भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि वित्तीय स्थिरता और वृद्धि के लिए सटीक और विश्लेषणात्मक ऑडिट रिपोर्ट जरूरी है, क्योंकि इससे नागरिकों में भरोसा पैदा होता है. दास ने नेशनल एकेडमी ऑफ ऑडिट एंड अकाउंट्स (एनएएए) में अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ऑडिट देश के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि सार्वजनिक व्यय के फैसले इन्हीं रिपोर्ट पर आधारित होते हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के लिहाज से ऑडिट सुशासन की आधारशिला है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘एक लचीली अर्थव्यवस्था के लिए निष्पक्ष और मजबूत ऑडिट व्यवस्था जरूरी है, क्योंकि इससे नागरिकों में भरोसा पैदा होता है… यह वैश्विक स्तर पर देश की प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता को बढ़ाने का एक साधन भी है.’’
उन्होंने कहा कि उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर पहले से अधिक आर्थिक फैसले किए जा रहे हैं, इसलिए गलत जानकारी के चलते अपेक्षा से कमतर निर्णय हो सकते हैं.
बैंकिंग क्षेत्र का उदाहरण देते हुए गवर्नर ने कहा कि यदि कोई बैंक गलत और भ्रामक वित्तीय विवरणों के आधार पर कर्ज देता है, तो उधार लेने वाला अंत में इसे चुकाने में असमर्थ होगा.
उन्होंने कहा कि ऑडिट की गुणवत्ता में सुधार की जरूरत है और इसलिए रिजर्व बैंक ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों के ऑडिट में सुधार के लिए भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) की सलाह से कई कदम उठाए हैं.
दास ने कहा, ‘‘आरबीआई मानक में सुधार के लिए लगातार ऑडिटिंग के हितधारकों के साथ मिलकर काम कर रहा है.’’
आरबीआई गवर्नर ने बताया कि इस साल जनवरी में वाणिज्यिक बैंकों के लिए जोखिम आधारित आंतरिक लेखा परीक्षा प्रणाली को मजबूत किया गया.
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने लचीले वित्तीय क्षेत्र के निर्माण के लिए बैंकों, एनबीएफसी में मजबूत प्रशासनिक ढांचे पर जोर दिया. उन्होंने ऑडिटर समुदाय से लगातार कौशल विकास करने और अपने कार्य को सबसे प्रभावी तरीके से करने का आग्रह किया.