कोविड-19 महामारी के कहर के दौरान 2020 में गोल्ड (Gold) की कीमतों में तेज उछाल रहा, लेकिन इस साल सोने में काफी गिरावट आई है. ऐसे में यह सवाल पैदा हो रहा है कि क्या युवा निवेशकों की गोल्ड को वही राय है जो कि उनके पेरेंट्स की थी. पिछले साल मार्च में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के कोविड-19 को एक वैश्विक महामारी बताने के बाद से ही कई भारतीय परिवारों में गोल्ड (Gold) की ऊंची कीमतों को लेकर ये चिंता पैदा होने लगी कि उनकी बेटियों की शादी करना अब मुश्किल हो जाएगा. आखिरकार गोल्ड (Gold) भारतीय परिवारों में शादियों का एक अहम हिस्सा जो है.
लोगों में ज्यादा से ज्यादा गोल्ड (Gold) इकट्ठा करने की प्रवृत्ति पाई जाती है. गुजरे वक्त में हुए कुछ सर्वे में कहा गया है कि 95 फीसदी भारतीय परिवारों के पास थोड़ा हो या बहुत, लेकिन गोल्ड (Gold) जरूर होता है. ऐसे में वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के उस अनुमान पर कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए जिसमें कहा गया है कि भारतीयों के पास 25,000 टन से ज्यादा सोना (Gold) है. इसके उलट भारत सरकार के पास 700 टन से भी कम सोना है.
गोल्ड को लेकर क्या सोचते हैं युवा?
लेकिन क्या युवा भारतीय निवेशक भी अपने पेरेंट्स की तरह से ही सोने (Gold) को देखते हैं? मुझे अभी तक इस बारे में कोई विश्वसनीय स्टडी नहीं मिली है, लेकिन, कुछ साक्ष्यों से लगता है कि ऐसा नहीं है. मैंने जब कुछ युवाओं और खासतौर पर शहरी मध्यम वर्गीय परिवारों के युवाओं से बात की तो मुझे पता चला कि वे गोल्ड (Gold) को किसी भी तरह से एक निवेश के तौर पर नहीं देखते हैं.
मिसाल के तौर पर, मेरी भतीजी इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निवेश करती है, लेकिन गोल्ड (Gold) में उसका निवेश दफ्तर में छोटी ज्वैलरी पहनने के लिए खरीदारी करने से ज्यादा नहीं है. युवा ट्रैवलिंग, खाने-पीने और कॉन्सर्ट्स जैसे अनुभवों पर पैसा खर्च करने को तरजीह देते हैं.
अरेंज्ड नहीं लव-मैरिज का बढ़ता ट्रेंड
युवाओं की गोल्ड (Gold) में दिलचस्पी में बदलाव की एक वजह यह भी है कि युवा पीढ़ी शादियों को लेकर परंपरागत रुख नहीं रखती है. वे अपने बच्चों या होने वाले बच्चों की लव-मैरिज के लिए खुले विचार रखते हैं. कई युवा कपल्स अपने पेरेंट्स से कहते हैं कि गोल्ड या हीरों पर पैसे खर्च करने की बजाय उनकी डेस्टिनेशन वेडिंग पर ज्यादा खर्च करें. अरेंज्ड मैरिज की बजाय लव मैरिज के बढ़ते ट्रेंड के साथ ही लोगों के आर्थिक भविष्य को लेकर सोने की भूमिका भी कम होती जा रही है.
युवाओं के पास ज्यादा हैं निवेश के विकल्प
इसके अलावा, सोने (Gold) के आकर्षण खोने की एक और वजह यह है कि नई पीढ़ी के पास अपने पेरेंट्स के मुकाबले निवेश के ज्यादा मौके उपलब्ध हैं. ऐतिहासिक रूप से भारतीय परिवार अपने पैसों को बैंक डिपॉजिट के तौर पर रखते रहे हैं. इसके बाद उनका निवेश जीवन बीमा, पोस्टल सेविंग्स और महंगी धातुओं और रियल एस्टेट में होता है. निवेश की सुरक्षा और रिटर्न की चिंताओं को लेकर इक्विटी उनकी प्राथमिकता में कभी भी ऊपर नहीं रही. अब ये चिंताएं खत्म हो गई हैं. 1 अप्रैल 1979 से अब तक सेंसेक्स ने 500 गुना रिटर्न दिया है. इसका मतलब है कि उस वक्त जिसने भी 1 लाख रुपये मार्केट में लगाए होंगे, वे पैसे अब बढ़कर 5 करोड़ रुपये हो गए होंगे.
