बढ़ती कीमतों से राहत देने के लिए सरकार खाद्य तेलों (edible oil) पर प्रभावी आयात शुल्क (import duty) को कम कर सकती है. सरकार क्रूड पाम (crude palm), सोया (soya) और सूरजमुखी (sunflower) के तेल पर प्रभावी आयात शुल्क, जिसमें उपकर और अन्य शुल्क शामिल हैं, को 30.25% से घटाकर 24.75 फीसदी कर सकती है. इसी तरह रिफाइंड पाम (refined palm) और सोया तेल पर ड्यूटी 41.25 पर्सेंट से घटाकर 31.75 प्रतिशत करने पर विचार कर रही है.
इकोनॉमिक टाइम्स ने मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारी के हवाले से कहा, ‘यह त्योहारी सीजन के दौरान कीमतों पर नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है.’
यह कदम सरसों, वनस्पति, सोया और पाम के तेल की कीमतों में लगभग 30 फीसदी की वृद्धि और सूरजमुखी के तेल की कीमतों में पिछले वर्ष की तुलना में 40 प्रतिशत से अधिक की बढ़त के मद्देनजर आया है.
जुलाई में तेल और वसा खुदरा मुद्रास्फीति (oil and fats retail inflation) जनवरी में 6.65 प्रतिशत की तुलना में 32.53 फीसदी थी.
भारत वनस्पति तेलों (vegetable oil) का सबसे बड़ा आयातक है. घरेलू मांग का 65 फीसदी से अधिक आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है. देश में पाम तेल इंडोनेशिया और मलेशिया से आता है. जबकि, सोया तेल और सूरजमुखी तेल अर्जेंटीना, ब्राजील, यूक्रेन और रूस से आयात किया जाता है.
हालांकि, भारत अब पाम ऑयल की निर्भरता को कम करने के लिए इसकी खेती को बढ़ावा दे रहा है. केंद्र ने हाल ही में 11,040 करोड़ के नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल्स-ऑयल पाम (NMEO-OP) को मंजूरी दी है.
आयात पर निर्भरता के कारण भारत में खाद्य तेलों की खुदरा कीमतें अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं. ग्लोबल कीमतों में उछाल का एक कारण चीन का खाद्य तेल की अत्यधिक खरीदारी करना है.
वहीं मलेशिया में कोविड-19 लॉकडाउन के कारण पाम की फसल अच्छी नहीं हुई. यूक्रेन और रूस में सूखे के कारण सूरजमुखी के तेल का उत्पादन प्रभावित हुआ.
वैश्विक उत्पादन में साल-दर-साल 2020 में नौ प्रतिशत की गिरावट आई है. बायोडीजल की मांग के कारण सोयाबीन तेल की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गईं.