इस प्रस्ताव का मकसद आधार को दुनिया के सबसे बड़े ऑनलाइन आइडेंटिटी ऑथेंटिकेशन प्लेटफॉर्म में से एक बनाना है, लोगों के लिए ईज ऑफ लिविंग और सर्विसेज के लिए बेहतर एक्सेस देना है.
अब जब आप होटल में बुकिंग कराएंगे, या ऑनलाइन शॉपिंग करेंगे, तो वहां आपसे आपके आधार को प्रमाणित करने के लिए ओटीपी मांगा जाए तो चौकिएगा मत. आईटी मिनिस्ट्री जल्द ही एक ऐसा नियम लाने वाली है, जिससे अब प्राइवेट कंपनियां किसी व्यक्ति की पहचान को प्रमाणित करने के लिए आधार का डेटाबेस इस्तेमाल कर पाएंगी. अभी तक केवल सरकारी मंत्रालयों और विभागों को ही ऐसा करने का अधिकार था. जो कंपनियां आधार प्रमाणित करना चाहती हैं, वो सरकार को प्रस्ताव भेजेंगी.
प्रस्ताव का उद्देश्य क्या है?
इस प्रस्ताव का मकसद आधार को दुनिया के सबसे बड़े ऑनलाइन आइडेंटिटी ऑथेंटिकेशन प्लेटफॉर्म में से एक बनाना है, लोगों के लिए ईज ऑफ लिविंग और सर्विसेज के लिए बेहतर एक्सेस देना है. अब तक केवल सरकारी मंत्रालयों और विभागों को ही आधार ऑथेंटिकेशन की मंजूरी थी लेकिन मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने पर आधार का दायरा बढ़ जाएगा. निजी कंपनियों को इस तरह की मंजूरी मिलने से हो सकता है कि Facebook, Whatsapp, Twitter जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी यूजर के लिए आधार बेस्ड वेरिफिकेशन करने को कहें. ऐसा होता है तो पहले से ही हमारा डेटा का भंडार रखने वाले इन साइट के पास एक जरूरी दस्तावेज के डिटेल्स भी होंगे.
कम नहीं हैं विवाद
आधार को लेकर पूर्व में कई तरह के विवाद रहे हैं, इसे अनिवार्य करने के फैसले को भी कोर्ट में चुनौती दी गई. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर, 2018 को अपने एक फैसले में निजी कंपनियों के बॉयोमैट्रिक ऑथेंटिफिकेशन सिस्टम के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि ये निजता के मौलिक आधार के उलट है. अब सरकार के दूसरे दरवाजे से इस प्रस्ताव को लाने के बाद इसे मंजूरी मिलती है तो क्या ये निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं होगा? इस पर आगे स्थिति साफ होने पर ही कुछ कहा जा सकता है. हालांकि एक अच्छी बात है कि सरकार ने ड्राफ्ट रूल्स पर लोगों से प्रतिक्रिया मांगी है. मंत्रालय की साइट पर आप ये ड्राफ्ट यानी मसौदा देख सकते हैं 5 मई तक अपने कॉमेंट दे सकते हैं.