भारत में कोविड-19 की रोकथाम के लिए दूसरे चरण की वैक्सीनेशन में फिलहाल दो वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है. ये दोनों वैक्सीन सुई से लगाई जाती हैं और तकरीबन 4 हफ्तों के अंतराल पर दूसरा डोज दिया जाता है. लेकिन अब एक ऐसी वैक्सीन का भी भारत में ट्रायल किया जा रहा है जो नाक के जरिए दी जा सकेगी और संभवतः ज्यादा कारगर भी हो. कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ही इस वैक्सीन का ट्रायल करने की तैयारी में है.
क्लिनिकल ट्रायल रजिस्ट्री ऑफ इंडिया (CTRI) की वेबसाइट पर इंट्रानेसल एडीनोवायरल वेक्टर कोविड-19 वैक्सीन (BBV154) के फेज-1 ट्रायल (Intranasal Adenoviral vector COVID-19 vaccine (BBV154) Phase 1 ) को लेकर जानकारी दी गई है.
कैसे होगा ट्रायल?
जानकारी के मुताबिक भारत बायोटेक (Bharat Biotech) की इस वैक्सीन का ट्रायल 18 से 60 साल के उम्र के लोगों के बीच किया जाएगा. भारत में कुल 175 सैंपल पर ही इसका फेज-1 ट्रायल किया जाएगा.
70 लोगों के पहले ग्रुप को BBV154 वैक्सीन का सिर्फ एक डोज दिया जाएगा और 28 दिन बाद इंट्रानेसल तरीके से प्लेसेबो दिया जाएगा. वहीं दूसरे ग्रुप में भी 70 पार्टिसिपेंट होंगे लेकिन इन्हें दो डोज दिए जाएंगे. जबकि 35 लोगों वाले तीसरे ग्रुप को नाक से ही प्लेसेबो दिया जाएगा. जांच के लिए डाटा पर 42 दिन बाद एनालिसिस किया जाएगा और सुरक्षा और कार्य क्षमता पर CDSCO को रिपोर्ट सौंपी जाएगी.
Money9 को इस वैक्सीन को लेकर भारत बायोटेक के असोसिएट मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर शशि कांत मुनी से और जानकारी का इंतजार है.
दरअसल 8 जनवरी 2021 को भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) से इंट्रानेसल (नाक से दी जाने वाली वैक्सीन) का ट्रायल शुरू करने की मंजूरी मांगी थी. 3 मार्च को एक्सपर्ट कमिची ने फेज-1 ट्रायल को मंजूरी देने का सुझाव दिया है.
ये वैक्सीन फिलहाल इस्तेमाल में आ रही कोवैक्सीन से अलग होगी. कोवैक्सीन को पहले ही इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिल चुकी है.
कोवैक्सीन भी 81% कारगर
भारत बायोटेक की कोवैक्सिन को फेज-3 ट्रायल क्लिनिकल ट्रायल में 81 फीसदी कारगर साबित हुई है. वहीं कंपनी ने कहा है कि 130 कन्फर्मड मामलों में क्लिनिकल ट्रायल आगे भी जारी रहेगा ताकि अतिरिक्त जानकारी हासिल की जा सके.
फेज-3 ट्रायल में 25,800 लोगों पर इसका टेस्ट हुआ और ये इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के साथ पार्टनरशिप में किया गया ये भारत का सबसे बड़ा क्लिनिकल ट्रायल था.