एक तरफ भारत है जहां एक दिन में कोरोना के नए मामलों की संख्या 3 लाख को छूने के बेहद करीब है तो वहीं इजरायल है जहां अब बिना मास्क के भी बाहर घूमने की इजाजत है. यहां स्कूल की परिक्षाएं टाली जा रही हैं तो वहीं इजरायल में फिर से स्कूलों में बच्चों की वापसी हो गई है. लेकिन ऐसा कैसे हुआ कि वहां कोरोना महामारी पर काबू पा लिया गया है कि इतनी रियायतें दी जा रही हैं? दरअसल वहां वैक्सीनेशन (Vaccination) में तेजी की वजह से ये संभव हुआ है.
इजरायल (Israel) ने तेजी से टीकाकरण किया है जिससे ज्यादातर लोगों को कोरोना रोधी वैक्सीन लगा चुका है. स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक यहां 93 लाख लोगों की आबादी में से 53 फीसदी लोगों को फाइजर/बियोनटेक (Pfizer/BioNTech) की वैक्सीन के दो डोज लगाए जा चुके हैं. इस वैक्सीन की कारगर क्षमता 90 फीसदी से ज्यादा है. इजरायल ने दिसंबर 2020 से वैक्सीनेशन की शुरुआत की थी.
अब भारत से तुलना करें तो जनवरी से शुरू वैक्सीनेशन में अब तक 13 करोड़ डोज लगाई जा चुकी है जिसमें से 11.76 करोड़ को पहला डोज लगाया गया है जो कुल आबादी का 10 फीसदी से भी कम है. भारत की वैक्सीनेशन ड्राइव में तेजी लाने के लिए लोगों की ओर से भागीदारी की जरूरत है और इसलिए वैक्सीन से जुड़े जितने भी वहम और भ्रम हैं उन्हें हटाने की जरूरत है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के जारी किए आंकड़े के मुताबिक कोविशील्ड या कोवैक्सीन की पहली खुराक ले चुके 21000 से ज्यादा लोग संक्रमित पाए गए जबकि उनकी दोनों खुराक ले चुके लोगों में से भी 5500 से ज्यादा लोग संक्रमित पाए गए. लेकिन कोवैक्सीन टीके की दूसरी खुराक के बाद करीब 0.04 प्रतिशत लोग संक्रमित पाये गये और कोविशील्ड की दूसरी खुराक के बाद 0.03 प्रतिशत लोग संक्रमित मिले.
कई लोगों में इसलिए वैक्सीनेशन के प्रति झिझक है कि वैक्सीन लगाने के बाद भी कोरोना संक्रमण का खतरा पूरी तरह खत्म नहीं होता. लोगों को लगता है कि अगर वैक्सीन लगने के बाद भी कोरोना हो सकता है तो क्यों वैक्सीन लगवाई जाए.
इसपर सफाई देते हुए ICMR के साइंटिस्ट डॉ समीरन पांडा कहते हैं कि वैक्सीन का काम है शरीर में प्रतिरोधि क्षमता तैयार करना यानी वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी को मजबूत करना. वैक्सीन लगने के बाद भी संक्रमण हो सकता है लेकिन उसकी गंभीरता बेहद कम होगी. डॉ पांडा के मुताबिक जो भी वैक्सीन हो वो जरूर लगवानी चाहिए. यानी वैक्सीन लगवाई तो अस्पताल में भर्ती होने जैसी नौबत आने की संभावना नहीं रहती.
1 मई से शुरू हो रहे तीसरे चरण के वैक्सीनेशन में 18 वर्ष के ऊपर के सभी लोग वैक्सीन के लिए पात्र होंगे. भारत को अगर तेजी से हर्ड इम्यूनिटी की ओर बढ़ना है तो वैक्सीन लगवानी जरूरी है.
आज स्वास्थ्य मंत्रालय के जारी किए तुलनात्मक आकड़ों के मुताबिक तीस साल या उससे अधिक उम्र के लोगों में पहली लहर में कोविड-19 के 67.5 फीसद मामले आये थे, वहीं दूसरी लहर में इस आयुवर्ग के 69.18 प्रतिशत मामले आए हैं. इस बार युवाओं में भी संक्रमण फैल रहा है. सरकार ने कहा है कि देश के 146 जिलों में कोविड-19 संक्रमण दर 15 प्रतिशत से अधिक है, जबकि 274 जिलों में संक्रमण दर पांच से 15 प्रतिशत के बीच है.
कोरोना संकट से उबरना है तो वैक्सीनेशन है जरूरी.