होम इक्विटी लोन को क्या हैं फायदे और जोखिम, जानें यहां

कर्ज लेते समय मोर्टगेज लोन के अलावा होम इक्विटी लोन एक अच्छा विकल्प होता है. यह कर्ज लेने का एक आम तरीका है, जिससे घर खरीदे या रेनोवेट किए जाते हैं

what are the advantages and risks of home equity loans

आपके एसेट आपातकालीन स्थिति में आप ही के काम आते हैं. हमारे देश में रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी अच्छा कंपोनेंट हैं एसेट मैनेजमेंट का

आपके एसेट आपातकालीन स्थिति में आप ही के काम आते हैं. हमारे देश में रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी अच्छा कंपोनेंट हैं एसेट मैनेजमेंट का

जीवन के किसी भी पल में अचानक इमर्जेंसी फाइनेंस की जरूरत पड़ सकती है. ऐसे ही मौकों पर एसेट मैनेजमेंट काम आता है. आपके एसेट आपातकालीन स्थिति में आप ही के काम आते हैं. हमारे देश में रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी अच्छा कंपोनेंट हैं एसेट मैनेजमेंट का.

बड़े-बुजुर्ग हमेशा सुझाव देते हैं कि ऐसी परिस्थितियों के लिए घर-प्रॉपर्टी खरीद लेनी चाहिए. प्रॉपर्टी ओनरों के लिए बैंक कई तरह के फाइनेंसिंग विकल्प देते हैं. कम ब्याज दरों और आसान रीपेमेंट टर्म्स पर कर्ज दिए जाते हैं.

कर्ज लेते समय मोर्टगेज लोन के अलावा होम इक्विटी लोन एक अच्छा विकल्प होता है. होम इक्विटी पर कर्ज लेना एक आम तरीका है, जो लोग घर खरीदने और रेनोवेट कराने के लिए इस्तेमाल करते हैं.

क्या है होम इक्विटी लोन?

इसे सेकंड मोर्टगेज, होम इक्विटी इंस्टॉलमेंट लोन या सेकंड लोन ऑन हाउस भी कहते हैं. प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू के आधार पर कर्जदाता लोन देते हैं.

अगर प्रॉपर्टी पर कोई हाउस लोन पहले से चल रहा है, तब भी आप होम इक्विटी लोन ले सकते हैं. उस वक्त प्रॉपर्टी की बाजार में जो कीमत होगी, उसके हिसाब से कर्जदाता लोन वैल्यू तय करेगा. घर की कीमता का 50 से 60 फीसदी तक लोन के लिए एलिजिबल होगा.

होम लोन लेना लाभकारी हो सकता है, मगर यह कर्ज का जाल भी बन सकता है. यह समय के साथ आपकी प्रॉपर्टी की इक्विटी को घटाता है. पेमेंट नहीं होने पर कर्जदाता के पास संपत्ति जब्त करने का अधिकार होता है. इसका मतलब हुआ कि आप अपने रेजिटेंस से हाथ धो बैठेंगे.

होम इक्विटी लोन के क्या हैं फायदे?

  • आपके बजट के हिसाब से बेहतर ब्याज दर: आप अपने बजट के हिसाब से इंटरेस्ट रेट में बदलाव करा सकते हैं. अनसिक्योर्ड लोन में ऊंची ब्याज दर होती है क्योंकि उनका कोलैटरल नहीं होता है.
  • सिक्योर्ड लोन में कम ब्याज दर पर कर्ज मिलता है क्योंकि इसमें कोलैटरल शामिल होता है. होम लोन की ब्याज दर मौजूदा समय में कम है.
  • पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड से उतना कैश शायद न मिल सके, जितना कि होम इक्विटी लोन में मिल सकता है.
  • अगर कर्ज से नई प्रॉपर्टी खरीदी जाती है या मौजूदा घर का रेनोवेशन कराया जाता है, तो टैक्स फाइल करते समय डिडक्ट किया जा सकता है.

होम इक्विटी लोन से जुड़े जोखिम

  • होम इक्विटी लोन से कई जोखिम जुड़े होते हैं. अगर पेमेंट में देरी हुई तो कर्जदाता संपत्ति को जब्द कर सकते हैं. वे इसकी नीलामी भी कर सकते हैं.
  • होम इक्विटी लोन का सेकंड मोर्टगेज की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके लिए पहले मोर्टगेज का क्लोजिंग चार्ज और उससे जुड़ी फीस भरनी होंगी. समय से पहले कर्ज चुकाने पर भी प्रीपेमेंट पेनाल्टी लगती है.
Published - October 28, 2021, 03:53 IST