एचडीएफसी (HDFC) लाइफ के चेयरमैन दीपक एस पारेख ने कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि भारत में जीवन बीमा कंपनियों (Life Insurance Companies) को हेल्थकेयर सेक्टर में एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए एक बड़ी भूमिका निभाने की अनुमति दी जानी चाहिए. पारेख ने कहा कि इससे जीवन बीमा कंपनियां (Life Insurance Companies) ‘बाधक’ के बजाय ‘बदलाव’ की भूमिका निभा सकेंगी.
पारेख ने कंपनी की 2020-21 की वार्षिक रिपोर्ट में शेयरधारकों को संबोधित करते हुए कहा कि यह साल काफी अनिश्चितता के साथ शुरू हुआ. महामारी की वजह से मानव जीवन का काफी नुकसान हुआ और यह अब सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के लिए चुनौती है. उन्होंने कहा कि इस तरह के असाधारण संकट के बीच हमें तेजी से आगे बढ़ना होगा और वर्चुअल कार्य मॉडल के अनुरूप खुद को ढालना होगा.
उन्होंने कहा कि नए कारोबारी प्रीमियम के लिहाज से हम निरंतर शीर्ष दो निजी क्षेत्र की कंपनियों में बने हुए हैं. साल के दौरान हमारा प्रीमियम 20,107 करोड़ रुपये और बाजार हिस्सेदारी 21.5 प्रतिशत रही.
पारेख ने कहा कि एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी आर्थिक सुस्ती, वित्तीय क्षेत्र में तरलता के संकट और ग्राहकों की प्राथमिकताओं में बदलाव के बीच अनिश्चित कारोबारी माहौल में यह आंकड़ा हासिल कर पाई है. उन्होंने कहा कि कंपनी की विविधता वाले वितरण नेटवर्क की रणनीति से इसमें मदद मिली.
उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी प्रौद्योगिकी क्षमता के विस्तार के लिए निवेश जारी रखेंगे. मेरा मानना है कि अब समय आ गया है जबकि बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण बीमा कंपनियों को बाधक के बजाय बदलाव लाने की भूमिका निभाने की अनुमति दे.’’ Irdai भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण है.
उन्होंने कहा कि एशिया और अधिक विकसित बाजारों में कंपनियों ने बीमा को ग्राहक के लिए एक अधिक समग्र पेशकश बनाने के लिए सहायक और ऑर्केस्ट्रेटेड इकोसिस्टम बनाया है. एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि एशिया में अग्रणी बीमा कंपनियों में से एक ने एक स्वास्थ्य सेवा पारिस्थितिकी तंत्र बनाया है जिसमें ऑनलाइन चिकित्सा परामर्श जैसी सेवाएं शामिल हैं.
बताया कि एचडीएफसी लाइफ ने 2020-21 के दौरान चार करोड़ लोगों का बीमा किया, जिसमें नए कारोबार का मूल्य 2,185 करोड़ रुपये था. इस दौरान 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के भुगतान के साथ वर्ष के दौरान 2.9 से अधिक मृत्यु दावों का निपटारा किया.