Train: प्राइवेट यानि निजी कंपनियों द्वारा प्रबंधित ट्रेनों (Train) को चलाने की केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को काफी ठंडी प्रतिक्रिया मिली है. दर्जन भर क्लस्टर्स में से केवल तीन के लिए ही सरकारी-निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत इन ट्रेनों के संचालन के लिए सरकार को बोलियां प्राप्त हुई हैं. यह जानकारी मामले से जुड़े दो सूत्रों के जरिये सामने आई है. दिल्ली-1, दिल्ली-2 और मुंबई-2 के इन तीन क्लस्टर के लिए गिनी-चुनी ही बोलियां मिली हैं. इसमें भी मुंबई-2 क्लस्टर के लिए इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन (आईआरसीटीसी) इकलौती बोलीदाता है, जिसने रेलवे को महज 18% आय देने (रेवेन्यू शेयरिंग) की बात कही है.
दिल्ली -1 क्लस्टर के लिए आईआरसीटीसी और हैदराबाद स्थित मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल) ने क्रमशः 15.3% और 2.16% के रेवेन्यू शेयरिंग का प्रस्ताव दिया है.
दिल्ली -2 के लिए, आईआरसीटीसी और एमईआईएल ने क्रमशः 6.3% और 0.54% के रेवेन्यू शेयरिंग के प्रस्ताव के साथ बोली लगाई है.
जानकारी के मुताबिक कुल 12 क्लस्टर्स की वित्तीय बोली लगाने के लिए एक दर्जन से अधिक कंपनियां पात्र मानी गईं. इन क्लस्टरों में करीब 150 जोड़े रूट शामिल हैं और लगभग 30,000 करोड़ का निवेश शामिल है.
जिन नौ क्लस्टरों को कोई वित्तीय बोली नहीं मिली, वे हैं मुंबई-1, चंडीगढ़, हावड़ा, पटना, प्रयागराज, सिकंदराबाद, जयपुर, चेन्नई और बेंगलुरु. 16 आवेदक फर्मों से प्राप्त 120 आवेदनों में से 102 आवेदनों को आरएफपी चरण में भाग लेने के योग्य पाया गया.
इनमें मुंबई -2 क्लस्टर के लिए, 11 आवेदक आरएफपी चरण में भाग लेने के लिए योग्य थे, दिल्ली -1 क्लस्टर और दिल्ली -2 क्लस्टर के लिए, क्रमशः नौ और 10 आवेदक योग्य थे.
सरकार द्वारा संचालित परिवहन इंजीनियरिंग सलाहकार कंपनी राइट्स लिमिटेड इस पूरी प्रक्रिया का संचालन कर रही है. दो चरणों की प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के बाद, योग्यता के लिए अनुरोध (आरएफक्यू) और प्रस्ताव (आरएफपी) के लिए वित्तीय बोलियां 23 जुलाई को आमंत्रित गई थीं.
रेलवे और राइट्स दोनों के ही प्रवक्ताओं ने इस संबंध में औपचारिक रूप से कोई भी जानकारी साझा करने में असमर्थता जताई.
हालांकि रेलवे के एक वक्तव्य में कहा गया है कि “रेल मंत्रालय को निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों से लगभग 40 आधुनिक रेक के साथ 29 जोड़ी ट्रेनों के संचालन के लिए बोलियां मिली हैं, जिसमें लगभग 7,200 करोड़ का निवेश किया गया है. मंत्रालय तेजी से मूल्यांकन प्रक्रिया को पूरा करके इन बोलियों पर फैसला करेगा.”