Salary: पिछले साल की शुरुआत में कोरोना महामारी की वजह से कई लोगों ने अपनी जॉब खो दी और उनकी आजीविका बाधित हो गई. हालांकि भारत के कॉर्पोरेट जगत के टॉप प्लेयर्स इससे अप्रभावित रहे. कई कंपनियों के टॉप एग्जीक्यूटिव्स को पिछले साल पैंडेमिक के बावजूद एवरेज सैलरी से 13% ज्यादा सैलरी मिली. कंपनी चाहती थी कि वह अपने मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एग्जीक्यूटिव्स को असाधारण रूप से कठिन समय और बिगड़े हुए बिजनेस एनवायरमेंट में रिटेन करे.
FY20 की 3% की तुलना में FY21 में, कई कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों को अपने पारिश्रमिक (remuneration) में डबल-डिजिट की हाइक मिली. FY20 के आखिरी 10 दिनों को देशव्यापी लॉकडाउन ने प्रभावित किया था.
इस वजह से कई बोर्डों ने अपने टॉप एक्जीक्यूटिव्स के बोनस समेत अन्य चीजों को काटने या फ्रीज करने का फैसला लिया था. हालांकि अब परिदृश्य बदल गया है.
इस मार्च के अंत में FY20 के ₹9.22 करोड़ की तुलना में एमडी और सीईओ का औसत वेतन ₹10.41 करोड़ रहा. ये डेटा बीएसई की 200 कंपनियों में से 80 के एनालिसिस के आधार पर सामने आया है.
इसमें प्रमोटर शामिल नहीं है. मोटी तनख्वाह देने वाली कुछ शीर्ष कंपनियों में टाटा स्टील, अशोक लीलैंड, गोदरेज प्रॉपर्टीज, इंफोसिस, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और लार्सन एंड टुब्रो शामिल हैं.
एक सीईओ के पारिश्रमिक (remuneration) में वेतन, बोनस, कमीशन और दूसरे बेनिफिट शामिल होते हैं. पिछले एक साल में सी-लेवल एक्जीक्यूटिव्स के मोटी सैलरी देने वाले स्टार्ट-अप्स और न्यू-एज बिजनेस के लिए अपनी जॉब छोड़ने में बढ़ोतरी देखी गई है.
इस वजह से ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में उन्हें अपनी कंपनी में बनाए रखने के लिए बड़ी कंपनियों ने इनकी सैलरी हाइक की है.
नॉमिनेशन और रेमुनरेशन कमेटियों के मेंबरों की राय है कि महामारी के दौरान सीईओ के पास कंपनी को चलाने का चुनौतीपूर्ण काम था. इस कारण जब उन्हें पुरस्कृत करने का समय आया तो उन्होंने संकोच नहीं किया.