GST को तीन स्लैब में रखने की चल रही है कवायद: केवी सुब्रमण्यम

वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने कहा कि GST की मौजूदा स्लैब का विलय करके तीन स्लैब रखने की कवायद चल रही है

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 साठे ने कहा, "बीमा कंपनियां लंबी अवधि की देनदारियां लेती हैं, लेकिन बाजार में कोई मैचिंग एसेट इंस्ट्रूमेंट नहीं है, जिसके परिणामस्वरूप एसेट लायबिलिटी मिसमैच हो जाती हैं.

 साठे ने कहा, "बीमा कंपनियां लंबी अवधि की देनदारियां लेती हैं, लेकिन बाजार में कोई मैचिंग एसेट इंस्ट्रूमेंट नहीं है, जिसके परिणामस्वरूप एसेट लायबिलिटी मिसमैच हो जाती हैं.

भारत सरकार जीएसटी की संरचना में एक बार फिर से बदलाव की योजना बना रही है. वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने गुरुवार को कहा कि GST की मौजूदा पांच, दो स्लैब का विलय करके जीएसटी की संरचना में सिर्फ तीन स्लैब रखने की कवायद चल रही है. इसका परिणाम भी जल्द देखने को मिल जाएगा. एसोचैम द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में सुब्रमण्यम ने कहा कि तीन-दर संरचना निश्चित रूप से काफी महत्वपूर्ण है. कृष्णमूर्ति ने बताया कि सरकार निश्चित रूप से इन सभी मामलों से पूरी तरह अवगत है, जल्द ही इसमें बदलाव होने की उम्मीद है.

जीएसटी के मूल में 3 स्लैब की संरचना

एक कार्यक्रम के दौरान मुख्य आर्थिक सलाहकार सुब्रमण्यन ने बताया कि वास्तविक योजना GST में तीन दर के संरचना की ही थी, बाद में इसे पांच दरों के साथ पेश किया गया. उस समय GST की संरचना में बदलाव को लेकर उठाया गया यह कदम शानदार था. एक्सपर्ट्स द्वारा शुरू में 5 दरों के साथ ही GST को पेश करने की योजना बनाई गई थी. वस्तु सेवा कर (GST) में 5, 12, 18 और 28 फीसदी की चार प्रमुख दरें फिलहाल में हैं. कीमती पत्थरों और धातुओं पर क्रमशः 0.25 फीसद और 3 फीसद की विशेष दरें लागू होती हैं.

जीएसटी काउंसिल का फैसला होगा अंतिम

पिछले कुछ सालों से 12 फीसद और 18 फीसद स्लैब को एक ही दर में मिलाने के प्रस्ताव पर चर्चा की जा रही है. अब तक GST काउंसिल के समक्ष कोई अंतिम प्रस्ताव नहीं रखा गया है. अंतिम प्रस्ताव पर GST काउंसिल ही अंतिम फैसला करती है. यदि काउंसिल दोनों दरों के विलय को मंजूरी देती है, तो घी, मक्खन, पनीर और चश्मा जैसी चीजें महंगी हो सकती हैं, जबकि साबुन, बर्तन और कपड़े सस्ते हो सकते हैं. अगर विलय हो जाता है तो 12 फीसद स्लैब के दायरे में आने वाली वस्तुओं पर टैक्स का बोझ बढ़ जाएगा.

15वें वित्त आयोग (एफएफसी) ने इसी साल संसद में पेश हुई अपनी रिपोर्ट में भी 12 फीसद और 18 फीसद जीएसटी की दरों के विलय के लिए सरकार से आग्रह किया था. पूर्व फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने भी दोनों स्लैब को मर्ज करने की बात कही थी. जेटली ने साल 2018 में ब्लॉग में लिखा था कि 12 और 18 फीसदी के दो स्टैंडर्ड रेट्स के बजाय एक स्टैंडर्ड रेट की रूपरेखा तैयार की जा सकती है. टैक्स मामलों के जानकार अभिषेक जैन ने बताया कि यदि दोनों स्लैब को मर्ज कर बीच की कोई दर बनाई जाती है तो 12 फीसद के दायरे में आने वाली चीजों के दामों में इजाफा होगा और 18 फीसदी की दर वाली वस्तुओं की कीमत में कमी आएगी.

Published - July 30, 2021, 07:29 IST