इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि भारत में लोग टैक्स बचाने के लिए काफी हद तक जाकर गलत जानकारियां देते हैं. इसमें झूठे टैक्स रिटर्न (Tax Return) दाखिल करने से लेकर रिश्वत देकर फर्जी दस्तावेज बनाने तक शामिल हैं. इसमें कमाई को छुपाना या फर्जी जानकारी देना, बिना सबूत के कटौतियों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने के अलावा, कैश लेनदेन की घोषणा करने में विफल होना शामिल है. टैक्स चोरी एक गंभीर अपराध है, जिनके लिए कानून में सजा का प्रावधान है. कानून के मुताबिक असली आय के सबूत पेश करने में विफल होने पर 100 फीसदी से लेकर 300 फीसदी तक जुर्माना देना पड़ता है.
टैक्स देने अधिकतर लोगों के लिए आसान नहीं होता क्योंकि लोग अपनी कमाई का एक हिस्सा सरकार को देने के पक्ष में नहीं होते हैं. फिर भी, हककीत यह है कि टैक्स सरकार के लिए राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं.
यह कंपनी के प्रदर्शन को बढ़ाने के उद्देश्य से अलग अलग विकास परियोजनाओं में निवेश किया गया धन है. हालांकि, देश लंबे समय से ज्यादा टैक्स हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहा है. लोग टैक्स का भुगतान से बचने के लिए कई अलग अलग रास्ते खोज लेते हैं. इसके चलते देश के राजस्व को नुकसान होता है. इसलिए, आइए हम उन कई तरीकों की जांच करें जिनके जरिए लोग टैक्स का भुगतान करने से बचते हैं.
जब कई सामानों को ट्रांसपोर्ट के जरिए एक लोकेशन से दूसरी लोकेशन पर लाया जाता है, तो इंटरनेशनल या स्टेट बॉर्डर पर टैक्स देना पड़ता है. हालांकि, कुछ व्यक्ति उन करों का भुगतान करने से बचने के लिए इन सामानों की आवाजाही को छुपा लेते हैं, जिससे टैक्स को बचाया जा सके.
ये टैक्स न भुगतान करने का सबसे आसान तरीका है. इस प्रकार की टैक्स चोरी में लिप्त व्यक्ति अपनी मर्जी से या बिना मर्जी से समय पर या नियत तारीख के बाद टैक्स का भुगतान नहीं करता है. वो सरकार को टैक्स देने से इंकार कर देते हैं, जो देना कानूनी तौर पर मान्य होता है.
सही फाइनेंशियल स्टेटमेंट न देकर फाइनेंशियल लेनदेन उन टैक्स को निर्धारित करते हैं जो एक व्यक्ति या संगठन को असेसमेंट ईयर के आधार पर तय होते हैं. अगर फर्जी तरीके से फाइनेंशियल डॉक्यूमेंट्स या अकाउंट में असल कमाई से कम दिखाई जाती है तो इससे कम टैक्स देना होता है.
कई मामलों में देखने को मिलता है कि रिटर्न दाखिल करते वक्त, टैक्स की देनदारी को कम करने के लिए लोग फर्जी बिलों का इस्तेमाल करते हैं. ये काम भी टैक्स चोरी के तौर पर माना जाता है. कई लोग असली जानकारियां छिपाकर, कम टैक्स का भुगतान करते हैं.
सरकार ने लोगों को प्रगति और फाइनेंशियल आजादी देने के लिए कुछ छूट और लाभ प्रदान करती है. कुछ हालातों में, जो लोग ऐसे लाभ और छूट के लिए क्वालिफाई नहीं करते हैं, लेकिन उस क्लेम को हासिल करने के लिए डॉक्यूमेंट्स पेश करने का दावा करते हैं. लेकिन उन्हें ये इजाजत नहीं मिलती है क्योंकि वो इसके योग्य नहीं हैं.
ये टैक्स चोरी करने का सबसे आसान तरीका है. इस स्थिति में व्यक्ति वित्तीय वर्ष के अंदर कमाई गई किसी भी आय का खुलासा करने में नाकाम साबित होते हैं. वे कोई टैक्स नहीं देते हैं क्योंकि उन्होंने कोई कमाई दर्ज नहीं कराई है, वो प्रभावी रूप से चकमा दे रहे हैं. इसका सबसे आसान उदाहरण वो मकान मालिक हैं, जो अपने किरायदार के जरिए होने वाली कैश कमाई के बारे में सरकार को नहीं बताते हैं.
स्विस बैंक खातों के बारे में सभी ने कहानियां सुनी हैं. ऑफशोर अकाउंट्स वे होते हैं जो देश के बाहर रखे जाते हैं. और उनके बारे में इनकम टैक्स विभाग को जानकारी नहीं दी जाती है. इसलिए वो टैक्स की देनदारियों से बच जाते हैं.