सरकार ने थर्ड पार्टी मोटर बीमा की दरों में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए कोई बदलाव नहीं करने का प्रस्ताव रखा है. ये फ़ैसला बीमा धारकों के लिए एक तरफ़ जहां ख़ुशी लेकर आया लेकिन इसकी वजह से वाहन बीमा कंपनियों में नाराज़गी देखने को मिल रही है. बीमा कंपनियों का कहना है कि थर्ड पार्टी बीमा के प्रीमियम की आधार दरों को न बढ़ाकर सरकार ने उनके साथ नाइंसाफ़ी की है. दरअसल बीमा कंपनियों का कहना है कि बीते कुछ सालों में थर्ड पार्टी बीमा क्लेम की संख्या काफ़ी बढ़ गई है जिससे उन्हें क्लेम के साथ उनके खर्चों की संभालने में दिक्कत आ रही है.
आंकड़ों पर नज़र डालें तो वित्त वर्ष 2021-22 की अपेक्षा वित्त वर्ष 2022-23 में थर्ड पार्टी बीमा क्लेम में 10 से 15 फ़ीसदी का उछाल आया है. बीमा कंपनियों का तर्क है कि मोटर बीमा के औसतन क्लेम का भार बढ़ता जा रहा है क्योंकि पिछले कुछ सालों से मेडिकल खर्च बढ़ गया है और गाड़ियों की क़ीमत में भी उछाल आया है. ऐसे में थर्डी पार्टी बीमा की आधार दरों में बदलाव न होने की स्थिति में उनके ऊपर क्लेम का दवाब बढ़ेगा और उनका घाटा बढ़ेगा. हालांकि बीमा दरों को यथावत रखने के इस प्रस्ताव पर सरकार ने 30 दिन के भीतर टिप्पणियां और सुझाव मांगे हैं.
बता दें बीमा नियामक इरडा (IRDAI) और सड़क यातायात एवं राजमार्ग मंत्रालय के बीच विचार विमर्श के बाद थर्ड पार्टी बीमा प्रीमियम दरों का प्रस्ताव जारी किया गया है. इसके मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 के 1000 सीसी से नीचे की निजी कारों के लिए आधार प्रीमियम की 2,094 रुपए रखी है. 1000 से 1500 सीसी तक की निजी कारों के लिए 3,416 रुपए का प्रीमियम देना होगा . वहीं 1500 सीसी से अधिक क्षमता वाली कारों के लिए प्रीमियम 7,897 रुपए होगा और दोपहिया वाहनों के लिए बीमा प्रीमियम 538 रुपए से लेकर 2,804 रुपए के बीच होगा. इसके अलावा इस प्रस्ताव में शैक्षणिक संस्थानों की बसों के लिए 15% की छूट प्रस्तावित है. विंटेज कार के रूप में पंजीकृत निजी कार के लिए 50% की छूट देने के लिए कहा गया है. इलेक्ट्रिक वाहनों और हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए क्रमशः 15% और 7.5% की छूट प्रस्तावित की गई है. साथ ही तिपहिया यात्री वाहनों के लिए बेस प्रीमियम दर में लगभग 6.5% की देने के लिए कहा गया है.