भारत में कोविड-19 की तीसरी लहर अक्टूबर और नवंबर के बीच चरम पर हो सकती है, लेकिन दूसरी लहर की तुलना में इसकी इंटेंसिटी (तीव्रता) बहुत कम होगी. महामारी के गणितीय मॉडलिंग (mathematical modelling) में शामिल एक IIT वैज्ञानिक ने सोमवार को ये बात कही. तीसरी लहर के चरम पर देश में 1 लाख दैनिक मामले देखे जा सकते हैं, जबकि दूसरी लहर में ये संख्या 4 लाख को पार कर गई थी.
IIT-कानपुर के वैज्ञानिक मनिंद्र अग्रवाल, एक्सपर्ट की तीन सदस्यीय टीम का हिस्सा हैं. उन्हें संक्रमण में किसी भी वृद्धि के प्रिडिक्शन (भविष्यवाणी) का काम सौंपा गया है. अग्रवाल ने कहा कि यदि वायरस का कोई नया ज्यादा संक्रामक वैरिएंट नहीं आता है, तो स्थिति बदलने की संभावना नहीं है. हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि तीसरी लहर के पीक की गणना सितंबर तक वायरस के नए वेरिएंट के आने के आधार पर की गई है.
अग्रवाल ने कहा, अगर सितंबर तक वायरस का नया वैरिएंट आता है जो 50% ज्यादा संक्रामक है तो रोजाना एक लाख मामले देखने को मिल सकते हैं. पिछले महीने, इसी गणितीय मॉडल की गणना के अनुसार कहा गया था कि तीसरी लहर अक्टूबर और नवंबर के बीच चरम पर हो सकती है और दैनिक मामले 1.5 लाख से 2 लाख के बीच होंगे.
वहीं, पिछले हफ्ते के पूर्वानुमान में दैनिक मामलों की संख्या 1-1.5 लाख बताई गई थी. अग्रवाल ने कहा कि जुलाई और अगस्त में हुए वैक्सीनेशन के डेटा को भी गणना में शामिल किया गया है.
इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के शोधकर्ताओं के एक अध्ययन के अनुसार, कोरोना वायरस महामारी का R या रिप्रोडक्टिव वैल्यू 0.89 है.
यह आवश्यक है कि R वैल्यू एक से कम हो जो संक्रमण के प्रसार को रोकने में मदद कर सके. R वैल्यू से पता चलता है कि एक व्यक्ति कितने अन्य लोगों को संक्रमित कर सकता है.
0.89 की R वैल्यू का मतलब है कि कोरोना से संक्रमित ओसतन 10 व्यक्ति लगभग 9 लोगों तक संक्रमण फैला सकते हैं.
वैक्सीनेशन दुनिया भर में कोरोना वायरस का मुकाबला करने का सबसे बड़ा हथियार रहा है. देश में 31 अगस्त 2021 तक वैक्सीन 64,05,28,644 खुराक दी जा चुकी हैं.