भारत में गहराते कोरोना संकट पर देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने शुक्रवार को अपनी रिसर्च में कहा है कि इसे रोकने के लिए वैक्सीनेशन ही सबसे बड़ा हथियार है. सौम्य कांति घोष की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में लगातार बढ़ोतरी और कई राज्यों में लॉकडाउन (Lockdown) जैसे प्रतिबंधों को लागू करने के चलते एसबीआई रिसर्च (SBI Research) ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि पूर्वानुमानों को 11 प्रतिशत से घटाकर 10.4 प्रतिशत कर दिया.
भारत में पिछले 24 घंटे के दौरान कोविड-19 संक्रमण के 3.34 लाख से अधिक मामले सामने आए हैं.
बैंक के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष द्वारा तैयार रिपोर्ट में यह सुझाव भी दिया गया है कि पूर्ण लॉकडाउन लागू करने की तुलना में तेजी से टीकाकरण (Vaccination) करना अर्थव्यवस्था के लिहाज से अधिक सस्ता है। रिपोर्ट के मुताबिक टीकाकरण की कुल लागत जीडीपी के मुकाबले 0.1 प्रतिशत है, जबकि लॉकडाउन के चलते पहले ही जीडीपी का 0.7 प्रतिशत नुकसान हो चुका है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि एक मई से राज्य विनिर्माताओं से सीधे टीका खरीदने के लिए स्वतंत्र हैं, ऐसे में अनुमान है कि 13 बड़े राज्यों के टीकाकरण की लागत उनके कुल जीडीपी का केवल 0.1 प्रतिशत होगी.
घोष ने कहा कि लॉकडाउन के कारण जीडीपी को होने वाले आर्थिक नुकसान की तुलना में यह काफी कम है, जो पहले ही 0.7 प्रतिशत हो चुकी है.
उन्होंने आगे कहा कि लगभग सभी राज्यों में आंशिक, स्थानीय और सप्ताहांत के लॉकडाउन के चलते हम अपने वृद्धि पूर्वानुमानों (GDP Growth Estimates) को घटा रहे हैं और वित्त वर्ष 2021-22 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 10.4 प्रतिशत और नॉमिनल जीडीपी वृद्धि दर 14.3 प्रतिशत रह सकती है.
उन्होंने कहा कि सीमित लॉकडाउन से करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है, जिसमें 80 प्रतिशत हिस्सेदारी सिर्फ महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान की है और सिर्फ 54 प्रतिशत हिस्सेदारी महाराष्ट्र की है.