कोरोना वायरस की मार से अर्थव्यवस्था को उभारने में कॉरपोरेट सेक्टर को बड़ी भूमिका निभानी होगी. मुश्किल दौर में कारोबारियों को आगे बढ़कर कमान संभालने की जरूरत है. कंफर्ट जोन से निकलते हुए उन्हें देश के विकास में अपना योगदान देना होगा. पांच लाख करोड़ डॉलर की इकॉनमी के सपने को साकार करना होगा.
सरकार ने रेट्रो टैक्स खत्म कर के सकारात्मक माहौल बनाने की पहल की है. अब कॉरपोरेट इंडिया की बारी है कि वह पक्का करे कि देश के विकास की गति थमने न पाए. सरकार ने मौजूदा निवेशकों की जरूरतों को पूरा करने और संभावित निवेशकों की चिंताओं को खत्म करने के लिए राजस्व में होने वाले घाटे को स्वीकार किया है. इस कदम से ईज ऑफ बिजनेस बढ़ेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया इंक को संबोधन में साफ कहा है कि अब इंडस्ट्री के कमान संभालने की बारी है. उन्हें जोखिम उठाने की अपनी क्षमता बढ़ाते हुए रिसर्च और डिवेलपमेंट जैसे मोर्चों पर निवेश बढ़ाना होगा. उन्होंने कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने के लिए कारोबारियों को इन्वेस्टमेंट बढ़ाने के साथ रोजगार के मौके भी बढ़ाने होंगे.
कोरोना ने कई एक्सपेंडिचर से जड़ी योजनाओं पर पानी फेरा है. मगर इंडस्ट्री को इसके लिए कर्जदाताओं के साथ मिलकर रास्ते निकालने होंगे, ताकि इकनॉमिक ग्रोथ पर असर न पड़े.
‘पूरी ताकत झोंक देना’ सिर्फ कहने भर के लिए नहीं होना चाहिए. टैक्स के स्तर पर हुए बदलाव से केंद्र और इंडिया इंक के बीच विश्वास फिर से मजबूत होना चाहिए. सरकार ने एक कदम आगे बढ़ाया है. अब कॉरपोरेट इंडिया की बारी है. मामला सिर्फ ग्रोथ का नहीं है. देश में रोजगार सृजन की भी सख्त जरूरत है. दूसरी लहर टलने के साथ कारोबारियों और उपभोक्ताओं के सेंटिमेंट में सुधार हुआ है. यही मौका है कि इंडस्ट्री ठोस कदम उठाए और देश को आर्थिक संकट से बचाए. एक्सपोर्ट में नए मौके बन रहे हैं. इंडस्ट्री को इसका फायदा उठाते हुए एक्सटर्नल ट्रेड को बढ़ाने के साथ घरेलू बाजार में मौके बनाने होंगे.