कोरोना महामारी (COVID-19) के बीच देश में ऑक्सीजन की आपूर्ति की मांग को पूरा करने के लिए भारत सरकार ने दुनिया के विभिन्न देशों से ‘जियोलाइट’ आयात करने का फैसला लिया है. क्या आप जानते हैं कि ‘जिओलाइट’ क्या चीज है और यह किस प्रकार से ऑक्सीजन पैदा करने में काम आता है ? आइए विस्तार से जानते हैं इसके बारे में….
जिओलाइट्स सिलिकॉन, एल्यूमीनियम और ऑक्सीजन से बनी क्रिस्टलीय ठोस संरचनाएं होती हैं, जिनका मुख्य रूप से इस्तेमाल भारी पानी को हल्का करने के लिए किया जाता है. भारतवर्ष में इन खनिजों के सुंदर मणिभ राजमहल की पहाड़ियों में, काठियावाड़ में गिरनार पर्वत पर तथा दक्षिण ट्रैप में मिलते हैं. इसकी संरचना मधुमक्खी के छत्ते के समान होती है। इसका उपयोग पेट्रो रासायनिक उद्योगों और चिकित्सा के क्षेत्र में होता है.
यह प्राकृतिक रूप से खनिजों के रूप में दुनिया के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर पाए जाते हैं. जिओलाइट प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं लेकिन बड़े पैमाने पर औद्योगिक रूप से भी उत्पादित होते हैं. जिओलाइट्स का निर्माण करने के लिए कच्चे माल के रूप में सिलिका और एल्यूमिना की जरूरत पड़ती हैं, जो पृथ्वी पर पाए जाने वाले सबसे प्रचुर खनिज घटकों में से हैं. यह भारी मात्रा में पानी सोख लेता है, इसलिए तेजी से गर्म करने पर यह बहुत अधिक मात्रा में भाप के रूप में पानी उत्पन्न करता है.
दरअसल, इन दिनों देश में ऑक्सीजन की किल्लत को दूर करने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) जिओलाइट की मदद से ऑक्सीजन पैदा करने की तैयारी में जुट गया है. जी हां, इस खनिज का इस्तेमाल ऑक्सीजन का उत्पादन करने वाले संयंत्र में होता है. कोरोना वायरस की दूसरी खौफनाक लहर के दौरान डीआरडीओ ने कई अस्पतालों में ‘तेजस’ ऑक्सीजन प्लांट्स लगाए हैं. अब इसके बाद डीआरडीओ ने एयर इंडिया को दुनिया के कई देशों से जिओलाइट लाने का ऑर्डर दिया है.
इसी कड़ी में एयर इंडिया के दो विमान शनिवार को रोम से 34,200 किलोग्राम जिओलाइट के साथ उड़ान भर कर रविवार तड़के बेंगलुरु के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे. बताना चाहेंगे, यह सरकार द्वारा आयात किए जाने वाले जिओलाइट बैचों में से पहला बैच है.
Two Air India flights carrying 34,200 kgs of Zeolite, arrived from Rome at @BLRAirport today. This is the first of the many batches of #Zeolite to be imported by the Govt. of India to generate oxygen. @DRDO_India @MoCA_GoI @cbic_india @blrcustoms @airindiain #AirIndiaSATS #oxygen pic.twitter.com/2TCIcu0tbY
— BLR Airport (@BLRAirport) May 16, 2021
ज्ञात हो, इस समय देश ऑक्सीजन की कमी का सामना कर रहा है. कोविड संक्रमण के मामले बढ़ने के कारण कई राज्यों में जरूरत के मुताबिक चिकित्सकीय ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं हो पा रही है. ऐसे में अब इन ‘जिओलाइट’ का इस्तेमाल ऑक्सीजन उत्पन्न करने के लिए किया जाएगा. कोविड-19 महामारी के बीच देश में ऑक्सीजन की आपूर्ति की मांग को पूरा करने के लिए भारत सरकार ने दुनिया के विभिन्न देशों से ‘जियोलाइट’ आयात करने का फैसला लिया है.
प्रेशर स्विंग अब्सॉर्प्शन (पीएसए) ऑक्सीजन संयंत्रों में जिओलाइट का इस्तेमाल होता है. भारत सरकार देश में ऑक्सीजन की आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए दुनिया के विभिन्न हिस्सों से जिओलाइट आयात करने की प्रक्रिया में है। डीआरडीओ को इसके लिए चार्टरर के रूप में नियुक्त किया गया है. एयर इंडिया दुनिया के विभिन्न हिस्सों से डीआरडीओ के लिए जिओलाइट लाएगी. इसके बाद डीआरडीओ ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों से जिओलाइट मंगाने के लिए एयर इंडिया को ऑर्डर दिया है.
एक विशेषज्ञ के अनुसार इस खनिज का इस्तेमाल ऑक्सीजन का उत्पादन करने वाले संयंत्र में होता है. जिओलाइट बड़े पैमाने पर ऑक्सीजन उत्पादन प्रक्रिया का प्रमुख घटक है. जिओलाइट आधारित ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर प्रणालियों का उपयोग चिकित्सा ऑक्सीजन का उत्पादन करने के लिए किया जाता है. जिओलाइट का उपयोग आणविक चलनी के रूप में हवा से शुद्ध ऑक्सीजन बनाने के लिए किया जाता है. इस प्रक्रिया में नाइट्रोजन का सोखना शामिल होता है, जिससे अत्यधिक शुद्ध ऑक्सीजन और 5 प्रतिशत तक आर्गन निकलता है.