इनकम टैक्स रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 जुलाई से बढ़ाकर 30 सितंबर कर दी गई है. आयकर विभाग ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि ITR के लिए इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म भरने में दिक्कत होने की कइयों ने शिकायत की है. इसी के चलते रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख बढ़ाने का फैसला किया गया है.
टैक्स रिटर्न की प्रक्रिया अगर आपको भी कठिन लगती है, तो आपके लिए हम उसे आसान बनाने की कोशिश कर रहे हैं. ये कुछ अहम बातें हैं, जिनको रिटर्न फाइल करते समय ध्यान में रखना चाहिए.
सही फॉर्म
रिटर्न भरते समय सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि आप सही फॉर्म भर रहे हैं. इसका फैसला आय और आवासीय स्थिति के आधार पर किया जाता है. यानी, अगर किसी शख्स की आय 50 लाख रुपये तक है, उनके पास एक घर है और अन्य स्रोत से भी पैसा कमा रहे हैं, तो उन्हें ITR-1 फॉर्म भरना होगा. जो इस श्रेणी में नहीं आते, उन्हें ITR-2 फॉर्म भरना होता है.
नई और पुरानी कर प्रणाली
बजट 2020 में पेश की गई नई टैक्स प्रणाली कम रेट पर इनकम टैक्स भरने का विकल्प देती है. हालांकि इसके तहत किसी भी तरह अलाउएंस नहीं शामिल है, जो पुरानी प्रणाली में मिलती हैं. ऐसे में पहले आंकलन कर लें कि कौन सी रेजीम आपके लिए फायदेमंद है. उस आधार पर फैसला करें.
ऑटोमेटेड जानकारियों की जांच
ITR फॉर्म इस साल कुछ हद तक पहले से भरे होंगे. आपकी निजी जानकारियां, आय से जुड़े पहलू, जैसे कि सैलरी, कैपिटल गेन, इंटरेस्ट इनकम, पहले से फॉर्म में दर्ज होंगी. इन्हें ध्यान से जांच लें. किसी तरह की गलती मिलने पर आय के स्रोत से संपर्क करें, ताकि TDS जैसे कागजातों पर दर्ज जानकारी में सुधार किया जा सके.
पहले से भरे जा चुके टैक्स
फॉर्म 26 ए एस के तहत TDS, एड्वांस टैक्स आदि के जरिए पहले से भरे जा चुके कर की जांच कर लेनी चाहिए. इसमें किसी तरह की गड़बड़ी होने पर तुरंत सुधार करा लें. अगर वेतन को लेकर कोई गड़बड़ी है तो अपने एंप्लॉयर से संपर्क करें. अगर एड्वांस टैक्स में गड़बड़ी है तो बैंक में शिकायत दर्ज करें.
बचे हुए कर का भुगतान
पहले से भरे जा चुके कर से अतिरिक्त जितनी टैक्सेबल इनकम बनती है, उसपर लागू होने वाले रेट के हिसाब से आपको कितना टैक्स भरना है, उसका आंकलन कर लेना चाहिए. रिटर्न फाइल करने से पहले इसका भुगतान करना होता है.
अहम जानकारियां
ITR भरते समय कुछ जानकारियों देना बेहत जरूरी होता है. देश में मौजूद आपके नाम पर सभी बैंक खाते और लिस्ट नहीं किए गए सभी इक्विटी शेयर की जानकारी देनी होती है. अगर किसी देसी या विदेशी कंपनी में आर डायरेक्टर हैं तो उसके बारे में बताना होता है. अगर आमदनी 50 लाख रुपये से अधिक है, तो अपने सभी निवेश और एसेट्स का ब्योरा देना होता है. विदेश में आपके नाम पर अगर कोई एसेट्स हैं, तो उनकी जानकारी देनी होती है.
टैक्स के दायरे में नहीं शामिल आय
जो आय इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आती हैं, रिटर्न भरते समय उनके बारे में भी बताना होता है. उदाहरण के तौर पर, अगर आपको कंपनी की ओर से हाउस रेंट अलाउएंस (HRA), लीव ट्रैवल अलाउएंस (LTA), आदि मिलते हैं, तो उनपर टैक्स नहीं कटता है. इन सबकी जानकारी फॉर्म में देनी होती है.
वित्त वर्ष के दौरान नौकरी में बदलाव
अगर साल के दौरान आपने नौकरी बदली है, तो पिछले एंप्लॉयर से जुड़ी सैलरी आदि की जानकारी नई जगह पर दे दें. मौजूदा ऑफिस आपको पूरे साल के हिसाब से फॉर्म-16 और 12बीए तैयार कर के दे सकता है. इसके आधार पर फिर आप ITR भर सकते हैं. दो जगह से मिलने वाले एक जैसे बेनेफिट्स दिखने पर अतिरिक्त टैक्स का भुगतान करना होगा, जो कि रिटर्न फाइल करने से पहले हो जाना चाहिए.
इनके लिए ITR भरना है अनिवार्य
अगर साल के दौरान आपने एक लाख रुपये से अधिक का बिजली बिल भरा है, तो आपके लिए ITR भरना अनिवार्य है, चाहे आपकी आय कितनी भी क्यों ना हो. एक या अधिक करेंट बैंक अकाउंट में अगर एक करोड़ रुपये से अधिक रुपये डिपॉजिट हुए हैं, तो भी रिटर्न फाइल करना ही होगा. इसी तरह, अगर अपनी या किसी और की विदेशी यात्राओं पर आपने दो लाख रुपये से अधिक खर्च किए हैं, तो भी आपके लिए यह प्रक्रिया अनिवार्य है.
ध्यान रखें कि समय सीमा के अंदर टैक्स रिटर्न नहीं भरने पर आपको बड़ी चपत लग सकती है. लेट फीस, बचे हुए कर भुगतान पर लगने वाला इंटरेस्ट आदि आपको भरने होंगे.