सरकार की PLI योजना से आने वाले पांच सालों में पैदा होंगे एक करोड़ रोजगार

कृषि के बाद सबसे ज्यादा लोग टेक्सटाइल इंडस्ट्री से जुड़े हैं. करीब साढ़े 4 करोड़ लोग प्रत्यक्ष और 6 करोड़ अप्रत्यक्ष रूप में इंडस्ट्री से जुड़े हैं.

  • Team Money9
  • Updated Date - September 28, 2021, 04:59 IST
cabinet approves 10,683 crore rupees pli scheme for textile sector

करीब साढ़े चार करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार और लगभग 6 करोड़ लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से वस्त्र उद्योग के रोजगार से जुड़े हुए हैं

करीब साढ़े चार करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार और लगभग 6 करोड़ लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से वस्त्र उद्योग के रोजगार से जुड़े हुए हैं

देश में टेक्सटाइल यानी कपड़ा उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से कई प्रयास किए जा रहे हैं. इसमें प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के जरिए टेक्निकल टेक्सटाइल के क्षेत्र में भारत कदम बढ़ा रहा है. साथ ही मैन मेड फाइबर बढ़ाने पर फोकस किया जा रहा है. टेक्सटाइल इंडस्ट्री का भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान है. देश का करीब 2.3% GDP टेक्सटाइल इंडस्ट्री से आती है. अभी एक्सपोर्ट 11-12% है. इस बार फिर 400 करोड़ का एक्सपोर्ट लक्ष्य रखा गया है.

माना जाता है कि कृषि के बाद सबसे ज्यादा लोग इसी इंडस्ट्री के रोजगार से जुड़े हैं. करीब साढ़े चार करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार और लगभग 6 करोड़ लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से टेक्सटाइल इंडस्ट्री के रोजगार से जुड़े हुए हैं.

भारतीय टेक्सटाइल नेचुरल फाइबर पर निर्भर

किसी भी टेक्सटाइल इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने में फाइबर का सबसे ज्यादा योगदान होता है. फाइबर दो तरह के होते हैं नेचुरल और मैन मेड फाइबर. नेचुरल में कॉटन, सिल्क, जूट आदि. कॉटन के उत्पादन में भारत विश्व में दूसरे नंबर हैं. मैन मेड फाइबर में पॉलिस्टर रेयान, आता है. पूरे विश्व में करीब 70% बाजार मैन मेड फाइबर से बनी चीजों का है और केवल 30% नेचुरल फाइबर से बना है. हालांकि हमारे यहां स्थिति एक दम उलट है. हम नेचुरल फाइबर पर ज्यादा काम करते हैं. ऐसे में अगर हमें विश्व में टेक्सटाइल के क्षेत्र में पैठ बनानी है, तो मैन मेड फाइबर पर ज्यादा फोकस करना होगा.

क्या है टेक्निकल टेक्सटाइल

टेक्निकल टेक्सटाइल में ऐसे वस्त्र आते हैं, जिनका निर्माण फैशन के उद्देश्यों के लिये नहीं बल्कि कार्यात्मक गुण प्रमुख होते हैं. कोरोना काल में पीपीई किट, मास्क आदि हैं. इसके अलावा एयरबैग, बुलेटप्रूफ, वाहनों में उपयोग में आने वाले वस्त्र, चिकित्सा में उपयोग किये जाने वाले वस्त्र, कृषि और रक्षा से संबंधित होते हैं.

टेक्सटाइल इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए PLI स्कीम

हाल के सालों में बांग्लादेश, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देश प्रमुख कपड़ा उत्पादकों के रूप में उभरे हैं. ऐसे में भारत को आगे बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से कई प्रयास किए जा रहे हैं. हाल ही में सरकार ने 10,683 करोड़ रुपये के ‘PLI योजना’ को मंजूरी दे दी है. इसमें मैन मेड फाइबर और टेक्निकल टेक्सटाइल को बढ़ावा मिलेगा. इस योजना हमारी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाएगी.

पांच सालों में पैदा होंगे एक करोड़ रोजगार

इस घोषणा के साथ ही भारत में न्यूनतम उत्पादन पांच वर्षों में लगभग 37.5 लाख करोड़ रुपये का होगा और पांच वर्षों में कम से कम लगभग 1 करोड़ रोजगार पैदा होने की उम्मीद है. इस योजना से देश में अधिक मूल्य वाले एमएमएफ फैब्रिक, गारमेंट्स और तकनीकी वस्त्रों के उत्पादन को काफी बढ़ावा मिलेगा.

छोटे शहरों में खुलेंगे वस्त्र उद्योग

टेक्निकल वस्त्र को बढ़ावा देने के लिए कुछ वर्ष पहले ‘राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन’ भी शुरू किया गया. इस योजना के तहत टियर 3, टियर 4 शहरों या कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश को प्राथमिकता दी गई है. इसके मद्देनजर इस उद्योग को पिछड़े क्षेत्र में जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. इस योजना से विशेषकर गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा आदि राज्यों पर असर होगा.

Published - September 28, 2021, 04:59 IST