रेडसीर स्ट्रैटेजी कंसल्टेंट्स के मुताबिक 2023 के त्योहारी सीजन में ऑनलाइन ई-कॉमर्स कंपनियों की बिक्री करीब 90,000 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है. जो पिछले साल की तुलना में 18-20 फीसदी अधिक है. गौरतलब है कि 2014 के त्योहारी सीजन के दौरान देश में पहली ई-कॉमर्स सेल की शुरुआत की गई थी. ऐसे में त्योहारी सीजन में ई-कॉमर्स सेल का यह दसवां साल है. बता दें कि बीते 10 साल में भारतीय ई-कॉमर्स तकरीबन पूरी तरह से बदल गया है. दरअसल, इस अवधि में ई-टेलिंग इंडस्ट्री का सालाना जीएमवी करीब 20 गुना बढ़ चुका है यानी उद्योग ने जहां 2014 में पूरे साल में 27,000 करोड़ रुपए का जीएमवी कमाया. वहीं इस साल 2023 में यह करीब 5,25,000 करोड़ रुपए रहने की उम्मीद है. इस प्रक्रिया में सालाना लेनदेन करने वाले यूजर्स की संख्या में 15 गुना की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
भारतीय ई-टेलिंग देश में उपभोक्ता मांग के लिए लिटमस टेस्ट बन चुकी है. खपत में हाल की मंदी और अर्थव्यवस्था पर बीते करीब 3 साल के बाहरी झटकों को देखते हुए इस साल दसवें त्योहारी सीजन की बिक्री की अवधि और भी ज्यादा महत्वपूर्ण है. कोविड के पहले नॉमिनल प्राइवेट फाइनल कंजप्शन एक्सपेंडिचर (पीएफसीई) की सालाना वृद्धि दर करीब 8-9 फीसद हुआ करती थी. हालांकि कोविड-19 और रूस-यूक्रेन संघर्ष जैसे लगातार बाहरी झटकों की वजह से बाजार में महत्वपूर्ण उतार-चढ़ाव आया है और वित्त वर्ष 2023 की आखिरी कुछ तिमाहियों में कम लिक्विडिटी की वजह से भौतिक खपत में मंदी देखने को मिली थी. हालांकि पीएफसीई के लिए सालाना वृद्धि दर 9 फीसद पर वापस आ गई है और कई स्थिर कारक काम कर रहे हैं.
रेडसीर स्ट्रैटेजी कंसल्टेंट्स के पार्टनर मृगांक गुटगुटिया के मुताबिक पिछली कई तिमाहियों में हमें इलेक्ट्रॉनिक्स से अलग कैटेगरी में जीएमवी योगदान में बढ़ोतरी दिखाई पड़ रही है, जबकि त्योहारी सीजन में इलेक्ट्रॉनिक्स की बिक्री सबसे ज्यादा होती है. पिछले कई साल की बिक्री के आंकड़े देखें तो कई कैटेगरी में त्योहारी सीजन में बिक्री देखने को मिली है. उनका कहना है कि विभिन्न कैटेगरी में बिक्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अच्छा है क्योंकि यह उपभोक्ताओं की कई कैटेगरी को ऑनलाइन खरीदने की इच्छा को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि हमें इस त्योहारी सीजन में फैशन, बीपीसी, होम एवं जनरल मर्चेंडाइज और अन्य गैर-इलेक्ट्रॉनिक्स कैटेगरी से जीएमवी योगदान में बढ़ोतरी की उम्मीद है.