हेल्थकेयर सेंटर के पास घर लेना चाहते है लोग
जून में केंद्र सरकार द्वारा मॉडल टेनेंसी एक्ट (MTA), 2021 को मंजूरी दिए जाने के बाद से मुंबई में किराए पर रह रहे करीब 25 लाख लोगों को यह समझ में नहीं आ रहा है कि जिस घर में वे रह रहे हैं, उसे चॉल माना जाएगा या स्टैंड-अलोन इमारत यानी अलग घर. इसके बाद अब आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने मुंबई के इन किराएदारों, खासकर पगड़ी समझौते के तहत रह रहे लोगों को भरोसा दिलाया है कि उन्हें नए कानून से घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह उन्हें प्रभावित नहीं करेगा. मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने आश्वासन दिया है कि नया कानून आगे के समय में होने वाले समझौतों पर ही लागू होगा और यह पहले से चले आ रहे किराये के पुराने समझौतों को प्रभावित नहीं करेगा.
क्यों आया नया कानून?
2 जून को केंद्र सरकार ने संपत्ति के मालिकों और किरायेदारों दोनों के अधिकारों को संतुलित करने के उद्देश्य से एमटीए, किराया नियंत्रण अधिनियम, 1948 में संशोधन को मंजूरी दी. अधिनियम के अनुसार, किरायेदारों को लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट के तहत रहना होगा, जिसमें किराये का निर्धारण 11 महीने के लिए होता है, जिसके बाद उसमें बदलाव किया जा सकता है. लेकिन मुंबई में कई लोग रेंट एग्रीमेंट सिस्टम के तहत 180 से 380 वर्ग फुट क्षेत्र की झुग्गियों में वर्षों से रह रहे हैं, जिसमें उन्हें हर महीने किराए की रसीद मिलती है.
किराएदारों की आशंकाएं
एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि नया किरायेदारी अधिनियम पारित किया जाता है, तो मुंबई के लगभग 25 प्रतिशत कानूनी निवासियों को उनके घरों से निकाले जाने के खतरे का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा, यदि नया अधिनियम लागू किया जाता है, तो महाराष्ट्र किराया नियंत्रण अधिनियम (MRCA), 1999 जिसके तहत 1940 के दशक की दरों पर किराए को फ्रीज कर दिया गया था, निरस्त हो जाएगा और किरायेदारों को अधिक भुगतान करना होगा.
वर्तमान में, एक चॉल का अधिकतम मासिक किराया 250 रुपये है, जिसमें 5 रुपये का मूल किराया और महाराष्ट्र मरम्मत बोर्ड को उपकर शामिल है. MTA के तहत, किरायेदारों को उनके द्वारा किए गए नुकसान की मरम्मत, नालियों की सफाई और बगीचों व खुली जगहों के रख-रखाव के लिए जिम्मेदार माना जाता है.इनके अलावा, दो महीने तक किराया नहीं देने पर मालिकों को किरायेदारों को बेदखल करने का अधिकार होगा. मौजूदा रेंट एग्रीमेंट समाप्त होने के बाद मालिक किराए में संशोधन कर सकते हैं.
पगड़ी व्यवस्था
मॉडल टेनेंसी एक्ट (Model Tenancy Act) में पगड़ी प्रणाली को खत्म करने का भी प्रस्ताव है, जिसके तहत औपचारिक रजिस्ट्री के बिना ही मकान बेच दिए जाते हैं.