हेल्थ इंश्योरेंस लेने से पहले जरूर समझ लें ये बातें, हमेशा रहेंगे फायदे में

किसी भी कारण से, अगर आप एक निजी अस्पताल के कमरे में रहना चाहते हैं, तो आपको बीमा होने के बावजूद निर्धारित राशि से अधिक पैसा देना होगा.

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आपको नो-क्लेम बोनस दिया जाता है. सबसे जरुरी होता है कि सही इंश्योरेंस ब्रोकर को चुनें जो आपको सही हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी चुनने में मदद कर सके

आपको नो-क्लेम बोनस दिया जाता है. सबसे जरुरी होता है कि सही इंश्योरेंस ब्रोकर को चुनें जो आपको सही हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी चुनने में मदद कर सके

आमतौर पर हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) पॉलिसी के दस्तावेजों को समझना आसान नहीं होता है. इसमें तकनीकी शब्दों की भरमार रहती है. किसी भी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को समझे बिना खरीदना आपके लिए एक महंगा सौदा हो सकता है. प्रत्येक बीमा पॉलिसी अपने अलग-अलग नियमों और शर्तों के साथ आती है. इसके नियम व शर्तें पहले की खरीदी गयीं बीमा पॉलिसी से भिन्न हो सकती हैं. यह बीमाकृत व्यक्ति की बीमा राशि, प्रीमियम और स्वास्थ्य स्थिति पर भी निर्भर करता है. ऐसे में बीमा पालिसी के दस्तावेजों को नज़र अंदाज़ करना आपके लिए काफी नुकसानदायक भी हो सकता है. सब-लिमिट स्वास्थ्य बीमा का मूल्यांकन करने के लिए महत्वपूर्ण बातों में से एक है.

जानिए क्या होती है सब-लिमिट क्लॉज

हेल्‍थ इंश्‍योरेंस में सब-लिमिट सबसे महत्‍वपूर्ण होती है. स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के तहत बीमित कुल राशि के बावजूद, उपचार या स्थिति निर्धारित सब-लिमिट से अधिक नहीं हो सकती है. पॉलिसी बाजार के प्रमुख अमित छाबड़ा के मुताबिक, सब-लिमिट को एक निश्चित राशि या कुल बीमा राशि के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जा सकता है. हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का मूल्यांकन करते समय सब-लिमिट की जानकारी होना बहुत जरुरी है. ज्यादातर स्वास्थ्य बीमाकर्ताओं ने अपनी नीतियों में दो प्रकार की महत्वपूर्ण सब-लिमिट को शामिल किया है. इसके अलावा, कुछ बीमा कंपनियां बीमाधारक के बजट के आधार पर सब-लिमिट को वैकल्पिक बनाती हैं.

कमरे के किराए पर सब-लिमिट

अधिकांश पॉलिसियों में प्रति दिन के आधार पर अस्पताल के कमरे के किराए के शुल्क के लिए ऊपरी सीमा तय की गई है. कुछ अवसरों पर कमरे के प्रकार को भी सीमित कर दिया गया है. उदाहरण के लिए इसपर विचार करें कि आपकी बीमा पॉलिसी कमरे के किराए के रूप में बीमित राशि का 1% कवर करती है. अब, किसी भी कारण से, अगर आप एक निजी अस्पताल के कमरे में रहना चाहते हैं, तो आपको बीमा होने के बावजूद निर्धारित राशि से अधिक पैसा देना होगा. इसके अलावा आईसीयू (ICU) के किराए में पूरी तरह से एक अलग सब-लिमिट हो सकती है.

इसके अलावा, अस्पताल के कमरे के प्रकार का रोगी को दी जाने वाली अन्य सेवाओं पर सीधा प्रभाव पड़ता है. इसका मतलब है कि सर्जिकल प्रक्रियाओं, परामर्श या किसी अन्य चिकित्सा उपचार के लिए लिया जाने वाला शुल्क एक शेयरिंग रूम की तुलना में एक निजी कमरे के लिए महंगा होगा. इसलिए, अस्पताल के कमरे का चयन करने से पहले ऊपरी सब-लिमिट पर एक नजर जरूर डाल लें.

इनपेशेंट उपचार पर सब-लिमिट

स्वास्थ्य बीमाकर्ता अक्सर पॉलिसी के अंतर्गत आने वाले विशिष्ट उपचारों में सब-लिमिट को एड करते हैं. यह समझना बहुत जरूरी है कि सब लिमिट कुल बीमा राशि पर निर्भर नहीं है. आपकी कुल राशि अधिक हो सकती है, लेकिन किसी विशेष उपचार या सर्जरी के लिए सब-लिमिट को किसी भी सीमा तक सेट किया जा सकता है. यह आपको इलाज के लिए किए गए कुल अस्पताल खर्च का दावा करने से रोक सकता है.

छाबड़ा के मुताबिक, आपकी बीमा राशि 5 लाख रुपये हो सकती है, जबकि आई सर्जरी के लिए सब-लिमिट कुल राशि का केवल 30% हो सकती है. इसलिए, आप उपचार के लिए केवल 1.5 लाख रुपये तक का दावा ही कर पाएंगे. “हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बिना सब-लिमिट के बीमा पॉलिसी के परिणामस्वरूप पॉलिसीधारकों के लिए हमेशा उच्च प्रीमियम होता है. मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए अस्पताल का चयन करने से पहले, पॉलिसीधारकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कमरे का किराया और मेडिकल प्रोसीडर्स जैसे फीस अस्पताल की रिंबर्समेंट लिमिट के भीतर हों.

छाबड़ा बताते हैं कि अंतिम समय में किसी भी भ्रम से बचने के लिए और अपने क्‍लेम सैटेलमेंट से सही एक्‍पेक्‍टेशन निर्धारित करने के लिए, आपको एक कमरा चुनने से पहले अपने इंश्‍योरेंस प्रोवाइडर के साथ अपर बॉन्‍डस पर चर्चा करने पर विचार करना चाहिए.

Published - July 29, 2021, 11:42 IST