ब्याज दरों पर फैसला लेने के लिए अप्रैल के पहले हफ्ते में हुई रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के मुख्य अंश यानी मिनट्स गुरुवार को जारी हो गए. मिनट्स से पता चलता है कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला अभी खत्म नहीं हुआ है. और आने वाले दिनों में जरूरत पड़ने पर रिजर्व बैंक फिर से ब्याज दरें बढ़ा सकता है. भविष्य में ब्याज दरों पर फैसला लेने से पहले रिजर्व बैंक मानसून की स्थिति का आकलन करेगा. इसके साथ ही यह भी देखेगा कि कच्चे तेल का भाव कैसा है. 3-6 अप्रैल के दौरान हुई मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद रिजर्व बैंक ने पॉलिसी दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया था. रिज़र्व बैंक ने रेपो दर को 6.5 फीसद पर स्थिर रखा था. उस समय RBI ने वित्तवर्ष 2023-24 के दौरान महंगाई दर 5.2 फीसद और GDP ग्रोथ की दर 6.5 फीसद रहने का अनुमान लगाया था लेकिन उस अनुमान के लिए RBI ने सामान्य मानसून तथा कच्चे तेल के भाव 85 डॉलर आधार माना था.
इस बैठक के दौरान रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि पिछले एक साल में हमारी मौद्रिक नीति कार्रवाइयों का संचयी प्रभाव अभी भी सामने आ रहा है और इसकी बारीकी से निगरानी करने की जरूरत है. गवर्नर ने कहा था कि इसलिए इस मोड़ पर हमें मुद्रास्फीति में एक टिकाऊ संयम लाने पर अपना ध्यान केंद्रित करना होगा और साथ ही अपने पिछले कार्यों के प्रभाव की निगरानी के लिए खुद को कुछ समय देना होगा.
बता दें रिजर्व बैंक की इस मौद्रिक नीति समिति में केंद्रीय बैंक के दो प्रतिनिधि होते हैं, उनके साथ तीन बाहरी सदस्य भी एमपीसी की बैठक में शामिल होते हैं. इस समिति की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर करते हैं. इस तीन की बैठक में ये पांचों सदस्य मिलकर आर्थिक और घरेलू स्थितियों की समीक्षा करते हैं. इस वित्त वर्ष में अब अप्रैल के बाद आरबीआई की द्विमासिक मौद्रिक समिति की बैठक 6-8 जून, 8-10 अगस्त, 4-6 अक्टूबर, 6-8 दिसंबर और 6-8 फरवरी 2024 में होगी. ऐसे में आने वाले दिनों में कर्ज महंगा हो जाए तो चौकिएगा मत.