Ola Futurefactory: ओला की विमन-ओनली फैक्ट्री करेगी एक नए कल की शुरुआत

Ola Futurefactory: तमिलनाडु में खुलने जा रही ओला की टू-व्हीलर फैक्ट्री में केवल महिलाओं की भर्ती होगी. यह दुनिया की सबसे बड़ी विमन-ओनली फैक्ट्री होगी

work from home promotes merit based hiring over location preference in corporate india

बड़ी कंपनियां अक्सर बड़े शहरों में होने के कारण रिक्रूटमेंट इन्हीं शहरों तक सीमित रह जाता है. यहां के कैंडिडेट्स को इसका लाभ मिलता है

बड़ी कंपनियां अक्सर बड़े शहरों में होने के कारण रिक्रूटमेंट इन्हीं शहरों तक सीमित रह जाता है. यहां के कैंडिडेट्स को इसका लाभ मिलता है

इंदिया गांधी जब जनवरी 1966 में भारत की प्रधानमंत्री बनी थीं, स्विट्जरलैंड जैसे एड्वांस्ड देश में महिलाओं को तब तक फेडरल लेवल पर मतदान का अधिकार नहीं मिल पाया था. उन्हें इसके पांच साल बाद जाकर यह हक मिला था. स्वतंत्रता के समय से भारतीय महिलाओं ने एक के बाद एक कई झंडे गाड़े हैं. एक-एक कर के उन्होंने पुरुषों के दबदबे वाले क्षेत्रों पर अपनी पकड़ मजबूत की है. अगले साल वे इसी तरह उद्योग जगत में इतिहास रचने जा रही हैं.

तमिलनाडु के कृष्णागिरी जिले में खुलने जा रही ओला की टू-व्हीलर फैक्ट्री (Ola Futurefactory) दुनिया का सबसे बड़ा दो पहिया उत्पादन प्लांट होगी. इसकी सालाना एक करोड़ व्हीकल्स तैयार करने की क्षमता होगी. हालांकि, यह एक अलग कारण से बेहद खास होने वाली है. यहां सिर्फ और सिर्फ महिला कर्मियों की भर्ती होगी और वे ही सारा कार्यभार संभालेंगी. ऐसे में इसे मॉडर्न इंडिया का मंदिर कहना गलत नहीं होगा.

महिलाओं पर नीति निर्माताओं का फोकस

दूसरी ओर, देश की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी TCS ने हाल में घोषणा की थी कि वह महिला कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने पर जोर दे रही है. बीते कुछ वर्षों से नीति निर्माता अलग-अलग स्तरों पर महिलाओं को केंद्र में रखकर चल रहे हैं.

वित्तीय लिहाज से सबसे निचले स्तर में शामिल लोगों के बीच बैंक खाता खोलने वालों में 55 प्रतिशत से अधिक संख्या महिलाओं की रही है. गरीब परिवारों को मुफ्त LPG कनेक्शन देने वाली सरकार की उज्ज्वला योजना भी महिलाओं को किचन में कुछ राहत देने के लक्ष्य से शुरू हुई थी.

पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में स्वास्थ्य बीमा और यूनिवर्सल इनकम स्कीम से जुड़े लाभ परिवारों की महिला सदस्यों को ही दिए जाते हैं. तमिलनाडु में सरकारी नौकरियों में महिलाओं का आरक्षण 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया गया है. कई राज्य सरकारें महिला सशक्तिकरण को ध्यान में रखकर नीतियां पेश कर रही हैं.

अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी विमन पार्टिसिपेशन

महिलाओं पर यह फोकस बरकरार रहना चाहिए. न सिर्फ जेंडर इक्विटी के लिए, बल्कि आर्थिक विकास के लिहाज से भी यह जरूरी है. वर्ल्ड बैंक की 2017 की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में दोहरे अंकों की GDP ग्रोथ रेट तभी हासिल की जा सकेगी, जब महिलाओं की भागेदारी बढ़ेगी.

रिपोर्ट में बताया गया कि वर्कफोर्स में विमन पार्टिसिपेशन अधिक होने से परिवारों की आय में वृद्धि होगी, गरीबी घटेगी और स्वास्थ्य और शिक्षा पर खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी.

EPFO के आंकड़े बताते हैं कि महामारी का प्रभाव पुरुषों से अधिक महिलाओं पर रहा है. नीतियों के जरिए उनपर अधिक फोकस किए जाने के बावजूद ऐसा हुआ है. फॉर्मल एंप्लॉयमेंट सेक्टर छोड़ने वालों में महिलाओं की संख्या अधिक रही है.

नौकरियों का आंकड़ा कमजोर

2011-12 से 2015-16 के बीच देश में ग्रैजुएट होने वालों में 50 प्रतिशत आबादी महिलाओं की थी. 2018-19 के दौरान इनका शेयर बढ़कर 53 फीसदी हो गया. हालांकि सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी के मुताबिक, 2018-19 में शहरों में रहने वाली 15 साल या अधिक आयु वाली केवल 18.4 प्रतिशत महिलाएं नौकरी कर रही थीं.

ओला का दुनिया की सबसे बड़ी विमन-ओनली फैक्ट्री खोलना एक अच्छी खबर है. मगर नीति निर्माताओं को इस बीच चिंता बढ़ाने वाले इन आंकड़ों पर भी गौर करना होगा.

Published - September 14, 2021, 05:01 IST