अगर घर में कमाने वाले की मौत हो जाए तो ऐसी सूरत में जीवन बीमा पॉलिसी (Life insurance policy ) परिवार को वित्तीय सुरक्षा (financial security) देती है. ये जानकर बड़ी राहत मिलती है कि लाखों परेशानियों के बावजूद कहीं ना कहीं आपके परिवार का भविष्य सुरक्षित है. इसलिए आपके फाइनेंशियल पोर्टफोलियो (financial portfolio) में सबसे पहले अगर कुछ जरूरी है तो वो है लाइफ इंश्योरेंस. अब जब इंश्योर्ड आदमी (जिसका बीमा हुआ है) की मौत होती है, तो उनके द्वारा नामांकित व्यक्ति दावे की रकम का हकदार हो जाता है. हालांकि अगर ये नामांकित व्यक्ति कानूनी तौर पर मृतक का कानूनी उत्तराधिकारी नहीं है, तो वो उस पैसे का इस्तेमाल नहीं कर सकता. लेकिन इस नियम में संशोधन किया गया है.
संशोधित बीमा अधिनियम, 2015 (amended Insurance Act, 2015) ने एक नई कैटेगरी बनाई है जिसे ‘ beneficial nominees ‘ के तौर पर जाना जाता है. अब अगर पॉलिसीहोल्डर के मां बाप, पति, पत्नी या बच्चों को पॉलिसी में नामांकित किया जाता है, तो उनके अधिकार कानूनी उत्तराधिकारियों के अधिकार से ज्यादा माने जाएंगे, जिससे क्लेम लेने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी. इसका मतलब ये है कि अगर पॉलिसी होल्डर बीमा खरीदते समय अपने बेनेफिशिरी का का नाम लिखवा देता है तो यह आदमी (beneficial nominee) दावे की रकम का आखिरी उपभोक्ता बन जाता है.
संपत्ति, बीमा पॉलिसियां या दूसरे कोई भी निवेश करते समय नामांकन (nomination) करना जरूरी समझा जाता है. अगर नॉमिनी नाबालिग है (18 वर्ष से कम उम्र) तो पॉलिसी होल्डर को सलाह दी जाती है कि वो दावे की रकम लेने के लिए नॉमिनी का संरक्षक/अभिभावक (custodian/guardian) नामित कर दे.
नामांकन की प्रक्रिया दरअसल, पॉलिसी होल्डर को उसकी मौत पर रकम का दावा करने वाले आदमी को नामांकित (प्रस्तावित या औपचारिक रूप से एक उम्मीदवार के रूप में दिखाना) करने का हक देती है.
श्वेता जैन, फाइनेंशियल प्लानर और इन्वेस्टोग्राफी (Investography ) की फाउंडर ने कहा, “आपकी मौत के बाद दोवे की रकम लेने के लिए किसी को भी नॉमिनी बनाया जा सकता है. ये जरूरी नहीं कि नॉमिनी का आपसे खून का रिश्ता हो, पर कायदे से कोई ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जिस पर पैसे को लेकर आप पूरी तरह भरोसा कर सके ”. हालांकि, एक नामांकित व्यक्ति उस संपत्ति का केवल संरक्षक/न्यासी (custodian/trustee/protector) होता है. और वो इस पैसे को इसके कानूनी उत्तराधिकारी को सौंप सकता है.
पॉलिसी होल्डर की मौत के मामले में, दावे की रकम या तो नामांकित व्यक्ति या फिर कानूनी उत्तराधिकारी को ही मिलती है, बशर्ते भारत के किसी न्यायालय द्वारा कोई और निर्देश न दिया जाए। पर नए नियम के मुताबिक अगर बीमित व्यक्ति प्रपोजल फॉर्म में अपने लाभकारी नामांकित व्यक्तियों (beneficial nominees) का नाम लिखवा देता है तो दावे की रकम बिना किसी विवाद के सीधे नामांकित व्यक्ति के पास ही जाती है.
बीमा अधिनियम (The Insurance Act ) ने ‘ beneficial nominee’ की कैटेगरी को जोड़ा है, जो आपको पति, पत्नी, बच्चों, मां बाप या चचेरे भाई जैसे किसी भी नजदीकी रिश्तेदार को नामित करने का हक देता है.
जैसा कि ऊपर बताया गया है, एक beneficial nominee, बीमित व्यक्ति का जीवनसाथी, बच्चे या मां बाप हो सकता है और दावे की रकम का सीधा हकदार भी. इसका मतलब ये भी है कि इस नियम के मुताबिक ‘beneficial nominee’ बीमा के फायदों का आखिरी उम्मीदवार होगा.आमतौर पर ऐसा केवल नॉमिनी के मामले में नहीं होता था.
-ओरिजिनल पॉलिसी दस्तावेज
-किसी स्थानीय नगरपालिका प्राधिकरण द्वारा जारी बीमित व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण पत्र (Death Certificate)
– नॉमिनी को क्लेम लेने के लिए बीमा करने वाली कंपनी को उनके मांगे गए दस्तावेज या जानकारी भी देनी पड़ेगी
अगर लाभार्थी (beneficial nominee ) की मौत पॉलिसीधारक की मौत के तुरंत बाद बीमा की रकम का भुगतान होने से पहले ही हो जाती है तो मृतक नामांकित व्यक्ति (deceased nominee ) का हिस्सा उसके कानूनी प्रतिनिधि या उत्तराधिकार प्रमाण पत्र देने वाले को दिया जाएगा.
ऐसे मामलों में जहां पॉलिसीधारक से पहले नॉमिनी की मौत हो जाए वहां पॉलिसीधारक के उत्तराधिकारियों या कानूनी प्रतिनिधियों या उत्तराधिकार प्रमाण पत्र के धारक को ये रकम मिल जाएगी.इसके अलावा पॉलिसी के पूरा होने से पहले किसी भी समय बीमित व्यक्ति नामांकन रद्द या बदला सकता है.
बीमा के मामले में हमेशा से ये विवाद रहा है कि बीमा पॉलिसी की रकम पर कानूनी उत्तराधिकारी का हक एक आम नॉमिनी से बड़ा होता है. इसलिए यहां ‘लाभार्थी नामांकित व्यक्ति’ (‘beneficial nominee) को शामिल करने से बीमित व्यक्ति (insured person ) इस पेंच से बच सकता है.
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