Agri Loan: कोविड की दूसरी लहर थमने के बाद राज्यों में पाबंदियां हटने से कृषि गतिविधियों में तेजी आने के कारण बीते माह देश में कृषि ऋण यानी एग्री लोन (Agri Loan) में बढ़ोतरी हुई है. भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार जून में उद्योग और सेवा क्षेत्र के लोन की वृद्धि दर में जहां गिरावट आई है, वहीं खुदरा और एग्री लोन के पोर्टफोलियो में बढ़त दर्ज की गई है. आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियों हेतु लिए जाने वाले कर्ज़ में जून में 11.4 प्रतिशत की तेज बढ़ोतरी दर्ज़ की गई है . जून 2020 में यह वृद्धि 2.4 प्रतिशत रही थी. ऋण में यह वृद्धि रबी मौसम में बेहतर फसल और लगातार तीसरे वर्ष अच्छे मानसून की संभावनाओं को दर्शाती है.
होम लोन और ऑटो लोन में जून में 11.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. पिछले साल जून में यह वृद्धि 10.4 प्रतिशत रही थी.
एक सरकारी बैंक के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि देश में लॉकडाउन में धीरे-धीरे ढील दिए जाने और आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि के चलते दूसरी तिमाही के आंकड़ों में यह सुधार देखने को मिल रहा है.
हालांकि इसकी रफ्तार अभी कोविड पूर्व के दौर में देखी गई विकास दर से नीचे रहेगी. इसके अलावा, तीसरी लहर का उभरना एक बड़ा जोखिम हो सकता है, जिससे गतिविधियों के थमने के कारण रफ्तार धीमी पड़ सकती है.
सिडबी-ट्रासंयूनियन की रिपोर्ट से पता चलता है कि कृषि के साथ ही सूक्ष्म और लघु इकाइयों यानी एमएसएमई के कर्ज की वृद्धि दर जून में बढ़कर 6.4 प्रतिशत हो गई, जबकि जून 2020 में यह 2.9 प्रतिशत थी.
एमएसएमई सेक्टर में कर्ज़ की मांग सुधरकर जून 2021 में कोविड-पूर्व के स्तर तक पहुंच गई है. दूसरी लहर के कारण अप्रैल और मई में इस सेक्टर के कर्ज में सुस्ती देखी गई थी.
सिबिल के क्रेडिट इंक्वायरी के सूचकांक की रीडिंग मार्च में 139 से गिरकर अप्रैल में 67 हो गई और मई में 75 तक पहुंच गई थी, पर हालात सुधरने से जून में यह बढ़कर 95 पर पहुंच गई है.