क्या डूब जाएगा भारत का अफगानिस्तान में किया 3 अरब डॉलर का इन्वेस्टमेंट

Loss Of Indian Investment In Taliban: भारत ने यहां पार्लियामेंटरी बिल्डिंग, रोड, डैम, अस्पतालों आदि का निर्माण कियाहै.

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IMAGE: PIXABAY,भारतीय एक्सपर्ट अक्सर यह तर्क देते हैं कि तालिबान से बात करने का कोई महत्व नहीं है. इसकी वजह है तालिबान और पाकिस्तान के संबंध और विचारधारा.

IMAGE: PIXABAY,भारतीय एक्सपर्ट अक्सर यह तर्क देते हैं कि तालिबान से बात करने का कोई महत्व नहीं है. इसकी वजह है तालिबान और पाकिस्तान के संबंध और विचारधारा.

Loss Of Indian Investment In Taliban: अफगानिस्तान में 20 बरसों बाद तालिबान के शासन की वापसी हुई है. ये वापसी एक तरह से भारत और अफगानिस्तान के बीच बनाए इतने सालों के संबंधों का उलटफेर भी है. भारत ने यहां पार्लियामेंटरी बिल्डिंग, रोड, डैम, इलेक्ट्रिसिटी ट्रांसमिशन लाइन्स, स्कूलों और अस्पतालों आदि का निर्माण किया. भारत का डेवलपमेंट असिस्टेंस 3 अरब डॉलर से अधिक होने का अनुमान है. नवंबर 2020 में जिनेवा में अफगानिस्तान सम्मेलन में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था, अफगानिस्तान के 34 प्रांत में भारत के 400 प्रोजेक्ट है. लेकिन जिस तरह की स्थिति है उसमें इन प्रोजेक्ट्स का भविष्य अधर में दिख रहा है.

सामरिक हितों के लिए अफगानिस्तान महत्वपूर्ण

भारत के सामरिक हितों के लिहाज से अफगानिस्तान काफी महत्वपूर्ण है. यह शायद एकमात्र सार्क राष्ट्र भी है, जिसके लोगों को भारत से बहुत लगाव है.

सेंट्रल एशियन रिपब्लिक्स तक हमारी पहुंच के संदर्भ में और पाकिस्तान और चीन के काउंटर बैलेंस में, अफगानिस्तान का महत्व बढ़ जाता है. देश के उत्तर में सेंट्रल एशियन रिपब्लिक्स और पूर्व में पाकिस्तान है.

सेंट्रल एशियन रिपब्लिक्स के साथ इंडियन ट्रेड के लिए फ्लो इंडियन ओशन से ग्वादर पोर्ट और उसके बाद भारत के अफगानिस्तान में बनाए डेलाराम हाईवे से सेंट्रल एशियन रिपब्लिक्स के राज्यों तक हो सकता है.

भारत का ये रूट चाइना के रोड एंड बेल्ट इनिशिएटिव (BRI) को भी टक्कर देता है. पॉलिटिकल स्टेबिलिटी में ये काफी महत्व रखता है. तालिबान के शासन की वजह से भारत का व्यापार काफी प्रभावित हो सकता है.

बाइलेटरल ट्रेड पर पड़ेगा असर

तालिबानी सरकार के आने से बाइलेटरल ट्रेड के भी प्रभावित होने की संभावना है. भारत के लिए पाकिस्तान के ओवरलैंड रूट को बंद किए जाने के बावजूद, भारत-अफगानिस्तान के बीच 2017 में एक एयर फ्रेट कॉरिडोर की स्थापना के बाद ट्रेड बढ़ा है.

2019-20 में, बाइलेटरल ट्रेड 1.3 बिलियन डॉलर को पार कर गया. भारत से एक्सपोर्ट लगभग 900 मिलियन डॉलर का है, जबकि अफगानिस्तान का भारत को एक्सपोर्ट लगभग 500 मिलियन डॉलर है. अफगानिस्तान से भारत में ताजे और सूखे मेवे आते हैं.

अफगानिस्तान को भारतीय एक्सपोर्ट मुख्य रूप से भारतीय कंपनियों के साथ गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट कॉन्ट्रैक्ट के माध्यम से होता है. एक्सपोर्ट में फार्मास्यूटिकल्स, मेडिकल उपकरण, कंप्यूटर और उससे जुड़े सामान, सीमेंट और चीनी शामिल हैं.

अफगानिस्तान में भारत के प्रोजेक्ट्स पर एक नजर

सलमा डैम: 42MW सलमा डैम अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में है. हाइड्रोपावर एंड इरीगेशन प्रोजेक्ट का कई बाधाओं के बाद 2016 में उद्घाटन किया गया था.

जरांज-डेलाराम हाईवे: 218 किलोमीटर लंबे जरांज-डेलाराम हाईवे को बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन ने बनाया था। जरांज ईरान के साथ अफगानिस्तान की सीमा के करीब स्थित है.

