिवार पर भी गंभीर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है.
इसका इलाज काफी महंगा है जो पेशेंट के साथ-साथ परिवार पर भी फाइनेंशियल बर्डन डालता है. यदि आपके परिवार में किसी को कैंसर हो चुका है, तो आपको इस प्लान को लेने का बारे में सोचना चाहिए.
यदि आप परिवार में अकेले कमाने वाले हैं और आपके पास कैंसर जैसी बीमारी से निपटने के लिए पर्याप्त फंड नहीं है, तो ऐसी स्थिति में भी आपको इस प्लान को लेने के बारे में सोचना चाहिए.