यूनीकॉर्न, यानी वह पौराणिक जीव जो दिखने में घोड़े जैसा होता है और उसके सिर पर एक सींग लगी होती है. मेसोपोटामिया की कलाकृतियों में नजर आने वाले इस जानवर ने मनुष्यों को हमेशा से मोहित किया है. फाइनेंशियल दुनिया में एक अरब डॉलर की कीमत छू लेने वाले स्टार्टअप्स को यूनिकॉर्न कहा जाता है. इन दिनों पूरा इकोसिस्टम इन्हें लेकर बेहद उत्साहित है. नए जमाने के स्टार्टअप देश में ऐसा जोश जगा रहे हैं, उसके कई कारण हैं.
देश में इस साल अब तक कम से कम 31 स्टार्टअप यूनिकॉर्न श्रेणी में शामिल हुए हैं. कुछ ने तो स्टॉक मार्केट में बंपर धमाल मचाया है. इनके आइडिया निवेशकों को इतने पसंद आ रहे हैं कि मुनाफा की चिंता किए बिना इनमें इन्वेस्ट कर रहे हैं. इन कंपनियों की सबसे खास बात यह है कि इनमें से लगभग सभी की कमान युवाओं के हाथ में है. वे भी ऐसे युवा जो किसी नामी बिजनेस फैमिली के सदस्य नहीं हैं. यह इनकी मेहनत है जो रंग ला रही है. सरकार भी इनसे देश में उद्यमिता का कल्चर बढ़ाने और रोजगार के नए मौके पैदा करने की उम्मीदें लगा रही है.
डिजिटल टेक्नॉलजी के विस्तार ने ऐसे उद्यमियों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है. डिजिटल सेटअप में जमीन, पानी, बिजली, मशीनरी जैसे फिजिकल खर्चे बेहद कम हो जाते हैं. देश की उभरती यूनिकॉर्न कंपनियों की सफलता इस बात पर भी रोशनी डालती है कि उद्यमिता को अब कॉलेज स्तर से ही बढ़ावा देने का समय आ गया है.
एंट्रप्रन्योरशिप पर जोर देने के लिए कॉलेज के कोर्स में बदलाव किए जाने की जरूरत है. यह काफी नहीं है कि सिर्फ इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट ग्रैजुएट ही सफल उद्यमी बनें. उद्यमिता की सोच को जमीनी स्तर से जोड़ने के लिए क्लासरूम का सहारा लेना होगा. सरकार को भी डिजिटल जमाने के हिसाब से कदम उठाने होंगे.