RBI Monetary Policy: वैश्विक कमोडिटी कीमतों में बढ़ोतरी और घरेलू स्तर पर महंगाई पर काबू पाने की जरूरत के बीच रिजर्व बैंक के रेट-सेटिंग पैनल ने बुधवार को अगली द्विमासिक मौद्रिक नीति पर तीन दिवसीय विचार-विमर्श शुरू किया है. इकनॉमिस्ट्स के मुताबिक, दूसरी तिमाही की इस बैठक में आरबीआई लगातार 8वीं बार ब्याज दरों को बिना बदले रख सकता है. विदेशी बाजारों में कमोडिटी कीमतों में बढ़ोतरी के बीच महंगाई दर पर नियंत्रण रखने के लिए आरबीआई यह फैसला ले सकता है. यह बैठक 6 अक्टूबर से शुरू होकर 8 अक्टूबर 2021 तक चलेगी.
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुआई वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिन की बैठक के रिजल्ट 8 अक्टूबर, शुक्रवार को घोषित किए जाएंगे. पॉलिसी रेपो रेट या शॉर्ट टर्म लेंडिंग रेट फिलहाल 4 फीसदी है और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी है.
मार्गन स्टेनली की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, रिजर्व बैंक आगामी मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों को ना केवल यथावत रखेगा बल्कि अपने नरम रुख को भी जारी रखेगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 5 फीसदी के आसपास रहेगी.
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने हाल में कहा था कि ऐसा लगता है कि ब्याज दरें यथावत रहेंगी. उन्होंने कहा था कि वृद्धि में कुछ सुधार है. ऐसे में मुझे लगता है कि ब्याज दरें नहीं बढ़ेंगी. हालांकि यह माना जा रहा है कि केंद्रीय बैंक की टिप्पणी में मुद्रास्फीति का उल्लेख होगा.
भारत में कोलियर्स के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) रमेश नायर ने कहा कि आगामी मौद्रिक समीक्षा बैठक में ब्याज दरों में बदलाव नहीं होगा. उन्होंने कहा कि इससे आवास बाजार और इकोमॉमी को रफ्तार मिलेगी. घरों की कीमतों में स्थिरता, कुछ राज्यों में स्टांप शुल्क में भारी कटौती और अपना घर खरीदने की इच्छा की वजह से 2020 की चौथी तिमाही से मांग में सुधार हुआ है.
उपभोक्ता मूल्य आधारित मुद्रास्फीति (CPI) ने हाल के दिनों में एक सहज प्रवृत्ति दिखाई है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा 13 सितंबर को जारी आंकड़ों के अनुसार, अगस्त 2021 के लिए CPI जुलाई में 5.59 प्रतिशत की तुलना में 5.30 प्रतिशत पर आया. 6 अक्टूबर को, बार्कलेज इंडिया ने कहा कि उसे उम्मीद है कि सितंबर में CPI मुद्रास्फीति साल-दर-साल आधार पर 4.62 प्रतिशत हो जाएगी. एमपीसी मुद्रास्फीति पर एक सौम्य दृष्टिकोण रखने की संभावना है.
केंद्रीय बैंक ने आखिरी बार मई, 2020 में रेपो दर (Repo Rate) में बदलाव किया था. मई महीने में आरबीआई ने रेपो रेट्स में 0.40 फीसदी की कटौती की थी, जिसके बाद रेपो रेट घटकर चार फीसदी हो गया था. साल 2020 में कोरोना महामारी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित थी. इकोनॉमी को पटरी पर लाने और आम जनता के बोझ को कम करने के लिए सरकार ने रेपो रेट में कटौती का ऐलान किया था. मई 2020 के बाद से लगातार ब्याज दरों में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया जा रहा है.
यथास्थिति बनाए रखने की उम्मीद हैं, क्योंकि समिति के सदस्य विकास और महंगाई के बीच ताल मिलाने के लिए इंतजार करेंगे. अर्थशास्त्रियों के बीच आम सहमति यह है कि रुख ‘समायोज्य’ (accommodative) रहेगा. हालाँकि, आगे के मार्गदर्शन में बदलाव हो सकता है जो धीरे-धीरे सामान्य होने का संकेत देता है. क्वांटम म्यूचुअल फंड में फिक्स्ड इनकम के फंड मैनेजर पंकज पाठक ने कहा, “एमपीसी दिसंबर पॉलिसी तक रिवर्स रेपो रेट हाइक की तैयारी के लिए फॉरवर्ड गाइडेंस को कुछ हद तक बदल सकता है.”
पिछली नीति समीक्षा में, एमपीसी ने 2021-22 के लिए वास्तविक जीडीपी विकास दर 9.5 प्रतिशत के अनुमान को बरकरार रखा था. 2022-23 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी विकास दर 17.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है. एमके ग्लोबल के प्रमुख अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा, “इस बार, एमपीसी आर्थिक सुधार और इसके विकास के पूर्वानुमान के बारे में बढ़ते विश्वास का संकेत दे सकती है, यहां तक कि समिति उच्च वैश्विक कमोडिटी और तेल की कीमतों के कारण व्यापार घाटे की शर्तों और कोविड महामारी की प्रत्याशित तीसरी लहर के प्रति आगाह कर सकती है.”