डिजिटल करेंसी (Digital Currency) को पसंद करने वाले लोगों के लिए अच्छी खबर है. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अपनी खुद की डिजिटल करेंसी लाने की दिशा में काम कर रहा है. आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी रविशंकर ने खुद यह बात कही है. रविशंकर ने विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी द्वारा आयोजित एक वेबीनार को संबोधित करते हुए बताया कि आरबीआई भारत की सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC)- एक डिजिटल रुपया को चरणबद्ध तरीके से लाने की दिशा में काम कर रहा है.
Central Bank Digital Currency – Is This the Future of Money: Keynote address delivered by Shri T Rabi Sankar, Deputy Governor, Reserve Bank of India, on July 22, 2021 at the webinar organised by the Vidhi Centre for Legal Policy, New Delhihttps://t.co/75MMrIZaxT
— ReserveBankOfIndia (@RBI) July 22, 2021
टी रविशंकर ने वेबिनार में कहा, “भारतीय रिज़र्व बैंक भारत की सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC)-एक डिजिटल रुपया को चरणबद्ध तरीके से लाने की दिशा में काम कर रहा है. निकट भविष्य में इस तरह की एक सामान्य-उद्देश्य वाली डिजिटल करेंसी का एक पायलट प्रोजेक्ट संभव है.”
सीबीडीसी वर्चुअल करेंसी का एक रूप है, जो किसी केंद्रीय बैंक द्वारा नकदी के विकल्प के रूप में जारी की जाती है. क्रिप्टोकरेंसी के विपरीत CBDC संबंधित राष्ट्र द्वारा समर्थित होती है. इसलिए यह क्रिप्टोकरेंसी की तरह अस्थिर नहीं होती है.
डिप्टी गवर्नर ने कहा कि आरबीआई की सीबीडीसी की परिभाषा सॉवरेन करेंसी का एक डिजिटल रूप है, जिसे नकद या सॉवरेन समर्थित डिपॉजिट्स में परिवर्तित किया जा सकता है. इसके साथ ही भारत चीन, रूस और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों में शामिल हो गया है, जिन्होंने सीबीडीसी को शुरू करने की दिशा में कदम उठाए हैं.
रविशंकर ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्रीय बैंक ने इस प्रस्तावित सीबीडीसी के दायरे और कानूनी ढांचे के संबंध में कई पहलुओं पर विचार किया है, जो संभवतः नकद और भुगतान के डिजिटल रूपों के साथ सह-अस्तित्व में होंगे. शंकर ने कहा कि “हर विचार को अपने समय का इंतजार करना पड़ता है और अब भारत की सीबीडीसी का समय निकट ही है.”
उन्होंने कहा, “हमने जोखिमों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया है और आरबीआई का प्रयास यह है कि भारत की सीबीडीसी दुनिया की भुगतान प्रणाली में नेतृत्व की स्थिति में आए.”