आर्थिक मंदी के बीच एक बात सामने आई है वह है टैक्स (TAX) कलेक्शन. डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स (TAX) कलेक्शन दोनों में वृद्धि देखने को मिली है. जिससे महामारी से बाहर निकलने की आशा और एक आश्वासन दिया गया है. कठिनाइयों को कम करने के लिए शुरू किए गए कल्याणकारी उपायों को बिना किसी कठिनाई के फंडेड किया जा सकता है. जून के मध्य में सरकार ने फाइनेंशियल ईयर 2021 की इसी अवधि की तुलना में इस वर्ष डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन को दोगुना करने की जानकारी दी थी. यह मुख्य रूप से आयकर और कॉर्पोरेट टैक्स से प्रेरित था. 1 अगस्त को, जुलाई के लिए माल और सेवा कर (GST) का कलेक्शन 1.16 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो मनोवैज्ञानिक रूप से जरूरी 1 लाख करोड़ रुपये की वापसी थी, जो जून में अचानक घटकर 0.928 लाख करोड़ रुपये हो गया था.
जीएसटी के आंकड़ों में वृद्धि से केंद्रीय वित्त मंत्री को राहत जरूर मिलेगी, क्योंकि उन्हें बहुत सारी कल्याणकारी योजनाओं के बिल का भुगतान करना है, जिनमें से कुछ को कुछ साल पहले हरी झंडी दिखाई गई थी, जबकि कुछ को विशेष रूप से महामारी से राहत देने के लिए लॉन्च किया गया था.
महामारी के चलते जिन योजनाओं में बडे एलोकेशन का आह्वान किया गया है, उनमें से लगभग 79.39 करोड़ लोगों को मुफ्त खाद्यान्न का वितरण है. जो मई से नवंबर तक यूरोप की पूरी आबादी की तुलना में काफी ज्यादा है. सरकार संगठित क्षेत्र में ब्लू कॉलर रोजगार सृजित करने के लिए नए श्रमिकों के भविष्य निधि योगदान के लिए भुगतान कर रही है.
केंद्र ने देश के सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में लगाए जाने वाले टीकों के भुगतान की जिम्मेदारी भी उठा ली है. मनरेगा जैसे पिरामिड के आधार के लिए प्रमुख रोजगार सृजन कार्यक्रमों को भी इस वर्ष महामारी के कारण खोई गई नौकरियों को देखते हुए बजटीय समर्थन में वृद्धि की जरूरत है.
राजस्व संग्रह को और बढ़ाने के लिए, सरकार को आईटी पोर्टल में उन गड़बड़ियों को जल्दी से दूर करना चाहिए जो लाखों लोगों को कर रिटर्न दाखिल करने का मौका देंगी. वहीं ये डायरेक्ट टैक्स को गति भी दे सकती हैं. प्रशासन को जीएसटी कलेक्शन के आसपास के सिस्टम को भी सख्त करना चाहिए जहां कथित तौर पर अभी भी काफी समस्याएं हैं.