फॉर्म-16 (Form 16) क्या है? यह कौन जारी करता है और यह क्या काम आता है, ये ऐसे सवाल हैं, जो नए कर्मचारियों के मन में होते हैं. व्यक्ति जब किसी कंपनी में ज्वाइन करता है, तो कंपनी उसकी सालाना आय पर लगने वाले टैक्स को 12 से डिवाइड कर हर महीने टीडीएस (TDS) काटती है. यह टीडीएस (TDS) कर्मचारी की सीटीसी (CTC) पर निर्भर नहीं करता है. यह कर्मचारी के करयोग्य वेतन पर निर्भर करता है. इसके लिए कंपनी कर्मचारी से उसके निवेश व आयकर छूट प्राप्त खर्चों के बारे में जानकारी प्राप्त करती है और उसके आधार पर टीडीएस (TDS) कटता है.
वित्त वर्ष पूरा होने पर नियोक्ता कर्मचारी को जो टीडीएस सर्टिफिकेट देता है, वही फॉर्म-16 है. इसमें कर्मचारी की सभी कर योग्य आय और स्रोत पर विभिन्न कर कटौती का विवरण होता है. फॉर्म-16 आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने के लिए सबसे आवश्यक दस्तावेजों में से एक है. टैक्स एवं इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट बलवंत जैन ने बताया कि यदि कर्मचारी ने अपने निवेश व होम लोन, स्कूल फीस जैसी जानकारियां नियोक्ता को देने में देर कर दी है, तो वे आटीआर भरते समय इसके लिए क्लेम कर सकते हैं.
कर्मचारी को फॉर्म-16 (Form 16) जारी करने से पहले एचआर विभाग कर्मचारी से पूछता है कि वे आयकर की पुरानी स्कीम के साथ जाना चाहते हैं या नई स्कीम के साथ, यह केवल टीडीएस के लिए होता है. आईटीआर भरते समय कर्मचारी अपनी पसंद के अनुसार किसी भी स्कीम में जा सकता है. जैन ने बताया कि अगर कर्मचारी ने एक साल में दो कंपनियां बदली हैं, तो उसे अलग अलग दो नियोक्ताओं से दो फॉर्म-16 प्राप्त होंगे. जैन ने कहा कि किसी भी असुविधा से बचने के लिए कर्मचारी को अपने नए नियोक्ता को पुरानी कंपनी से प्राप्त होने वाली सैलरी की सारी जानकारी बता देनी चाहिए.
फॉर्म-16 के दो भाग होते हैं. भाग-अ और भाग-ब, भाग-अ में नियोक्ता का नाम व पता, नियोक्ता का पैन नंबर, कर्मचारी का पैन नंबर, नियोक्ता का टीएएन नंबर, वर्तमान नियोक्ता के साथ रोजगार की अवधि और जमा किए गए टैक्स का विवरण होता है। वहीं, फॉर्म-16 के भाग-ब में वेतन का विस्तृत विवरण और सेक्शन 10 के तहत छूट प्राप्त भत्तों का विस्तृत विवरण होता है.