RIAs: मार्केट रेगुलेटर सेबी (बाजार नियामक सेबी) नहीं चाहता कि रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स (RIAs) प्रोडक्ट बेचें या प्रोडक्ट बेचने वालों को सलाह दें. जबकि हजारों म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स हैं और RIA की संख्या महज लगभग 1,300 है.
Money9 से बात करते हुए इंडिया लाइजन ऑफिस फाइनेंशियल प्लानिंग स्टैंडर्ड बोर्ड के कंट्री हेड राजेश कृष्णमूर्ति बताते हैं कि भले ही फाइनेंशियल एडवाइजर्स की संख्या कम है, लेकिन शुरुआत ऐसे ही होती है. थोड़ा-थोड़ा करके.
जब किसी देश में किसी प्रोफेशन को रेगुलेट किया जाता है, तो इस तरह के रेगुलेशन का रेलीवेंस, एक्सेप्टेंस और इम्पेक्ट आम आदमी पर देखा जाता है. हमारे पास 2013 से सेबी इन्वेस्टमेंट एडवाइजर रेगुलेशन है.
हम कितने तैयार हैं ये देखने के लिए दूसरा तरीका इकोसिस्टम के प्लेयर्स का निरीक्षण करना है. हमारे पास रेगुलेटिड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स को कॉम्प्रेहेंसिव टेक्नोलॉजी, कम्पलाएंस और ऑपरेशनल सपोर्ट प्रदान करने वाले प्लेटफॉर्म हैं.
स्टैंडअलोन आधार पर अत्याधुनिक तकनीक के माध्यम से कई फाइनेंशियल प्लानिंग और रिस्क प्रोफाइलिंग टूल उपलब्ध कराए जा रहे हैं.
इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के एडमिनिस्ट्रेशन और सुपरविजन एक्टिविटीज को करने के लिए BSE एडमिनिस्ट्रेशन और सुपरवीजन लिमिटेड (BASL) को मंजूरी देने के लिए SEBI से हमारे पास हालिया अपडेट भी है. इस प्रोफेशन में, आप विकास भी देख रहे हैं.
रेगुलेटिड संस्थाओं द्वारा दी जा रही फाइनेंशियल प्लानिंग और इन्वेस्टमेंट एडवाइज में विभिन्न मॉडलों को देखें, आपके पास फी-बेस्ड सर्विस प्रोवाइडर हैं (उनके पास क्लाइंट लेवल का सेग्रीगेशन है जो उन्हें फीस-बेस्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी एक्टिविटी में इंगेज करता है और अन्य उन्हें पूरी तरह से कंज्यूमर के रूप में इंगेज करते हैं.
फाइनेंशियल प्रोडक्ट जहां कोई इन्वेस्टमेंट एडवाइज नहीं की जाती है) और आपके पास भारत में फीस वाले एडवाइजर भी हैं. मेरे लिए, किसी भी देश में केवल फी एडवाइजरों का उदय इस बात का प्रमाण है कि शुरुआत हो गई है.
हो सकता है कि नंबर बहुत कम हों, लेकिन क्या शुरुआत ऐसे ही नहीं होती है? थोड़ा-थोड़ा करके, बूंद-बूंद करके.
भारत में बैंक रिलेशनशिप मैनेजर, इंश्योरेंस एजेंट या CA अधिकतर लोगों के लिए डिफॉल्ट रूप से इन्वेस्टमेंट एडवाइजर होते हैं. सही और विश्वसनीय सलाह के बारे में जागरूकता कैसे फैलाएं?
आदतों की बात करें तो इसे अब हम समय के परिप्रेक्ष्य में समझ सकते हैं. मुझे विश्वास है कि फाइनेंशियल प्लानिंग हमारे समाज में गहरी जड़ें जमा लेगा. बस थोड़े वक्त की बात है.
RIA पर मौजूदा नियमों के अनुसार, SEBI के पास RIA के फी स्ट्रक्चर से संबंधित नियम हैं. (रेगुलेशन 15A ). इसके अनुसार ऐसी फीस ग्राहक के लिए उचित और रीजनेबिल होनी चाहिए.
SEBI द्वारा RIA के दिशा-निर्देशों में परिभाषित दो मौजूदा तरीके हैं. एसेट अंडर एडवाइज(AUA) मोड और फिक्स्ड फी मोड.
AUA मोड पर अधिकतम शुल्क 2.5 प्रतिशत सालाना और 1,25,000 रुपये हर साल हर क्लाइंट पर, दोनों ही कई शर्तों के अधीन हैं. इसलिए, एक इन्वेस्टमेंट एडवाइजर का ग्राहक से शुल्क लेने का आधार इन दो बड़े तरीकों के भीतर हो सकता है.
हमेशा एक डिमांड और सप्लाई का समीकरण होता है जो अक्सर प्राइज पॉइंट निर्धारित करता है.
एक तरफ, हम कह सकते हैं कि प्रोफेशनल फाइनेंशियल प्लानर की सप्लाई भारत के साइज के अनुरूप नहीं है, और साथ ही, हम यह भी कह सकते हैं कि फाइनेंशियल प्लानिंग चाहने वालों (यानी, पब्लिक) की सप्लाई अभी भी बहुत शुरुआती स्टेज में है.
अब इसे डिमांड पॉइंट ऑफ व्यू से देखें, ऐसी प्रोफेशनल सर्विसेज की मांग करने वाले कम लोग हैं और मांग करने वालों के पास ऐसे सर्विस प्रोवाइडर्स की सप्लाई कम होती है.
जैसे-जैसे हम फाइनेंशियल प्लानिंग से संबंधित रेगुलेशन विकसित करते हैं, रेगुलेटर यह भी देखेंगे कि देश में “एडवाइज गैप” को कैसे कम किया जा सकता है.
फाइनेंशियल लिटरेसी के लिए हमारे एजुकेशन सिस्टम में पर्सनल फाइनेंस की बुनियादी बातों को शामिल करना चाहिए.
बच्चों को यह जानकर बड़ा होना चाहिए कि पैसा क्या है, पैसे के मामले में क्या करें और क्या न करें और पर्सनल फाइनेंस की नींव क्या है. समृद्धि (प्रोस्पेरिटी) को बहुत अधिक पैसे से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.
मेरा मानना है कि अच्छी फाइनेंशियल प्लानिंग लंबे समय में समृद्धि के मार्ग पर चलने में मदद करती है.