देश में कोरोना महामारी के बीच म्यूकर माइकोसिस यानि ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मरीजों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सोमवार को 27वें मंत्रियों के समूह की बैठक में बताया कि देश में 18 राज्यों से ब्लैक फंगस (Black Fungus) के 5,424 मामले सामने आए हैं.
यह मामले देश के 18 राज्य व केन्द्रशासित प्रदेशों से रिपोर्ट हुए हैं. इनमें से 4,556 मरीज कोरोना के मरीज रहें हैं और 55 प्रतिशत मरीजों को डायबिटीज है. ब्लैक फंगस (Black Fungus) के सबसे ज्यादा मरीज गुजरात में है, जिनकी संख्या 2,165 है, महाराष्ट्र में यह संख्या 1188 है. वहीं, उत्तर प्रदेश में 663, मध्यप्रदेश में 519, हरियाणा में 339, आंध्र प्रदेश में 248 मामले ब्लैक फंगस (Black Fungus) के दर्ज किए गए हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने ब्लैक फंगस से निपटने के लिए कई कदम उठा रही है.
बैठक में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि लगातार आठवें दिन कोविड-19 के 3 लाख से कम मामले आए हैं. वहीं वैक्सीन को लेकर कहा कि राज्यों के पास 1.60 करोड़ वैक्सीन की खुराक उपलब्ध है.
Less than 3 lakh cases of Covid-19 for the 8th consecutive day; 1.60 crore vaccine doses available with states: Health Minister @drharshvardhan @MoHFW_INDIA pic.twitter.com/yY9Faqavmp
— Prasar Bharati News Services पी.बी.एन.एस. (@PBNS_India) May 24, 2021
ब्लैक फंगस (Black Fungus) के केस बहुत तेजी से आने पर एम्स नई दिल्ली के डॉ निखिल टंडन ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से इसके केस अचानक इसलिए बढ़ गए हैं क्योंकि जब दूसरी लहर में कई लोग होम आइसोलेशन में रहे, तो वह घर पर ही ऑक्सीजन लेने लगे, वह स्टेरॉयड का भी प्रयोग कर रहे थे. इस वक्त बहुत कम लोग ऐसे थे, जो डॉक्टर से हर दिन संपर्क करते थे. इससे मरीज का डायबिटीज लेवल बढ़ गया और किसी ने उस वक्त ध्यान नहीं दिया. इसी वजह से इन दिनों इसके केस ज्यादा आ रहे हैं. ये नहीं कह सकते हैं कि केवल हॉस्पिटल जाने वाले मरीजों में ही ब्लैक फंगस (Black Fungus) होगा, होम आइसोलेशन वाले गंभीर मरीज भी अपने लक्षणों पर ध्यान दें.
वहीं देश में ब्लैक फंगस (Black Fungus) की दवा एम्फोटेरिसिन बी के आयात को लेकर गंगाराम हॉस्पिटल, नई दिल्ली डॉ. (लेफ्टिनेंट जनरल) वेद चतुर्वेदी कहते हैं कि देश में कोरोना से पहले भी ब्लैक फंगस (Black Fungus) की बीमारी होती थी. तब ऐसे मरीज जो डायबिटीज की वजह से आईसीयू में एडमिट हो जाते थे, उनमें इसके लक्षण पाए जाते थे. तब भी इसका इलाज एम्फोटेरिसिन बी से करते थे. तब इसके केस बहुत कम आते थे, तो ये दवा अस्पताल में मिल जाती थी, लेकिन कोई दुकान वाले नहीं रखते थे. अब इसकी मांग बढ़ी है तो सरकार उत्पाद पर भी ध्यान दे रही है और इसे बेचने के लिए नियम भी बना दिए हैं, ताकि ब्लैक न हो सके.