टेक्निकल टेक्सटाइल और मैन मेड फाइबर के क्षेत्र में निर्यात और रोजगार बढ़ाने की दिशा में पहल

इस बार फिर 400 बिलियन का एक्सपोर्ट लक्ष्य रखा गया है. माना जाता है कि कृषि के बाद सबसे ज्यादा लोग इसी उद्योग के रोजगार से जुड़े हैं.

cabinet approves 10,683 crore rupees pli scheme for textile sector

करीब साढ़े चार करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार और लगभग 6 करोड़ लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से वस्त्र उद्योग के रोजगार से जुड़े हुए हैं

करीब साढ़े चार करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार और लगभग 6 करोड़ लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से वस्त्र उद्योग के रोजगार से जुड़े हुए हैं

देश में टेक्सटाइल यानि कपड़ा उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से कई प्रयास किए जा रहे हैं. इसमें पीएलआई योजना (PLI  Scheme) के जरिए टेक्निकल टेक्सटाइल के क्षेत्र में भारत कदम बढ़ा रहा है. साथ ही मैन मेड फाइबर बढ़ाने पर फोकस किया जा रहा है. कपड़ा उद्योग के क्षेत्र में क्या-क्या किए जा रहे हैं प्रयास और प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पर किस तरह से पड़ेगा प्रभाव, जानते हैं. वस्त्र उद्योग का भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान है. देश का करीब 2.3 प्रतिशत जीडीपी वस्त्र उद्योग से आता है. अभी एक्सपोर्ट 11-12 प्रतिशत है, इस बार फिर 400 बिलियन का एक्सपोर्ट लक्ष्य रखा गया है. माना जाता है कि कृषि के बाद सबसे ज्यादा लोग इसी उद्योग के रोजगार से जुड़े हैं. करीब साढ़े चार करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार और लगभग 6 करोड़ लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से वस्त्र उद्योग के रोजगार से जुड़े हुए हैं.

भारतीय टेक्सटाइल नेचुरल फाइबर पर निर्भर

हमारा वस्त्र उद्योग ज्यादातर नेचुरल फाइबर और खासतौर पर कॉटन पर निर्भर है. किसी भी टेक्सटाइल उद्योग को आगे बढ़ाने में फाइबर का सबसे ज्यादा योगदान होता है. फाइबर दो तरह के होते हैं नेचुरल और मैन मेड फाइबर. नेचुरल में कॉटन, सिल्क, जूट आदि. वैसे कॉटन के प्रोड्यूस में विश्व में दूसरे नंबर हैं. हमारे देश की जलवायु भी कॉटन को सूट करती है. इसलिए हमारा कॉटन उद्योग काफी आगे बढ़ा है. मैन मेड फाइबर से बनने वाले उत्पाद की दुनिया बहुत बड़ी है.

इसमें ऐसे फाइबर हैं, जिसे कृत्रिम रूप से बनाया गया है, जैसे कि पॉलिस्टर या रेयान, स्वाभाविक रूप से होने के बजाय कपास या ऊन की तरह ही होते हैं. पूरे विश्व में करीब 70 प्रतिशत बाजार मैन मेड फाइबर से बनी चीजों का है और केवल 30 प्रतिशत नेचुरल फाइबर से बना है. हालांकि हमारे यहां स्थिति एक दम उलट है. हम नेचुरल फाइबर पर ज्यादा काम करते हैं. ऐसे में अगर हमें विश्व में टेक्सटाइल के क्षेत्र में पैठ करना है, तो मैन मेड फाइबर पर ज्यादा फोकस करना होगा. इसलिए टेक्निकल टेक्सटाइल को भी लेकर आगे चलना होगा.

क्या है टेक्निकल टेक्सटाइल

टेक्निकल टेक्सटाइल में ऐसे वस्त्र आते हैं, जिनका निर्माण फैशन के उद्देश्यों के लिये नहीं बल्कि कार्यात्मक गुण प्रमुख होते हैं. कोरोना काल में पीपीई किट, मास्क आदि हैं. इसके अलावा एयरबैग, बुलेटप्रूफ, वाहनों में उपयोग में आने वाले वस्त्र, चिकित्सा में उपयोग किये जाने वाले वस्त्र, कृषि और रक्षा से संबंधित होते हैं. इन्हें कुल 12 वर्ग में रखा गया है. एग्रोटेक, बिल्डटेक, क्लोथेक, जियोटेक, हेमेटेक, इंडोटेक, मोबिलटेक, मेडिटेक, प्रोटेक, स्पोर्टटेक, ओकेटेक और पैकटेक.

