प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली कैबिनेट कमिटी ऑन इकनॉमिक अफेयर्स (CCEA) ने 2021-22 में गन्ने की खेती के सीजन (अक्टूबर-सितंबर) के लिए उचित और लाभकारी मूल्य (fair and remunerative price – FRP) को अनुमति दे दी है. इसे 10 प्रतिशत के रिकवरी रेट के लिए 290 रुपये प्रति क्विंटल पर तय किया गया है.
चीनी मिलों को 1 अक्टूबर, 2021, से नए FRP पर किसानों से गन्ने खरीदने होंगे. इसमें 10 प्रतिशत से अधिक की रिकवरी होने पर हर 0.1 फीसदी पर 2.9 रुपये प्रति क्विंटल का प्रीमियम मिलेगा. वहीं, हर 0.1 प्रतिशत की गिरावट पर FRP में 2.9 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से कटौती होगी.
जिन चीनी मिलों में रिकवरी 9.5 फीसदी से कम है, वहां पर किसी तरह की कटौती नहीं की जाएगी. इससे किसानों को लाभ मिलेगा. उन्हें गन्ने के लिए 275.5 रुपये प्रति क्विंटल मिलेगा. 2020-21 के सीजन में उन्हें 270.75 रुपये प्रति क्विंटल पर मिलते आ रहे हैं.
आने वाले सीजन के लिए गन्ना उत्पादन की लागत 155 रुपये प्रति क्विंटल है. FRP के प्रॉडक्शन कॉस्ट से 87.1 प्रतिशत अधिक होने की वजह से किसानों को 50 फीसदी से अधिक का रिटर्न मिलेगा.
चालू सीजन में चीनी मिलों ने 91 हजार करोड़ रुपये में 2,976 लाख टन गन्ने खरीदे हैं. यह गन्नों की अब तक की सबसे अधिक खरीदारी रही है. अन्य फसलों की तुलना में मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) पर खरीदे गए धान के बाद यह दूसरे नंबर पर है.
गन्ना किसानों को कुल एक करोड़ रुपये मिलेंगे. सरकार कोशिश कर रही है कि उन्हें समय से लाभ मिल सके. कृषि में गन्ना एक बेहद महत्वपूर्ण सेक्टर है. चीनी मिलों में करीब पांच लाख वर्कर काम करते हैं. इनके अलावा, लेबर और ट्रांसपोर्टेशन के लिहाज से भी सेक्टर से लोग जुड़े हुए हैं.
कैबिनेट कमिटी ने इंफ्रास्ट्रक्चर प्लान को बढ़ावा देने के लिए इससे जुड़े विदेशी निवेश के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है. कंस्ट्रक्शन-डेवलपमेंट सेक्टर की एंकरेज इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट होल्डिंग में FDI के जरिए 15 हजार करोड़ रुपये निवेश किए जाएंगे.
इससे इंफ्रा, कंस्ट्रक्शन सहित एयरपोर्ट सेक्टर को भी बढ़ावा मिलेगा. साथ ही हाल ही में घोषित नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन (NMP) के लिए भी यह महत्वपूर्ण साबित होगा.
(इस खबर में प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो से मिली जानकारियां शामिल हैं)