अनिवार्य कानून (mandatory law) लागू होने के बाद से भारतीय कंपनियों ने कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) परियोजनाओं पर अब तक 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (Crisil) के एक अनुमान के मुताबिक साल 2021 में 22,000 करोड़ रुपये CSR के तहत खर्च होने की संभावना है. यह अब तक खर्च होने वाली सबसे ज्यादा राशि होगी. कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने 2014-15 से कंपनियों के लिए अपने मुनाफे का दो प्रतिशत CSR परियोजनाओं पर खर्च करना अनिवार्य कर दिया है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक रेटिंग एजेंसी क्रिसिल का अनुमान है कि लिस्टेड कंपनियों ने इस साल अब तक कुल राशि का लगभग दो-तिहाई खर्च किया होगा. बाकी नॉन लिस्टेड कंपनियों से आएगा. पिछले दो सालों में कोविड-19 महामारी एक प्रमुख फोकस क्षेत्र के रूप में उभरा है.
क्रिसिल फाउंडेशन की चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर माया वेंगुर्लेकर ने अपने एक बयान में कहा कि तीसरी लहर की उम्मीदों को देखते हुए, इस फाइनेंशियल ईयर के दौरान और अधिक धनराशि निकालने की जरूरत पड़ सकती है. क्रिसिल रेटिंग के डायरेक्टर नितेश जैन ने बताया इस फाइनेंशियल ईयर में और बदलाव हो सकते हैं क्योंकि कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित नए नियम अप्रैल, 2021 से लागू हो गए हैं. सरकार ने अधिसूचना जारी कर कंपनियों से कोविड -19 राहत कार्य, जागरूकता और टीकाकरण अभियान का समर्थन करने का आग्रह किया है.
इस फाइनेंशियल ईयर के CSR खर्च में मैन्युफैक्चरिंग, ऊर्जा और वित्तीय सेवाओं ने 60 फीसदी से अधिक का योगदान दिया. सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं ने एलिजिबल कंपनियों का सात प्रतिशत हिस्सा लिया है लेकिन कुल खर्च में लगभग 32 प्रतिशत का योगदान दिया. भारतीय कंपनियों के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता शिक्षा, कौशल विकास और स्वास्थ्य देखभाल व स्वच्छता है. पीएम केयर फंड से कोविड-19 की रोकथाम को लेकर जो पैसे खर्च हुए उसमें 88 फीसदी का योगदान CSR के तहत जमा की गई रकम का है.
फाइनेंशियल ईयर 2020 में CSR का 96 फीसदी हिस्सा शीर्ष दस राज्यों से आया था. जिसमे महाराष्ट्र के पास सबसे ज्यादा CSR राशि थी. महाराष्ट्र के पास कुल CSR का 46.5 फीसदी हिस्सा था. दिल्ली 18.7 फीसदी के साथ दूसरे स्थान पर था. क्रिसिल की रिपोर्ट में CSR परियोजनाओं को लागू करने वाली एजेंसियों को प्राथमिकता देने का भी उल्लेख किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार कार्यान्वयन (implementing) एजेंसियों का उपयोग करने वाली कंपनियों का अनुपात 78 प्रतिशत तक पहुंच गया है.