क्या डॉक्टरों और दूसरे मेडिकल स्टाफ को कवर देने से इनकार कर रही हैं बीमा कंपनियां?

ऐसे मामले सामने आए हैं, खासकर कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान, जब डॉक्टरों और अन्य मेडिकल स्टाफ को इंश्योरेंस नहीं दिया गया.

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केंद्र सरकार ने कहा है कि कोविड-19 राहत कार्य में शामिल रहने या महामारी से निपटने के लिए तैयारियों से जुड़ी गतिविधियों में शामिल रहने के चलते संक्रमण से जान गंवाने वालों के परिजनों को भी अनुग्रह राशि दी जाएगी.

केंद्र सरकार ने कहा है कि कोविड-19 राहत कार्य में शामिल रहने या महामारी से निपटने के लिए तैयारियों से जुड़ी गतिविधियों में शामिल रहने के चलते संक्रमण से जान गंवाने वालों के परिजनों को भी अनुग्रह राशि दी जाएगी.

कोविड-19 के बाद हर तरह के इंश्योरेंस (चाहे हेल्थ हो या लाइफ) की डिमांड में तेज उछाल आया है. वायरस से संक्रमित होने के डर से कई लोगों ने अपना लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस करवाया है. स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाओं में काम कर रहे लोगों के लिए वायरस के संक्रमण का खतरा अधिक होता है. जिसकी वजह से उन्हें दूसरों की तुलना में कहीं ज्यादा इंश्योरेस कवर की जरूरत है.

हालांकि, ऐसे मामले सामने आए हैं, खासकर कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान, जब डॉक्टरों और अन्य मेडिकल स्टाफ को इंश्योरेंस नहीं दिया गया.

बीमा लेने में आ रही मुश्किलें

Beshak.org के फाउंडर महावीर चोपड़ा कहते हैं, “डॉक्टरों को पूर्व-कोविड-19 या पहली लहर के दौरान कभी इंश्योरेंस खरीदने के लिए चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा था. दूसरी लहर के बाद इंश्योरेंस कंपनियों के पास हेल्थकेयर वर्कर्स की ओर से ढेर सारे क्लेम आए. बाद में नए इंश्योरेंस लेने वालों से खास प्रश्न पूछा जाने लगा कि क्या वो रोजाना कोविड पीड़ित रोगियों के संपर्क में आते हैं या नहीं?”

उन्होंने कहा, “बीमाकर्ताओं द्वारा हेल्थकेयर वर्कर्स के प्रस्तावों को अस्वीकार करने या उन्हें अधिक प्रीमियम का भुगतान करने के लिए कहने के कई मामले सामने आए हैं.”

बीमा कंपनियों का तर्क

हालांकि, बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के रिटेल अंडरराइटिंग के प्रमुख गुरदीप सिंह बत्रा ने जोर देकर कहा कि इंश्योरेंस कंपनियां ऐसा नहीं कर सकती हैं. इंश्योरेंस कंपनी किसी प्रपोजल को सिर्फ इसलिए खारिज नहीं कर सकती क्योंकि कोई डॉक्टर, वकील या किसान है.

वे कहते हैं, “हम व्यवसाय के आधार पर इंश्योरेंस से इनकार नहीं करते हैं. सभी डॉक्टर्स जिन्होंने हम से इंश्योरेंस लिया है वो अपनी इंश्योरेंस पॉलिसी को रिन्यू कराने में सक्षम हैं. हमने अन्य इंश्योरेंस कंपनियों के साथ भी ऐसा कोई मामला नहीं देखा है.”

उनका कहना है कि सभी बीमाकर्ता फ्रंटलाइन वर्कर्स के सपोर्ट में आगे आ रहे हैं.

बत्रा आगे कहते हैं कि ऐसे मामले भी हो सकते हैं जहां किसी हेल्थ डेफिशिएंसी के कारण प्रपोजल को रिजेक्ट कर दिया गया हो.
“यदि आप में कोविड-19 के लक्षण हैं, तो आपको पॉलिसी नहीं दी जाएगी. इसका आपके व्यवसाय से कोई लेनादेना नहीं है.”

कोरोना कवच पॉलिसीज

सभी स्वास्थ्य बीमाकर्ताओं ने कोविड-स्पेसिफिक कोरोना कवच पॉलिसी शुरू की है, जिसमें वो डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को प्रीमियम में 5% की छूट प्रदान करते हैं. ऐसा करना इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDA द्वारा जरूरी कर दिया गया है.

अगस्त 2020 में, मैक्स बूपा हेल्थ इंश्योरेंस ने एक नया उत्पाद ‘Reassure’ लॉन्च किया, जिसमें डॉक्टर्स को प्रीमियम में 5% की छूट दी गई है.

इंश्योरेंस चैरिटी नहीं

बीमा कंपनियों का कहना है कि वो स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों के साथ भेदभाव नहीं कर रही हैं.

चोपड़ा कहते हैं, “निजी बीमाकर्ता बैलेंस शीट मेंटेन करते है. वो शेयरधारकों के प्रति जवाबदेह हैं. मेडिकल स्टाफ के लिए कोविड-19 एक युद्ध जैसी स्थिति है. यह इंश्योरेंस कंपनियों से सीमा पर लड़ रहे सैनिकों के जीवन को कवर करने के लिए कहने जैसा है. सरकार को डॉक्टरों को इंश्योरेंस देने के लिए आगे आना चाहिए या बीमाकर्ताओं से उनके नुकसान को कवर करने का वादा करना चाहिए.”

पीएम मोदी ने की तारीफ

डॉक्टर्स डे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई अन्य संगठनों के साथ पूरे देश की ओर से डॉक्टरों और दूसरे मेडिकल स्टाफ को धन्यवाद दिया. लेकिन, क्या हम कोविड-19 योद्धाओं को सिर्फ शब्दों से खुश कर रहे हैं या वास्तव में उनकी देखभाल कर रहे हैं? ये केवल आने वाला समय ही बताएगा.

सरकार ने हेल्थकेयर वर्कर्स को बीमा कवर प्रदान करने के लिए 2020 में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज लॉन्च किया था. कोविड-19 के कारण मृत्यु या COVID-19 की वजह से आकस्मिक मृत्यु के मामले में, इससे प्रभावित परिवार को 50 लाख रुपये के बीमा कवर का वादा किया गया है. हालांकि, अधिक सरकारी सहायता, विशेष रूप से हेल्थ इंश्योरेंस में, समय की मांग है.

Published - July 1, 2021, 09:25 IST