150 मिलियन डॉलर का हाईवे खश रुड नदी के साथ जरांज के उत्तर-पूर्व में डेलाराम तक जाता है, जहां यह एक रिंग रोड से जुड़ता है जो साउथ में कंधार, ईस्ट में काबुल और गजनी, नॉर्थ में मजार-ए-शरीफ को और वेस्ट में हेरात को जोड़ता है.

पार्लियामेंट: काबुल में स्थित पार्लियामेंट पर भारत ने 90 मिलियन डॉलर खर्च किए है. इसे 2015 में ओपन किया गया था. भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था.

पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर इस इमारत के एक ब्लॉक का नाम रखा गया है.

स्टोर पैलेस: 2016 में, अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी और प्रधानमंत्री मोदी ने काबुल में रिस्टोर किए गए स्टोर पैलेस का उद्घाटन किया था, जो मूल रूप से 19वीं शताब्दी के अंत में बनाया गया था.

पावर इंफ्रा: अफगानिस्तान में अन्य भारतीय परियोजनाओं में राजधानी को बिजली की आपूर्ति बढ़ाने के लिए बघलान प्रांत की राजधानी पुल-ए-खुमरी से काबुल के उत्तर में 220kV डीसी ट्रांसमिशन लाइन जैसे पावर इंफ्रास्ट्रक्चर का पुनर्निर्माण शामिल है.

हेल्थ इंफ्रा: भारत ने काबुल में एक बच्चों के अस्पताल का पुनर्निर्माण किया था. इसके अलावा भारत ने सीमावर्ती प्रांतों बदख्शां, बल्ख, कंधार, खोस्त, कुनार, नंगरहार, निमरूज, नूरिस्तान, पक्तिया और पक्तिका में भी क्लीनिक बनाए हैं.

परिवहन: विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत ने शहरी परिवहन के लिए 400 बसें और 200 मिनी बसें, नगर पालिकाओं के लिए 105 यूटिलिटी व्हीकल, अफगान राष्ट्रीय सेना के लिए 285 सैन्य वाहन दिए. इसके अलावा भारत ने अस्पतालों के लिए 10 एम्बुलेंस और एयर इंडिया के तीन विमान अफगान राष्ट्रीय वाहक एरियाना को दिए हैं.

अन्य परियोजनाएं: अफगानिस्तान में भारत ने स्कूलों के लिए योगदान दिया है और दूरदराज के गांवों में सौर पैनल और काबुल में सुलभ शौचालय ब्लॉक बनाए हैं.

इसके अलावा भारत ने वोकेशनल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, अफगान छात्रों को छात्रवृत्ति, डॉक्टरों और अन्य लोगों के लिए प्रशिक्षण में भूमिका निभाई है.

चालू परियोजनाएं: नवंबर में जिनेवा सम्मेलन में, विदेश मंत्री जयशंकर ने घोषणा की थी कि भारत ने अफगानिस्तान के साथ काबुल जिले में शतूत बांध के निर्माण के लिए एक समझौता किया है, जिससे 2 मिलियन लोगों को साफ पानी मिलेगा.

जयशंकर ने लगभग 100 सामुदायिक विकास परियोजनाओं की शुरुआत की भी घोषणा की थी जिस पर 80 मिलियन डॉलर खर्च किए जाने थे. इसके अलावा भी और भी कई परियोजनाएं है जिन पर भारत काम कर रहा था.

भारत को कितना नुकसान हो सकता है?

तालिबान के शासन के आने से भारत को कितना नुकसान हुआ है इसका ठीक-ठीक अनुमान लगाना तो मुश्किल है, लेकिन सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव उसके निवेश पर पड़ेगा.

पिछले दो दशकों में भारत ने डेवलपमेंट असिस्टेंस के तौर पर करीब 3 बिलियन अमरीकी डालर खर्च किए हैं. कई ऐसे प्रोजेक्ट है जिसमें अभी भी कई भारतीय काम कर रहे थे.

अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण के बाद, इन सभी परियोजनाओं को अचानक रोक दिया गया है. इससे न केवल भारतीय निवेश पर असर पड़ा है.

क्या कहते हैं भारतीय एक्सपर्ट?

भारतीय एक्सपर्ट अक्सर यह तर्क देते हैं कि तालिबान से बात करने का कोई महत्व नहीं है. इसकी वजह है तालिबान और पाकिस्तान के संबंध और विचारधारा.

हालांकि अगर भारत को अफगानिस्तान के साथ संबंध बनाए रखने हैं तो उसे कुछ असहज विकल्प चुनने होंगे और अपनी रणनीतिक स्थिति को बदलना होगा. इस मामले से जुड़े एक्सपर्ट के मुताबिक, भारत सरकार के सामने दो विकल्प हैं. पहला विकल्प है वेट एंड वॉच.

दूसरा मुश्किल विकल्प तालिबान से बातचीत है. कई लोगों का मानना है कि 20 साल पहले जिस तरह का शासन तालिबान का था उससे सीख लेकर तालिबान अपने इस शासन में काफी बदलाव लाएगा. ऐसे में बातचीत भी एक रास्ता हो सकता है.

Published - August 16, 2021, 03:24 IST