इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने अपने 4 महीने के पोते को 240 करोड़ रुपए के शेयर्स गिफ्ट किए हैं. नारायण मूर्ति ने अपने पोते एकाग्र रोहन मूर्ति को इंफोसिस के 15 लाख शेयर्स उपहार में दिए हैं, जो कंपनी में करीब 0.04 फीसद हिस्सेदारी के बराबर है. अब कंपनी में नारायण मूर्ति की हिस्सेदारी 0.36 फीसद रह गई है. कंपनी ने एक्सचेंज फाइलिंग में इस बात की जानकारी दी है.
परिवार को कंपनी से अलग रखना गलत फैसला: मूर्ति
कंपनी की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, नारायण मूर्ति ने अपने पोते को कंपनी में ये शेयर्स गिफ्ट में दिए हैं. गौरतलब है कि इसी साल नारायण मूर्ति ने कहा था परिवार को कंपनी से अलग रखना उनका एक गलत फैसला था. इसलिए नारायण मूर्ति ने इस बार अपने पोते को इतनी कम उम्र से ही कंपनी से जोड़ लिया है. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता था कि कॉर्पोरेट गवर्नेंस का मतलब है कि इसमें परिवार शामिल ना हो, क्योंकि उन दिनों ज्यादातर बिजनेस फैमिली ओन्ड थे, जिनमें परिवार के बच्चे आते और कंपनी चलाते थे. इनमें कॉर्पोरेट के नियमों का भारी उलंघन होता था.’
क्या बेटे शामिल होंगे इंफोसिस में?
दरअसल, एक साक्षात्कार में नारायण मूर्ति से एक सवाल किया गया था कि उनके बेटे रोहन मूर्ति हार्वर्ड के स्कॉलर हैं, लेकिन आगे चलकर अगर वह इंफोसिस जॉइन करना चाहें तो आप क्या करेंगे? नारायण मूर्ति ने जवाब दिया कि रोहन उनसे कहीं ज्यादा सख्त हैं, और वह कभी भी इस तरह का फैसला नहीं लेंगे. रोहन हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से PhD के बाद सॉफ्टवेयर फर्म के मालिक हैं और उनकी कंपनी डेटा प्रोसेसिंग का काम करती है.
ऋषि सुनक हैं दामाद
गौरतलब है कि न्यायमूर्ति के एकाग्र से पहले दो नातिन कृष्णा सुनक और अनुष्का सुनक हैं. ये दोनों ब्रिटेन के प्रधान मंत्री ऋषि सुनक और अक्षता मूर्ति की बेटियां हैं. यानी ऋषि सुनक, न्यायमूर्ति के दामाद हैं. नारायण मूर्ति ने 1981 में भारत में इंफोसिस की शुरुआत की थी. अगस्त 2011 में नारायण ने कंपनी के चेयरमैन एमेरिटस की उपाधि के साथ रिटायर हो गए थे. इसके बाद, साल 2013 में एग्जिक्यूटिव चेयरमैन के तौर पर उन्होंने कंपनी में वापसी की. इस दौरान उनके बेटे रोहन मूर्ति उनके एग्जिक्यूटिव असिस्टेंट के तौर पर का कर रहे थे.कुल मिलकर नारायण मूर्ति ने भारत में इंफोसिस को जबरदस्त लोकप्रियता दिलाई.