टेक्सटाइल क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई स्कीम

हाल के वर्षों में बांग्लादेश, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देश प्रमुख कपड़ा उत्पादकों के रूप में उभरे हैं. ऐसे में अब भारत को भी इस ओर आगे बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से कई प्रयास किए जा रहे हैं. ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन की दिशा में एक और अहम कदम आगे बढ़ाते हुए हाल ही में सरकार ने 10,683 करोड़ रुपये के ‘पीएलआई योजना’ को मंजूरी दे दी है। इसमें मैन मेड फाइबर और टेक्निकल टेक्सटाइल को बढ़ावा मिलेगा. इससे मैन मेड का फाइबर का निर्यात करने में अभी 3 प्रतिशत से भी कम है। इस योजना से हमारी हिस्सेदारी बढेगी.

वैश्विक वस्त्र व्यापार में प्रभुत्व स्थापित करने में मिलेगी मदद

इस घोषणा के साथ ही भारत में न्यूनतम उत्पादन पांच वर्षों में लगभग 37.5 लाख करोड़ रुपये का होगा और पांच वर्षों में कम से कम लगभग 1 करोड़ रोजगार पैदा होने की उम्मीद है. इस योजना से देश में अधिक मूल्य वाले एमएमएफ फैब्रिक, गारमेंट्स और तकनीकी वस्त्रों के उत्पादन को काफी बढ़ावा मिलेगा. इसके तहत प्रोत्साहन संबंधी संरचना कुछ इस प्रकार से तैयार की गई है, जिससे उद्योग इन खंडों या क्षेत्रों में नई क्षमताओं में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होगा.

ऐसे में बड़ी तेजी से उभरते अधिक मूल्य वाले एमएमएफ सेगमेंट को काफी बढ़ावा मिलेगा, जो रोजगार एवं व्यापार के नए अवसर सृजित करने में कपास और अन्य प्राकृतिक फाइबर आधारित वस्त्र उद्योग के प्रयासों में पूरक के तौर पर व्यापक योगदान करेगा. इसके परिणामस्वरूप भारत को वैश्विक वस्त्र व्यापार में अपना ऐतिहासिक प्रभुत्‍व फिर से हासिल करने में काफी मदद मिलेगी.

19 हजार करोड़ का निवेश का लक्ष्य

पीएलआई योजना से अनुमान लगाया है कि करीब 19 हजार करोड़ का निवेश आएगा, उसके बाद भी निवेश जारी रहेगा. इसमें दो प्रकार के निवेश संभव हैं. कोई भी व्यक्ति (जिसमें फर्म/कंपनी शामिल है), जो निर्धारित खंडों (एमएमएफ फैब्रिक्स, गारमेंट) के उत्‍पादों और तकनीकी वस्त्र के उत्पादों के उत्पादन के लिए संयंत्र, मशीनरी, उपकरण और निर्माण कार्यों (भूमि और प्रशासनिक भवन की लागत को छोड़कर) में न्यूनतम 300 करोड़ रुपये निवेश करने को तैयार है, वह इस योजना के पहले भाग में भागीदारी के लिए आवेदन करने का पात्र होगा. दूसरे भाग में, कोई भी व्यक्ति (जिसमें फर्म/कंपनी शामिल है), जो न्यूनतम 100 करोड़ रुपये निवेश करने का इच्छुक है, वह योजना के इस भाग में भागीदारी के लिए आवेदन करने का पात्र होगा.

छोटे शहरों में खुलेंगे वस्त्र उद्योग

टेक्निकल वस्त्र को बढ़ावा देने के लिए कुछ वर्ष पहले ‘राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन’ भी शुरू किया गया. पीएलआई इस खंड में निवेश आकर्षित करने में और भी अधिक मदद करेगी. खास बात ये है कि इस योजना के तहत टियर 3, टियर 4 शहरों या कस्बों, और ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश को प्राथमिकता दी गई है. इसके मद्देनजर इस उद्योग को पिछड़े क्षेत्र में जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. इस योजना से विशेषकर गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा इत्‍यादि राज्यों पर सकारात्मक असर होगा. इसके अलावा वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत के तहत भी कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं.

टेक्सटाइल क्षेत्र में महिलाओं का योगदान

टेक्सटाइल क्षेत्र में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान है। हम कह सकते हैं कि वस्त्र उद्योग में सबसे ज्यादा महिलाएं ही जुड़ी हुई हैं. इस नई पीएलआई योजना के तहत टीयर-2, 3 और 4 में ही उद्योग लगाने की बात की गई है. ऐसे में उन्हें घर के पास ही अपना खुद का काम करते हुए, वस्त्र उद्योग में भी अपना योगदान दे सकेंगी.

टेक्सटाइल पार्क

इस साल 2021-22 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश में 7 टेक्सटाइल पार्क बनाने का ऐलान किया था. इस दिशा में यूपी सरकार ने बड़ी पहल की है. इसके तहत नोएडा प्राधिकरण ने सेक्टर 29 में नोएडा में टेक्सटाइल पार्क की स्थापना के लिए 150 एकड़ भूमि आवंटित कर दी है. सरकार के इस फैसले से अब उत्तर प्रदेश का पहला टेक्सटाइल पार्क नोएडा में बनने का रास्ता साफ हो गया है.

Published - September 28, 2021, 05:03 IST