कर्ज के संकट में फंसी वाडिया समूह की एयरलाइन गो फर्स्ट (Go First) को लेकर दो खबरें आई हैं. पहली खबर ये है कि कंपनी का फॉरेंसिक ऑडिट हो सकता है. एयरलाइन कंपनी के लेंडर्स यानी कर्जदाता बैंक इस पर विचार कर रहे हैं. ऑडिट इस बात की जांच करने के लिए किया जा सकता है कि क्या फंड का गलत इस्तेमाल तो नहीं किया गया है. साथ ही इसका कहीं इधर-उधर ट्रांसफर तो नहीं किया गया? इस समय गो फर्स्ट दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है.
गो फर्स्ट की ओर से एनसीएलटी में दिए गए आवेदन के अनुसार 28 अप्रैल तक कंपनी के वित्तीय लेनदारों का कुल 6,521 करोड़ रुपए का लोन बकाया था. कंपनी के लेंडर्स में- डॉयचे बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और आईडीबीआई बैंक शामिल हैं. कंपनी पर इसके अलावा भी देनदारियां हैं.
दूसरी खबर ये है कि इस कंपनी के प्रमोटर वाडिया ग्रुप की इंजन सप्लाई करने वाली कंपनी प्रैट एंड व्हीटनी (Pratt & Whitney) यानी P&W के खिलाफ कानूनी लड़ाई शुरू करने की योजना है जिसके लिए अमेरिका की डेलावेयर (Delaware) कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है. वाडिया ग्रुप के मुताबिक P&W के खराब इंजन के चलते वर्ष 2020 से कंपनी के 30-50 फीसद विमान ग्राउंडेड खड़े हैं जिस वजह से दो मई को कंपनी ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया था.
बता दें कि गोर्स्ट की उड़ानें तीन मई से बंद पड़ी हैं. इसके बाद कंपनी बार-बार उड़ानें रद्द होने की तारीख को बढ़ाती जा रही है. अब कंपनी की ओर से उड़ानें रद्द करने के लिए 14 बार सूचना जारी की गई. विमान क्षेत्र के नियामक डीजीसीए ने कंपनी से उड़ानें शुरू करने के लिए प्लान मांगा है लेकिन कंपनी की ओर से अभी तक कोई ठोस प्लान नहीं सौंपा गया है. कंपनी का परिचालन कब बहाल होगा, इस मुद्दे को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है.