Birth and Death Registration: भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आजादी के 75 वर्ष बाद भी महज 5 राज्यों – दिल्ली, गोवा, मिजोरम, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल ने जन्म और मृत्यु दोनों मामलों के संस्थागत पंजीकरण (इंस्टीट्यूशनल रजिस्ट्रेशन यानी सरकारी अथॉरिटीज में रजिस्ट्रेशन) में 100% सफलता हासिल की है. SBI की रिपोर्ट के मुताबिक, इन 5 राज्यों के अलावा, महज 11 राज्यों ने 100% जन्म पंजीकरण (birth registration) किया है, जबकि 15 राज्यों में मृत्यु का पूरा पंजीकरण (death registration) हुआ है. ये स्टडी महामारी से पहले 2019-20 के दौरान की गई थी.
3 राज्यों में जन्म पंजीकरण (birth registration) और 8 राज्यों में मृत्यु पंजीकरण (death registration) का सक्सेस रेट 75% के नीचे ही रहा.
असल तस्वीर
देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने हाल ही में ‘डीकोडिंग बर्थ्स एंड डेथ्स इन इंडिया’ नाम से स्टडी की है.
देशभर में जन्म पंजीकरण (birth registration) साल 2000 के 56% के मुकाबले 2019 में 92.7% पर पहुंच गया है. मृत्यु पंजीकरण (death registration) के मामले में भी ऐसे ही हालात हैं. 2000 में ये 49% था जो 2019 में बढ़कर 92% हो गया.
2000 में मृत्यु पंजीकरण (death registration) का आंकड़ा केवल 38 लाख था, जबकि देश में अंदाजन करीब 78 लाख मौतें हुई थीं.
हालांकि, सरकार की कोशिशों से मौतों का पंजीकरण (death registration) बढ़ रहा है और अनुमानित मौतों और इनके रजिस्ट्रेशन के बीच का अंतर 2019 में घटकर केवल 7 लाख रह गया था, जिसमें 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से 19 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में ये अंतर शून्य है.
दूसरी ओर, बिहार, यूपी और एमपी जैसे बड़े राज्यों की स्थिति कुछ अच्छी नहीं है. इन राज्यों में जन्म पंजीकरण (birth registration) 75% से 90% के बीच है, लेकिन मृत्यु पंजीकरण (death registration) में ये राज्य 75% से नीचे हैं।
30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से, 15 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने 100% मृत्यु पंजीकरण (death registration) दर्ज किया है, 7 राज्य 75% और 99% के बीच हैं और 8 राज्य / केंद्र शासित प्रदेश अभी 75% से नीचे हैं.
जन्म पंजीकरण (birth registration) में, 11 राज्यों ने 100% काम कर लिया है, 16 राज्यों में ये आंकड़ा 75% और 99% के बीच है. जबकि 3 राज्य ऐसे हैं जहां ये आंकड़ा 75% से नीचे है.
चिकित्सा का अभाव
अब भी देश में लगभग 34.5% मौतें मेडिकल अटेंशन के बिना हो रही हैं और देश में लगभग 17% जन्म अभी भी एक औपचारिक सेटअप के बाहर ही होते हैं.
SBI की रिपोर्ट में कहा गया है, “यह मुमकिन है कि ज्यादातर मामलों में कोई डायग्नोसिस हुआ ही नहीं और भारत में बीमारी और मृत्यु की कम रिपोर्टिंग कोई नई बात नहीं है.”
एसबीआई (SBI) रिपोर्ट के मुताबिक, बेहतर चिकित्सा और देखभाल से भारत में बीमारी को कम किया जा सकता है और जिंदगियां बचाई जा सकती हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में कुल जन्मों का करीब 83% संस्थागत सेटअप में हुआ था. 2009 में यह 56% था.
लेकिन, मृत्यु के मामले में हालात गंभीर हैं. 2009 में 40% लोगों को चिकित्सा सुविधा मिल रही थी और 2019 में यह आंकड़ा केवल 45.6% रहा.
SBI के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने अपनी इस रिपोर्ट में लिखा है, “सभी प्रमुख राज्यों में आयु-वर्ग के मुताबिक मृत्यु पंजीकरण (death registration) से पता चलता है कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के साथ उत्तर-पूर्वी राज्यों ने अपनी कुल पंजीकृत मौतों में 15-44 वर्ष के ब्रैकेट में 20% या उससे ज्यादा मौतें दर्ज की हैं, जबकि भारत भर में ये औसत 16% है.”
डेमोग्राफी के आधार पर ट्रेंड
इस अध्ययन में सभी राज्यों की जन्म और मृत्यु दर पर भी नजर डाली गई है. उत्तर-पूर्व और पूर्वी भारत के राज्यों में ऊंची जन्म दर (high birth rate) और कम मृत्यु दर (low death rate) देखा गया. इससे साफ हो रहा है कि आगे चलकर इन राज्यों में जनसंख्या में ज्यादा इजाफा होगा.
SBI की स्टडी में कहा गया है कि दक्षिणी राज्यों में कम जन्म दर और ज्यादा मृत्यु दर देखी गई, इस तरह यहां जनसंख्या में सुस्त रफ्तार से इजाफा होगा.
उत्तर, मध्य और पश्चिम भारत के राज्य मिलेजुले रुझान दिखा रहे हैं, कुछ राज्यों में प्रति सैकड़ा लोगों पर कम जन्म और मृत्यु के साथ कुछ अन्य राज्यों में ऊंची जन्म और मृत्यु दर्ज की गई है. इसमें इलाके के हिसाब से किसी पैटर्न को तय कर पाना मुश्किल है.
रिपोर्ट में कहा गया है, “हमने स्टडी भारत की जन्म-मृत्यु दर को समझने के लिए की है, लेकिन इसे मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी से पहले किया गया था. ये स्टडी हमें समझाती है कि पब्लिक हेल्थ के बुनियादी ढांचे में सुधार और बढ़ती जनसंख्या के लिए हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स ही देश की तस्वीर बदल सकते हैं.”
घोष ने कहा, “जाहिर तौर पर कोविड-19 का भारत की आबादी पर सबसे बुरा प्रभाव पड़ा है.”