भारत को एक विकासशील देश माना जाता है. यहां टॉय इंडस्ट्री (Toy Industry) के लिए फ्यूचर काफी ब्राइट है. भारत में नई टेक्नोलॉजी और आधुनिक चीजों के चलते यहां ग्रोथ की अपार संभावनाएं हैं. पीएम मोदी की ओर से चलाए जा रहे डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया के तहत इस सेक्टर (Toy Industry) की और ज्यादा ग्रोथ हो सकती है. तभी निवेशक यहां निवेश करने में रुचि दिखा रहे हैं. इस बारे में स्ट्रैटेजिक इन्वेस्टमेंट रिसर्च यूनिट की देविका चावला और कार्तिकेय सहगल का कहना है कि भारत में खिलौनों का इतिहास काफी पुराना है यह सिंधु घाटी सभ्यता के समय से मिलते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाने वाले खिलौनों में शुरुआती दौर में पक्षी, बंदर, सीटी आदि खिलौने होते थे. इनमें से कुछ धागे के साथ बंधी गाड़ियां भी होती थी। आमतौर पर वो मिट्टी और चट्टानों जैसी प्राकृतिक सामग्री से बनाई जाती थीं. तब से टॉय उद्योग(toy industry) ने एक लंबा सफर तय किया है.
प्रौद्योगिकी और मशीनरी को आगे बढ़ाते हुए भारत में पारंपरिक, हस्तनिर्मित, क्षेत्र-विशिष्ट खिलौनों की समृद्ध विरासत के साथ-साथ आधुनिक खिलौनों का निर्माण किया गया है.
निवेशकों के लिए भारत में अपार संभावनाएं
अभी भारतीय खिलौना बाजार (Toy Industry) का मूल्य करीब वन बिलियन डॉलर है. इसमें माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (MSME) और बड़ी इकाइयों के साथ-साथ आयात किए गए खिलौनों के कारखाने भी शामिल हैं.
घरेलू क्षेत्र को कच्चे माल जैसे प्लास्टिक, पेपरबोर्ड और फैब्रिक की भारत में पूरी उपलब्धता है. इसी के साथ भारत दुनिया भर में पॉलिएस्टर और संबंधित फाइबर का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. इंडिया में खिलौनों के 4,000 मजबूत घरेलू मैन्युफैक्चर्स में से 75 प्रतिशत सूक्ष्म इकाइयां हैं. जो बडे पैमाने पर खिलौनों का प्रोडक्शन करती हैं. इसके अलावा, भारत में लेबर कॉस्ट वियतनाम और चीन जैसे बडे मैन्यूफैक्चरर्स की तुलना में काफी कम है. इसके चलते भारत में खिलौने के निर्माण में कंपनियों की लागत कम लगती है.
ग्राहकों का बड़ा बाजार
भारत में आबादी बहुत है. इसमें से 1.3 बिलियन से अधिक की आबादी 25 वर्ष से कम उम्र के युवाओं की है. इसी युवा आबादी के बीच खिलौनों की डिमांड सबसे अधिक है. ऐसे में खिलौने बनाने वाली कंपनियों के लिए भारत में एक बड़ा बाजार है. देश में लोगों की आय भी पिछले दिनों की तुलना में काफी बढ़ी है. जिससे लोगों की खरीदारी की क्षमता बढ़ाई है. भारत के घरेलू बाजार में सभी तरह के खिलौनों की डिमांड अधिक है. अब यहां महंगे खिलौने भी लोग खरीद रहे हैं. वहीं प्रधानमंत्री के ‘डिजिटल इंडिया’ अभियान और अधिक से अधिक इंटरनेट कनेक्टिविटी की सुविधा ने अब खिलौनों की ऑनलाइन बिक्री भी बढ़ा दी है.
आत्मानिर्भर भारत अभियान से मिला बल
प्रधानमंत्री द्वारा हाल ही में भारत में आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू किया गया था. प्रधानमंत्री द्वारा भारत को विश्व में ग्लोबल सप्लाई चेन के हब के रूप में स्थापित करने की कल्पना भी की गई. इसी दिशा में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है. प्रधानमंत्री के मुताबिक, आने वाले समय में भारत दुनियाभर के व्यवसायों को अपनी ओर आकर्षित करने में सक्षम होगा. देश में इस दिशा में लगातार काम किया जा रहा है. टॉय सेक्टर में एक राष्ट्रीय कार्य योजना भी विकसित की गई है. इन एजेंडों में सार्वजनिक रूप से खिलौनों की खरीद, भारत में बने खिलौनों को बढ़ावा देना और स्वदेशी खिलौना क्लस्टर, उपभोक्ता जागरूकता अभियान, भारत निर्मित खिलौनों के निर्यात को बढ़ावा देना आदि शामिल हैं.
कई भारतीय राज्य घरेलू खिलौना निर्माण उद्योग को विकसित करने में सबसे आगे रहे हैं। जहां कई राज्य अपने पारंपरिक दस्तकारी खिलौनों के लिए बेहतर निर्माण पर जोर दे रहे हैं. वहीं वे निवेशकों को कर्नाटक के कोप्पल और उत्तर प्रदेश में 100 एकड़ की सुविधा जैसे नए खिलौना क्लस्टर विकसित करने और बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.
कपड़ा मंत्रालय, एमएसएमई मंत्रालय और वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के संयुक्त प्रयास से 27 फरवरी से 2 मार्च 2021 तक राष्ट्रीय खिलौना मेला भी आयोजित किया जा रहा है. इस मेले का उद्देश्य, भारत में अपनी तरह का पहला, देश की खिलौना विनिर्माण ताकत, राज्य द्वारा राज्य का प्रदर्शन करना है. मेला उद्यमियों, शिल्पकारों, निर्यातकों, स्टार्टअप्स आदि को एक राष्ट्रीय मंच उपलब्ध कराएगा. इसके तहत, मौजूदा और आगामी टॉय डिजाइनिंग, विनिर्माण और वितरण सुविधाओं वाले भारतीय राज्यों को नेटवर्किंग और अन्य औद्योगिक खिलाड़ियों के साथ जुड़ने और अपने खिलौनों को दिखाने के लिए आमंत्रित किया गया है, ताकि दोनों के लिए खिलौना निर्माता एक सही प्लेटफार्म का निर्माण कर सकें.