यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस (UPI) के जरिये लेनदेन की सुविधा प्रदान करने वाली कंपनी गूगल-पे और फोन-पे को भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) के नियमों के अनुरूप अपनी बाजार हिस्सेदारी को घटा कर 30% के दायरे में लाना होगा. यह बात बर्नस्टीन रिसर्च की एक रिपोर्ट में कही गई है.
वर्तमान में यूपीआई (UPI) लेनदेन में फोन-पे की 46% फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि 35% बाजार पर गूगल-पे का कब्जा है. यह दोनों ही एनपीसीआई द्वारा मार्च में लागू की गई 30% की अधिकतम सीमा से ऊपर हैं. भुगतान सेवाओं पर किसी भी कंपनी के दबदबे या एकाधिकार को रोकने के लिए एनपीसीआई ने यह नियम बनाया था. इसके साथ ही उसने ने कहा था कि कोई भी कंपनी अगर इस अधिकतम सीमा का उल्लंघन करेगी, तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.
रिपोर्ट में बर्नस्टीन के गौतम छुगानी ने बताया “यूपीआई आधारित ऐप्स के बाजार में फोन-पे इस समय सबसे बड़ा खिलाड़ी है. उसकी बाजार हिस्सेदारी गूगल पे और पेटीएम से ज्यादा तेजी से बढ़ी है. फोन-पे और गूगल-पे ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए इंसेंटिव और मार्केटिंग पर अन्य सेवा प्रदाताओं के मुकाबले दो से तीन गुनी रकम खर्च कर रहे हैं.
रिपोर्ट बताती है कि यूपीआई से एक-दूसरे को पैसे भेजने की सुविधा में तेजी से लोकप्रिय होने के बाद, अब फोनपे मर्चेंट पेमेंट्स यानी लोगों द्वारा खरीदारी के लिए भुगतान के मामले में भी काफी तेजी से बढ़त बनाता जा रहा है. वॉल्यूम के लिहाज से देखें तो, स्टोर्स में खरीदारी का भुगतान करने के लिए इस समय क्रेडिट और डेबिट कार्ड की तुलना में लोग यूपीआई आधारित ऐप्स का इस्तेमाल ज्यादा कर रहे हैं. हालांकि ऑनलाइन भुगतान के मामले में कार्ड अब भी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, पर बढ़ती लोकप्रियता के चलते यूपीआई ऐप्स जल्द ही ऑनलाइन भुगतान में भी सबको पछाड़ सकते हैं.
फोन-पे और गूगल-पे जैसे दोनों दिग्गज अगर ग्राहकों को दिए जा रहे प्रोत्साहनों (इंसेंटिव) को वापस लेते हैं, तो यूपीआई पेमेंट्स में बाकी कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़ सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक पेटीएम ने वित्त वर्ष 2020 में अपने मार्केटिंग खर्च को घटाकर आय का महज़ 0.4 गुना कर दिया है. वित्त वर्ष 2017 में यह कंपनी की आय का 1.2 गुना हुआ करता था.
मौजूदा समय में देखा जाए, तो 14% की बाजार हिस्सेदारी के साथ पेटीएम ही एनपीसीआई द्वारा तय की गई 30% की ऊपरी सीमा के दायरे में रहकर कारोबार कर रहा है. हालांकि इसकी वजह भी यह है कि यह पूरी तरह से यूपीआई आधारित थर्ड पार्टी ऐप न होकर मूल रूप से एक पेमेंट्स बैंक है और वह यूपीआई पीयर टू पीयर भुगतान का माध्यम बनने या पॉइंट-ऑफ-सेल (पीओएस) पेमेंट गेटवे बनने के बजाय खुद को एक संपूर्ण-स्टैक भुगतान सूट के रूप में स्थापित करने पर फोकस कर रहा है. वह वेल्थ मैनेजमेंट और बीमा क्षेत्र में भी कदम बढ़ा रहा है.