जोमैटो, स्वीगी पर जीएसटी जमा कराने की जिम्मेदारी, लेकिन ग्राहक परेशान न हो

जीएसटी के तहत पंजीकृत नहीं हुए रेस्त्रां से भले ही जीएसटी जमा किया गया हो, लेकिन उसके सरकारी खजाने में जमा कराए जाने की कोई व्‍यवस्‍था नहीं है.

GST:

नोटिस पीरियड के दिनों में काम करने के लिये कंपनी आपको पैसे का भुगतान करती है तो अथॉरिटी फॉ़र एडवांस रुलिंग के मुताबिक इस रकम पर कंपनी को जीएसटी चुकाना होगा

नोटिस पीरियड के दिनों में काम करने के लिये कंपनी आपको पैसे का भुगतान करती है तो अथॉरिटी फॉ़र एडवांस रुलिंग के मुताबिक इस रकम पर कंपनी को जीएसटी चुकाना होगा

फूड एग्रीगेटर जैसे जोमैटो औऱ स्वीगी फिर से सुर्खियों में है, लेकिन अबकी मामला शेयर बाजार में कदम रखने या नए निवेश जुटाने का नहीं है, बल्कि कर व्यवस्था में बदलाव का है. आशंका जतायी जा रही है कि इससे हमारी आपकी जेब पर असर पड़ेगा, लेकिन सच क्या है, यह जानने के पहले जान लेते हैं कि क्या कुछ बदलाव किया गया है और उसके पीछे मकसद क्या है? लखनऊ में आयोजित जीएसटी काउंसिल की बैठक में तय किया गया कि जोमैटो और स्वीगी जैसे ई कॉमर्स ऑपरेटर (ECOs) जो रेस्त्रां से खाना आपके घर तक पहुंचाते हैं, उस पर ली गयी जीएसटी (GST) जमा कराने की जिम्मेदारी उनकी होगी.

अभी यह जिम्मेदारी रेस्त्रां की होती है. व्यवस्था कुछ इस तरह से काम करती है कि आप जो रकम जोमैटो या स्वीगी को चुकाते हैं, उसमें रेस्त्रां पर लगने वाला जीएसटी भी शामिल होता है. अब पैसा भले ही एप इकट्ठा करेंगे, लेकिन वो रेस्त्रां को दे देंगे और फिर रेस्त्रां के ऊपर जीएसटी जमा करने की जिम्मेदारी होगी. अब यह काम सीधे-सीधे एप की होगी कि वो जो भी बिल की रकम हासिल करे, उसमें से जीएसटी का जो भी हिस्सा बनता है, उसे वह सरकार के पास जमा कराए.

नयी व्यवस्था अगले साल पहली जनवरी से लागू होगी लेकिन कर की दर पुरानी ही रहेगी यानी 5 फीसदी. गौर करना है कि कर की यह दर सिर्फ रेस्त्रां सेवा के लिए होगी। अगर आप आइसक्रीम, बेकरी का सामान जैसे केक-पेस्ट्री वगैरह या फिर चॉकलेट वगैरह स्वीगी या जोमैटो से मंगवाते हैं, तो एप को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है कि वो इन सामान पर जीएसटी की जो अलग-अलग दर है, उस हिसाब से बिल में प्रावधान करे और हासिल कर सरकारी खजाने में जमा करे.

नयी व्यवस्था लाने के पीछे सबसे बड़ी वजह कर चोरी की आशंका रही. इसके पीछे वजह बतायी गयी कि जोमैटो, स्वीगी जैसी कंपनियां आवश्यक तौर पर रेस्त्रां के पंजीकरण की जांच नहीं कर रही. इसका मतलब यह हुआ कि जीएसटी के तहत पंजीकृत नहीं हुए रेस्त्रां से भले ही खरीदे गए सामान पर जीएसटी जमा किया गया हो, लेकिन उसके सरकारी खजाने में जमा कराए जाने की कोई व्‍यवस्‍था नहीं है.

इसी तरह हरियाणा में अक्टूबर 2018 से दिसम्बर 2020 के बीच के जोमैटे औऱ स्वीगी के कारोबार के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया तो पता चला कि यहां सब कुछ ठीक नहीं है। दोनों ही मामलों में पाया गया कि एग्रीगेटर की ओर से टीसीएस (Tax collected at source माने सेवा मुहैया कराने वाले की ओर से रेस्त्रां से ली गयी फीस पर वसूली गयी कर) के तौर पर जमा राशि, रेस्त्रां वालों की ओऱ से घोषित टर्नओवर से कहीं ज्यादा है. यहां ध्यान देने वाली बात है कि रेस्त्रां सब कुछ एग्रीगेटर के जरिए ही नहीं बेचते, वो अपने परिसर में या परिसर से अपना सामान बेचते है, लेकिन आशंका है कि इससे हुई कमाई का जिक्र रेस्त्रां के कुल कारोबार में नहीं किया गया.

कई रेस्त्रां तो ऐसे हैं जो सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय है, लेकिन जिन जगहों पर वो हैं, वहां पर आम लोगों के लिए पहुंचना संभव नहीं, लिहाजा वहां कर का पता लगाना और वसूलना आसान नहीं. यह भी अनुमान लगाया गया कि कुछ रेस्त्रां तो बहुत ही समय के लिए खुले और फिर बंद हो गए. दो रेस्त्रां ने 4.5 करोड़ औऱ 1.8 करोड़ कीमत के खाने-पीने के सामान उपलब्ध कराए, लेकिन आज उनका पता नहीं. कुछ मामलों में रेस्त्रां मालिक ने ना तो कर जमा कराया और ना ही रिटर्न दाखिल किया. एक अनुमान हैकि 2019-20 औऱ 2020-21 के बीच करीब दो हजार करोड़ रुपये कर की चोरी हुई.

जोमैटो औऱ स्वीगी जैसे फूड एग्रीगेटर का धंधा तो लोकप्रिये पहले से ही था, लेकिन महामारी के दौरान इनका काम तो काफी बढ़ा. खास तौर पर जब लोग रेस्त्रां जाने से हिचक रहे थे तो उन्होंने वहां से खाना घर पर मंगवा अपनी इच्छा पूरी की, लेकिन कर विभाग को लगता है कि जिस हिसाब से धंधा बढ़ा, उस हिसाब से कर नहीं आया। नतीजा नयी कर व्यवस्था.

अब आपके लिए सबसे अहम बात यह है कि नयी कर व्यवस्था का एक ग्राहक के तौर पर आपके ऊपर कोई असर नहीं पड़ेगा. आपका बिल नहीं बढ़ने वाला, क्योंकि कोई नया कर नहीं लगाया गया है, बल्कि कर जमा कराने का तरीका बदल दिया गया है. यह सच है कि जोमैटो औऱ स्वीगी जैसे एग्रीगेटर के लिए अपने कामकाज में बदलाव लाना होगा, साथ ही छोटे रेस्त्रां के लिए काम बढ़ेगा. कर विशेषत्रों की सलाह है कि नयी व्यवस्था में ग्राहकों पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उम्मीद है कि अगले तीन महीनों में जब नयी व्यवस्था का खाका पूरी तरह से तैयार हो जाएगा को इस तरह के एहितियाती उपाय किए जाएंगे.

Published - September 19, 2021, 12:39 IST