मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) क्वालिफाइड इंस्टीट्यूनल बायर्स (QIB) के दायरे को बढ़ाने पर विचार कर रहा है. नियामक ने इसके लिए एक कंसल्टेशन पेपर जारी कर सुझाव मांगे हैं. सेबी ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि 500 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति वाले एक से अधिक राज्यों में काम कर रही सहकारी समितियों, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NFBFC) और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (HFC), पेंशन फंड, पुनर्वित्त (Refinance) एजेंसियों जैसे मुद्रा को क्वालिफाइड इंस्टीट्यूनल बायर्स की लिस्ट में शामिल किया जाना चाहिए.
बढ़ेगी निवेशकों की सहभागिता
सेबी के इस बदलाव के बाद बॉन्ड मार्केट में निवेशकों की सहभागिता बढ़ जाएगी. यूनिवर्सिटी, नगर निमग और माइक्रो यूनिट डेवलपमेंट्स एंड रिफाइनेंस एजेंसी (MUDRA) भी QIB के तौर पर बॉन्ड मार्केट में निवेश कर सकेंगे. सेबी के कंसल्टेशन पेपर के मुताबिक, निवेश के लिए ये संस्था पूरी तरह जिम्मेदार होंगी. साथ ही, इन संस्थाओं को निवेश के लिए बाहरी एक्सपर्ट्स को नियुक्त करने के लिए एक सेल्फ-सर्टिफिकेट देने की जरूरत पड़ सकती है.
QIB का फंडिंग में अहम रोल
बता दें कि SEBI ने बॉन्ड मार्केट के लिए क्वालिफाइड इंस्टीट्यूनल बायर्स (QIB) में निवेशकों की अधिक कैटेगरी को शामिल करने और फंड जुटाने की लागत को कम करने के लिए एक कंसल्टेशन पेपर जारी कर उस पर सुझाव मांगे हैं. इस कंसल्टेशन पेपर में कहा गया है, ‘सूचीबद्ध ऋण प्रतिभूतियों (Listed Debt Securities) के प्राइवेट प्लेसमेंट के माध्यम से धन जुटाने में QIB का अहम रोल है. आपको बता दें कि QIB ने निजी प्लेसमेंट के जरिये कॉर्पोरेट बॉन्ड जारी कर लगभग 94% धनराशि जुटाया है.
QIBs में शामिल हैं ये इकाइयां
सेबी रेगुलेशन 2018 के तहत QIBs में म्यूचुअल फंड, फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स, कमर्शियल बैंक, पब्लिक फाइनेंस इंस्टीट्यूशन, स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन, वेंचर कैपिटल फंड, अल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट फंड, इंश्योरेंस कंपनी, प्रोविडेंट फंड और पेंशन फंड आदि शामिल हैं.