वर्षों से आए दिन कारोबारियों के दिवालिया (bankrupt) होने की खबरें सामने आती हैं. वहीं सोमवार को ब्रिटेन की एक अदालत ने बीते भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को दिवालिया (bankrupt) घोषित कर दिया. लेकिन, सवाल उठता है कि आखिर दिवालिया (bankrupt) होने का मतलब क्या है? कोई व्यक्ति कब दिवालिया (bankrupt) हो सकता है और उसका क्या फायदा-नुकसान होता है?
बैंक से दिवालिया होने का मतलब न सिर्फ फाइनेंशियल बल्कि सोशल लेवर पर भी बेईज्जती से जुड़ा होता है. जब कोई व्यक्ति या संस्था कानूनी रूप से यह घोषणा कर देता है कि उसके द्वारा लिया गया कर्ज चुकाने में वह असमर्थ है. इसका मतलब उसका कर्ज इतना बढ़ गया है कि उसे अपनी पूरी संपत्ति, बिजनेस, जमीन आदि बेचकर कर्ज चुकने की नौबत आ गई है तो इस स्थिति को ही दिवालिया (bankrupt) होना कहते हैं.
कंपनी के दिवालिया होने पर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एन.सी.एल.टी ) के द्वारा इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल नियुक्त करते हैं जिसे 180 दिन तक कंपनी को चलाने का समय दिया जाता है. इस दौरान भी कंपनी की स्थिति में सुधार नहीं आया तो फिर उसे दिवालिया (bankrupt) मानकर आगे की कार्यवाही शुरू होती है. इसके लिए बकायदा कंपनी wind -up petition दाखिला कराती है. फिर अपने शेयर, संपत्ति इत्यादि को बेच कर्ज चुकाती है.
दिल्ली के कॉरपोरेट एडवोकेट ऋषभ जैन बताते हैं, “अगर आप दिवालिया (bankrupt) घोषित होना चाहते हैं तो एक वकील के जरिए आप कोर्ट में एक पिटिशन फाइल कर सकते हैं. उसके बाद कोर्ट तय करेगा सभी शर्तें पूरी की गई हैं या नहीं. कोर्ट पिटिशन को मंजूर या रद्द भी कर सकता है. सुनवाई की एक तारीख तय होती है. इसके बाद कोर्ट अंतरिम प्राप्तकर्ता नियुक्त करती है, जो आपकी संपत्तियों पर कब्जा कर लेता है. हालांकि मौजूदा कानूनों के तहत आप कोर्ट में स्टे ऑर्डर के लिए भी पिटीशन दे सकते हैं और संपत्ति के खिलाफ किसी कानूनी प्रक्रिया पर स्टे ले सकते हैं.”
अगर पिटीशन संतोषजनक है तो कोर्ट ‘न्यायिक आदेश’ पारित कर सकती है, जिससे आप अनडिस्चार्जड इनसॉल्वेंट बन जाएंगे. आपकी संपत्ति है तो उसको नीलाम किया जाएगा. इससे मिली रकम को कर्जदाताओं में बांटा जाएगा. पहले कामगार और कर्मचारियों का बकाया चुकाया जाता है. उसके बाद केंद्र और राज्य सरकार को बांटा जाता है. अगर व्यक्ति पर पहले का कोई इनकम-टैक्स बकाया है तो उसका भुगतान बची रकम से ही होगा. अगर रकम इतनी नहीं है तो टैक्स देनदारी खत्म कर दी जाती है. कर्ज देने वाली संस्था या व्यक्ति दिवालिया (bankrupt) व्यक्ति को बकाया चुकाने के लिए बाध्य नहीं कर सकता. अगर आप पर सरकार का बकाया है या आपने कोई वित्तीय धोखाधड़ी की है तो आप सभी कर्ज पर क्लीन चिट हासिल नहीं कर सकते. आपको यह पैसा चुकाना ही होगा.