डायवर्सिफिकेशन की अहमियत
युवा निवेशक कंपाउंडिंग और डायवर्सिफिकेशन की ताकत को समझ गए हैं. अब वे ज्यादा सोच-विचारकर अपने पैसे को निवेश कर रहे हैं. निवेश पोर्टफोलियो के नजरिये से गोल्ड इसका एक बेहद छोटा हिस्सा है. पोर्टफोलियो आवंटन में गोल्ड (Gold) की हिस्सेदारी का आधुनिक विचार ये है कि कुल निवेश में इसकी हिस्सेदारी 3-10 फीसदी तक होनी चाहिए.
लेकिन, कैसे कर सकते हैं गोल्ड में निवेश?
इस साल जनवरी में 1,931 डॉलर प्रति औंस से गिरते हुए सोना अब 1,700 डॉलर प्रति औंस पर आ गया है. अमरीकी ट्रेजरी बॉन्ड यील्ड में लगातार तेजी और वैश्विक आर्थिक माहौल में सुधार के चलते सोने (Gold) में गिरावट का ट्रेंड जारी है.
ऐसे में क्या युवा निवेशकों को इसमें पैसे लगाना चाहिए? और अगर हां तो कैसे?
फिजिकल गोल्ड नहीं गोल्ड BeEs
मेरा विचार है कि अपनी निवेश लायक रकम का 5 फीसदी हिस्सा गोल्ड (Gold) में लगाइए और इसे गोल्ड (Gold) ज्वैलरी की बजाय गोल्ड BeEs के रूप में लगाइए.
गोल्ड BeEs म्यूचुअल फंड होते हैं जिनका अंडरलेइंग प्राइस डोमेस्टिक गोल्ड (Gold) प्राइसेज के हिसाब से चलता है. लेकिन, गोल्ड ज्वैलरी के उलट इनमें आपको मेकिंग चार्ज जैसी चीजों पर पैसा बर्बाद नहीं करना पड़ता है. साथ ही आपको 24 कैरेट गोल्ड का दाम मिलता है. यह वर्चुअल गोल्ड आपके डीमैट खाते में पड़ा रहता है. साथ ही आप 1 यूनिट गोल्ड (Gold) भी ले सकते हैं जो कि 1 ग्राम गोल्ड के बराबर है.
मामूली निवेश के लिए ठीक है गोल्ड
एक सीमा के बाहर गोल्ड (Gold) के एक बेकार निवेश है. अगर इसे फिजिकल फॉर्म में रखा जाता है तो ये कहीं न कहीं सुरक्षित पड़ा रहता है. हालांकि, गोल्ड (Gold) को महंगाई के खिलाफ हेज के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन यह लॉन्ग टर्म निवेश के लिहाज से सबसे बढ़िया निवेश नहीं है.
मैं यह कह सकता हूं कि किसी कंपनी के स्टॉक में लगाया गया पैसा ज्यादा अच्छा रिटर्न देता है और ये कंपनी को पूंजी मुहैया कराता है जिससे इकनॉमिक वेल्थ पैदा होती है. भारत सरकार के गोल्ड (Gold) बॉन्ड भी अच्छा विकल्प हैं. जिन लोगों ने इन्हें 2016 में (सीरीज III) में खरीदा था, वे 54 फीसदी रिटर्न लेकर इससे बाहर निकल सकते हैं. ऐसे में गोल्ड (Gold) में पैसा लगाइए, लेकिन बहुत कम.
Disclaimer: लेखक TV9 कन्नड़ के मैनेजिंग ए़डिटर हैं. कॉलम में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं. लेख में दिए फैक्ट्स और विचार किसी भी तरह Money9.com के विचारों को नहीं दर्शाते.